कोरोना के खिलाफ लड़ाई को पटरी से उतार सकता है अमेरिका-चीन तनाव

महामारी को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपनी पहली आभासी सभा शुरू कर दी है.

Publish: May 19, 2020, 07:54 AM IST

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने अब तक की अपनी पहली वर्चुअल (आभासी) सभा की शुरुआत कर दी, लेकिन आशंका है कि अमेरिका-चीन तनाव कोरोना वायरस महामारी से निपटने के लिए आवश्यक कड़ी कार्रवाई को पटरी से उतार सकता है.

इस दो दिवसीय सभा में पूरी तरह कोविड-19 पर ही ध्यान केंद्रित किए जाने की उम्मीद है जो अब तक विश्व में तीन लाख दस हजार से अधिक लोगों की जान ले चुका है और लगभग 47 लाख लोग घातक कोरोना वायरस संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं.

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने सभा का उद्घाटन किया और उल्लेख किया कि कई देशों ने डब्ल्यूएचओ की सिफारिशों की अनदेखी की.

उन्होंने एक वीडियो संदेश में कहा, ‘‘अलग-अलग देशों ने अलग-अलग, कई बार विरोधाभासी रणनीतियां अपनाईं और हम सब एक भारी कीमत चुका रहे हैं.’’

विश्व स्वास्थ्य संगठन के निदेशक टेड्रोस ऐडरेनॉम ग़ैबरेयेसस भी वचुर्अल सभा को संबोधित करेंगे. इसके साथ ही चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग, सरकार के प्रमुखों और स्वास्थ्य मंत्रियों सहित कई राष्ट्र प्रमुख भी अपनी बात रखेंगे.

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गैबरयेसेस ने 15 मई को कहा था कि आयोजन ‘‘1948 में हमारी स्थापना के समय के बाद से अत्यंत महत्वपूर्ण कार्यक्रमों (विश्व स्वास्थ्य सभाओं) में से एक होगा.’’

लेकिन महामारी के मुद्दे पर विश्व की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच खराब हो रहे संबंधों के चलते संकट के समाधान के लिए वैश्विक कदमों पर सहमति पर पहुंचना मुश्किल हो सकता है.

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पिछले सप्ताह धमकी दी थी कि अमेरिका कोविड-19 के प्रसार में बीजिंग की भूमिका के चलते चीन के साथ अपने सभी संबंध खत्म कर सकता है.

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ट्रंप अमेरिका से डब्ल्यूएचओ को मिलने वाली आर्थिक सहायता पर भी रोक लगा चुके हैं. उनका आरोप है कि इस विश्व स्वास्थ्य निकाय ने महामारी की गंभीरता को शुरू में कमतर आंका और चीन का पक्ष लिया.

इस दो दिवसीय विश्व स्वास्थ्य सभा से पहले 62 देशों ने एक मसौदा प्रस्ताव पेश किया जिसमें कोविड-19 महामारी को लेकर डब्ल्यूएचओ की प्रतिक्रिया की स्वतंत्र जांच का अनुरोध किया गया है. प्रस्ताव को विश्व स्वास्थ्य सभा में अनुमोदन के लिए रखा जाएगा.