Thailand Protests: थाईलैंड में लोकतंत्र के लिए सड़कों पर उतरे लाखों लोग, आपातकाल का चौतरफा विरोध

Bangkok: प्रधानमंत्री के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं प्रदर्शनकारी, राजशाही में सुधार के लिए भी उठ रही है आवाज

Updated: Oct 18, 2020, 07:11 PM IST

Photo Courtesy: CNN
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बैंकॉक। थाईलैंड में इमरजेंसी घोषित किए जाने के बाद भी लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतरकर आंदोलन कर रहे हैं। इस दौरान पुलिस और सुरक्षा बलों से उनकी झड़प भी हो रही है। विरोध प्रदर्शनों को दबाने के तमाम प्रयासों के बाद भी प्रदर्शनकारियों का हुजूम बढ़ता ही जा रहा है। इन प्रदर्शनों की बागडोर देश के युवाओं और छात्रों ने संभाल रखी है। प्रदर्शनकारी देश के प्रधानमंत्री के इस्तीफे और राजशाही में सुधार की मांग कर रहे हैं। आम तौर पर थाईलैंड में राजशाही के खिलाफ बोलने की प्रथा नहीं है। 

इन प्रदर्शनों का केंद्र मुख्य रूप से देश की राजधानी बैंकॉक बनी हुई है। हालांकि, देश के दूसरे हिस्सों में भी प्रदर्शन हो रहे हैं। प्रदर्शनकारी नारे लगा रहे हैं, 'तुम हमें मार नहीं सकते, हम हर जगह हैं।'

प्रदर्शन करने की अलग-अलग जगहों पर तीन से पांच हजार लोगों की भीड़ है। कोरोना वायरस के खतरे के बाबजूद लोग सड़कों पर आने से नहीं घबरा हैं। उनका कहना है कि कोरोना वायरस से तो बच भी जाएंगे लेकिन अगर देश में सुधार नहीं हुए तो उनका भविष्य चौपट हो जाएगा। 

द फ्री यूथ नाम के एक संगठन ने प्रदर्शनकारियों से मानसिक और शारीरिक दोनों रूप से तैयार रहने की अपील की है। हाल में पुलिस की ज्यादिती में बढ़ोतरी हुई है, इससे पहले पुलिस और प्रशासन पूरी तरह से शांत थे। संगठन की अपील के बाद प्रदर्शनकारी अब पूरी तैयारी के साथ आ रहे हैं। वे सुरक्षा उपकरणों से लैस हैं। इसे विरोध प्रदर्शन का हांगकांग मॉडल कहा जा रहा है। 

इससे पहले प्रदर्शनकारियों के बढ़ते हुए हुजूम को देखते हुए प्रधानमंत्री प्रयुत चान ओ चा ने 16 अक्टूबर को देश में आपातकाल लागू कर दिया। इसके तहत एक जगह पर चार से अधिक लोगों का इकट्ठा होना प्रतिबंधित है। चान ओ चा 2014 में तख्ता पलट कर सत्ता में आए थे। पिछले साल हुए चुनाव में उन्हें विजेता घोषित किया गया। हालांकि, कई लोगों का मानना है कि चुनावों में धांधली हुई है। 

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अब तक प्रशासन करीब 65 प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार कर चुका है। ये सभी इस आंदोलन के प्रमुख चेहरे बताए जा रहे हैं। कुछ प्रदर्शनकारियों को चोट भी आई है। प्रदर्शनकारी राजशाही की अवमानना करने वाले कानून को खत्म करने की मांग कर रहे हैं, जिसके तहत किसी व्यक्ति को 15 साल कैद की सजा हो सकती है। साथ ही साथ राजशाही को देश की राजनीति से अलग रखने की भी मांग की जा रही है।