पीथमपुर की फैक्ट्री में ही खाली किए जाएंगे कंटेनर, हाईकोर्ट ने सरकार को दिया 6 हफ्ते का वक्त
राज्य सरकार ने कहा कि भ्रामक खबरों के कारण पीथमपुर में स्थिति बिगड़ी, हाईकोर्ट ने निर्देश दिया कि कंटेनर्स को सावधानीपूर्वक और पूर्व दिशा-निर्देशों के अनुसार कंटेनरों को खाली किया जाए।
जबलपुर। भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड का जहरीला कचरा पीथमपुर में जलाने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सोमवार को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विवेक जैन की डिवीजन बेंच के सामने राज्य सरकार ने कहा कि भ्रामक खबरों के कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई और हालात बिगड़े।
इस दौरान सरकार ने हलफनामा प्रस्तुत करते हुए ज़हरीले कचरे के निपटारे के लिए और समय मांगा। सुनवाई के दौरान सरकार ने कहा कि मिस पब्लिसिटी और फेक मीडिया रिपोर्ट्स के चलते पीथमपुर में हंगामा हुआ। इसके अलावा सरकार ने जहरीले कचरे को कंटेनर्स से अनलोड करने की अनुमति मांगी। जिसके बाद हाईकोर्ट ने निर्देश दिया कि कंटेनर्स को सावधानीपूर्वक और पूर्व दिशा-निर्देशों के अनुसार अनलोड किया जाए।
हाईकोर्ट ने सरकार को ज़हरीले कचरे के विनिष्टीकरण में सावधानी बरतने और सुरक्षा के पर्याप्त उपाय सुनिश्चित करने का निर्देश दिया। साथ ही कहा कि यह जानकारी आम जनता के सामने रखी जाए। अगली सुनवाई 18 फरवरी, 2025 को होगी। इस सुनवाई के दौरान मामले की प्रगति पर चर्चा की जाएगी।
अदालत में मध्य प्रदेश सरकार की ओर से महाधिवक्ता प्रशांत सिंह ने कहा, '3 दिसंबर को हाईकोर्ट ने यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से जहरीले कचरे को हटाने के लिए चार हफ्ते की समय-सीमा तय की थी। सरकार को चेतावनी भी दी थी कि अगर निर्देश का पालन नहीं किया गया तो अवमानना की कार्यवाही की जाएगी। इसलिए हमें 6 सप्ताह का समय दिया जाए।' इस तर्क को स्वीकार करते हुए हाईकोर्ट ने सुनवाई की अगली तारीख 18 फरवरी दी है।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं ने हाई कोर्ट में हाई लेवल कमिटी को जांच रिपोर्ट पेश करने का निर्देश देने की मांग की थी। साथ ही कहा कि सरकार से स्पष्ट किया जाए कि जहरीले कचरे के विनिष्टीकरण के दौरान क्या सुरक्षा उपाय अपनाए जा रहे हैं। याचिकाकर्ताओं के अनुसार, भोपाल गैस त्रासदी से 11 मिलियन मीट्रिक टन जहरीला कचरा बचा है। अब तक केवल 337 टन कचरा पीथमपुर भेजा गया।