पीथमपुर में होगा 30 मीट्रिक टन ज़हरीले कचरे का निष्पादन, MP हाईकोर्ट ने दी ट्रायल रन को मंजूरी
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे के निपटान के ट्रायल रन की मंजूरी दे दी है। इसके तहत 30 मीट्रिक टन कचरा जलाने के लिए तीन ट्रायल रन किए जाएंगे।
                                    भोपाल। मध्य प्रदेश के पीथमपुर में भोपाल की यूनियन कार्बाईड फैक्ट्री का कचरा नष्ट करने के खिलाफ आंदोलन जारी है। अब इस मामले में बड़ी खबर सामने आई है। पीथमपुर में शुरुआत में ट्रायल रन के तहत 30 मीट्रिक टन विषैले कचरे को जलाया जाएगा। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने मंगलवार को इसकी मंजूरी दे दी है।
यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे के निस्तारण को लेकर मध्य प्रदेश शासन ने उच्च न्यायालय में अपनी कंप्लायंस रिपोर्ट दाखिल कर दी है। महाधिवक्ता एडवोकेट प्रशांत सिंह ने हाईकोर्ट से कहा कि कचरे के सुरक्षित निपटान के लिए पीथमपुर में वैज्ञानिक पद्धति से परीक्षण यानी ट्रायल रन किया जाएगा।
राज्य सरकार द्वारा प्रस्तुत योजना के अनुसार ट्रायल रन के तहत तीन चरणों में जहरीले कचरे का निस्तारण किया जाएगा। पहले चरण में 27 फरवरी को 135 किलो वेस्ट प्रति घंटा नष्ट किया जाएगा। दूसरे चरण चरण में 4 मार्च 2025 को 180 किलो वेस्ट प्रति घंटा नष्ट किया जाएगा। वहीं, तीसरे चरण में 270 किलो वेस्ट प्रति घंटा कचरे का निस्तारण किया जाएगा।
सभी परीक्षणों के परिणाम केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के समक्ष प्रस्तुत किए जाएंगे। CPCB इसकी समीक्षा के बाद यह तय करेगा कि किस गति से कचरे का सुरक्षित निपटान किया जा सकता है। राज्य शासन ने न्यायालय को सूचित किया कि 27 मार्च 2025 को परीक्षणों की अंतिम रिपोर्ट उच्च न्यायालय के समक्ष पेश की जाएगी। इस रिपोर्ट में सभी चरणों के परिणाम और पर्यावरणीय प्रभाव का विस्तृत विवरण होगा।
इससे पहले 6 जनवरी को हुई सुनवाई में हाईकोर्ट में सरकार ने कहा था कि पीथमपुर में यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे के खिलाफ विरोध और प्रदर्शन के हालात मिस लीडिंग से बने। उधर यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार को नोटिस भेजा है। शीर्ष अदालत ने यह नोटिस गांधीवादी विचारक और लेखक चिन्मय मिश्र द्वारा दायर याचिका को संज्ञान में लेते हुए भेजा है, जिसमें कहा गया है कि पीथमपुर में कचरे का निष्पादन आसपास के लोगों के राइट टू लाइफ का उल्लंघन करता है।
इस मामले में सर्वोच्च अदालत ने अगली सुनवाई 24 फरवरी को रखी है। याचिकाकर्ता ने सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष यह तर्क प्रस्तुत किए हैं कि मध्य प्रदेश राज्य शासन व केंद्र सरकार द्वारा कचरे के निपटान हेतु जारी किए गए दिशानिर्देशों का पालन नहीं किया गया, और न ही आपातकाल की स्थिति उत्पन्न होने पर राहत एवं बचाओ हेतु कोई कार्ययोजना का बनाई है।




                            
        
        
        
        
        
        
        
        
        
        
        
        
        
        
        
                                    
                                
                                    
                                    
                                    
								
								
								
								
								
								
								
								
								