दिमित्री मुराटोव, मारिया रेसा को शांति का नोबेल प्राइज, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए प्रयासों को सम्मान

विश्व बंधुत्व के लिए सर्वश्रेष्ठ कार्य और सच्चाई के लिए आवाज उठाने के लिए पत्रकार दिमित्री मुराटोव, मारिया रेसा को दिया जा रहा पुरुस्कार, ग्रेटा थनबर्ग को पछाड़कर आगे निकले दोनों पत्रकार

Updated: Oct 08, 2021, 10:59 AM IST

Photo Courtesy: daily news
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आखिरकार लंबे इंतजार के बाद नोबेल शांति पुरस्कार 2021 का ऐलान कर दिया गया है। नोबेल कमेटी ने फिलीपींस की मारिया रेसा और रूसी पत्रकार दिमित्री मुराटोव को शांति का नोबेल पुरस्कार के लिए चुना है। इन्हें फिलिपींस और रूस में 'अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा' के लिए साहसी लड़ाई लड़ने के लिए सम्मानित किया जा रहा है। नोबेल कमेटी का कहना है कि दोनों पत्रकारों का प्रतिनिधित्व करते हैं जो सच्चाई की लड़ाई के लिए खड़े रहते हैं।

नोबेल का शांति पुरुस्कार समाज में शांति कायम करने के लिए प्रदान किया जाता है। यह व्यक्तियों या संगठनों को दिया जाता है, जो देशों के बीच भाइचारा और बंधुत्व कायम करने के लिए सर्वश्रेष्ठ कार्य करते हैं। नोबेल कमेटी की अध्यक्ष बेरिट रीस-एंडरसन ने दोनों के नाम का ऐलान करते हुए कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा के उनके प्रयासों, जो लोकतंत्र और स्थाई शांति के लिए एक पूर्व शर्त है, के लिए इस जोड़ी को सम्मानित किया गया है।

इस कैटेगरी में 329 लोगों ने उम्मीदवारी पेश की थी। जिसके बाद मारिया रेसा और दिमित्री मुराटोव का चयन किया गया है। विजेताओं को 1.1 मिलियन डॉलर की इनामी राशि प्रदान की जाएगी।

संभावित उम्मीदवारों में क्लाइमेट एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग, मीडिया राइट ग्रुप रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (RSF) और वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) के नाम की भी खूब चर्चा थी। लेकिन इन सब को मात देते हुए मारिया रेसा और दिमित्री मुराटोव आगे निकल गए और खिताब अपने नाम कर दिया।

मारिया ने 2012 में डिजिटल मीडिया कंपनी रैप्‍लर की स्‍थापना की थी। वे इस कंपनी की को-फाउंडर हैं, यह कंपनी खोजी पत्रकारिता को आगे बढ़ाती है। वहीं रूसी पत्रकार दिमित्री आंद्रेविच मुराटोव रशियन नोवाजा गाजेटा नाम के एक अखबार के को फाउंडर हैं। नोबेल कमेटी की मानें तो वर्तमान समय में इसे रूस का सबसे स्‍वतंत्र अखबार होने का गौरव हासिल है। नोबेल कमेटी के मुताबिक मुराटोव कई दशकों से रूस में अभिव्यक्ति की आजादी की रक्षा करते आ रहे हैं।

दोनों का काम वर्तमान समय खास हो जाता है, जब उनके ही देश में उनके सामने कई चुनौतीपूर्ण स्थितियां मौजूद हैं। एक मुक्‍त, आजाद और फैक्ट्स पर आधारित पत्रकारिता, सत्‍ता के दुरुपयोग, झूठ और वॉर प्रपोगेंडा को सामने लाने के लिए बहुत जरूरी है। 

इनसे पहले नोबेल कमेटी ने सुकुरो मनाबे, क्लॉस हेसलमैन और जॉर्जियो परिसी को जलवायु संबंधी खोज में उल्लेखनीय योगदान के लिए भौतिकी के नोबेल पुरस्कार से नवाजा है। डेविड जूलियस और आर्डम पाटापोशियन को चिकित्सा का नोबेल दिया गया है, इनकी खोज से नए तरह की दर्द निवारक दवा बनाने में मदद मिलेगी। बेंजामिन लिस्ट और डेविड मैकमिलन को केमेस्ट्री का नोबेल पुरस्कार देने का ऐलान किया गया है। उन्हें एसेमिट्रिक ऑर्गेनोकैटलिसिस के विकास के लिए पुरुस्कार दिया गया है। साहित्य का नोबेल पुरस्कार अब्दुलराजाक गुरनाह को दिया गया है। उनके दस उपन्यास और कई लघु कथाएं प्रकाशित हो चुकी हैं। वे शरणार्थियों की समस्याओं को लेकर लिखते रहे हैं। 10 दिसंबर को पुरुस्कारों का वितरण किया जाएगा।