भारत की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ और युवाओं के साथ धोखा है अग्निपथ स्कीम: अखिलेश प्रताप सिंह

कांग्रेस प्रवक्ता अखिलेश प्रताप सिंह ने अग्निपथ योजना को लेकर उठाए गंभीर सवाल, बोले- सच्ची देशभक्ति सेना को मजबूत करने में है, लेकिन देश के प्रधानमंत्री एक नय धोखे से सेना को कमजोर कर रहे हैं

Updated: Jun 26, 2022, 01:54 PM IST

भोपाल। कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता अखिलेश कुमार सिंह ने रविवार को भोपाल प्रवास के दौरान केंद्र की अग्निपथ योजना को लेकर गंभीर सवाल खड़े किए। उन्होंने पूछा कि चार साल के बाद अग्निवीर कहां जाएंगे। सिंह ने इस योजना को भारत की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ और युवाओं के साथ धोखा करार देते हुए कहा कि केंद्र इसे जल्द से जल्द वापस ले।

राजधानी भोपाल में पत्रकारों को संबोधित करते हुए सिंह ने कहा कि, 'केंद्र की मोदी सरकार आनन-फानन में कानून बना देती है, जो देश हित में कतई नहीं होते। चाहे वह नोटबंदी का निर्णय हो या फिर किसानों के लिए बनाये गये काले तीन कृषि कानून की बात हो।
अग्निपथ स्कीम का ऐलान होते ही यह स्कीम सवालों के घेरे में आ गई। इस स्कीम का युवाओं ने भारी विरोध शुरू कर दिया है। बिहार, यूपी, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, मध्यप्रदेश, तेलंगाना, हिमाचल, झारखंड, उत्तराखंड, दिल्ली और पश्चिम बंगाल में युवा सड़कों पर उतरकर आंदोलन करने लगे हैं। यही नहीं देशव्यापी हिंसा में दो लोग मारे भी गए।'

कांग्रेस नेता ने केंद्र सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि मौजूदा समय में 55 हजार से ज्यादा हार्ड स्किल्ड जवान तीनों सेनाओं में रिटायर होते हैं। इसमें से रिटायरमेंट के बाद 1 या 2 प्रतिशत लोगों को ही नौकरी मिल पाती है। ऐसे में अग्निवीरों को नौकरी मिल पाएगी इसकी क्या गारंटी है? पूर्व सैनिकों के लिए पहले से ही नौकरियों में आरक्षण है, लेकिन उन्हें लाभ नहीं मिल रहा है। केंद्र सरकार के विभागों में ग्रुप सी में 10 फीसदी आरक्षण और ग्रुप डी में 20 फीसदी आरक्षण पूर्व सैनिकों के लिए है, जिसमें केंद्र सरकार के 77 विभागों में 34 में ग्रुप सी में कुल संख्या में से महज 1.29 फीसदी और ग्रुप डी में 2.66 फीसदी लोगों की ही भर्ती की गई हैं।

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कांग्रेस नेता ने आगे कहा कि, 'केंद्र सरकार के 34 विभागों में ग्रुप सी में की गई 10 लाख 84 हजार में से महज 13 हजार 976 पूर्व सैनिक हैं और 3 लाख 25 हजार ग्रुप डी कर्मचारियों में से महज 8 हजार 642 नौकरी पूर्व सैनिकों को ही मिली हैं।' सिंह ने अग्निपथ स्कीम की नीतिगत खामियां बताते हुए कहा कि छह महीने की ट्रेनिंग एक योद्धा को तैयार करने के लिए काफी नहीं हैं, एक अच्छा सैनिक बनने में कम से कम छह से सात साल लग जाते हैं। जबकि केंद्र सरकार द्वारा अग्निपथ के तहत केवल 6 महीने की ट्रेनिंग की बात कही गई है।'

सिंह ने कहा कि, 'सेना के जवानों में नाम, नमक और निशाना पाने के लिए मर मिटने की भावना होती है और यह भावना उन्हीं को समझ आती है, जो सेना में रहते हैं। यह भावना बाहर से समझ नहीं आयेगी। 
अग्निपथ स्कीम में तहत नौजवानों में हमेशा चिंता बनी रहेगी कि चार साल बाद हमारा क्या होगा? उन्हें किसी तरह का रैंक नहीं दिया जायेगा, न पेंशन और न ही ग्रेच्युटी दी जायेगी। ऐसे में शिक्षा ग्रहण करने की उम्र में सेना में भर्ती होने वाले नौजवान 22-25 साल में फिर बेरोजगार हो जायेंगे। सेना में शामिल हुए अग्निवीर जंग के दौरान अपना पराक्रम दिखाने में पूर्णतः सक्षम नहीं हो पायेंगे।'

उन्होंने केंद्र सरकार से पूछा कि बीते 2 साल से करीब डेढ़ लाख पद सेना में भर्ती के खाली थे, वे भर्तियां होंगी या नहीं? सिंह ने केंद्र सरकार से मांग की है कि अग्निपथ योजना वापस ली जाए, ताकि राष्ट्रीय सुरक्षा और नौजवानों के भविष्य के साथ खिलवाड़ न हो सके। उन्होंने तर्क दिया कि यह योजना दिशीहीन हैं जो युवाओं के साथ एक बहुत बड़ा धोखा और उनके भविष्य के साथ क्रूर मजाक है। उन्होंने केंद्र पर निशाना साधते हुए कहा कि सच्ची देशभक्ति सेना को मजबूत करने में है, लेकिन देश के प्रधानमंत्री एक नए धोखे से सेना को कमजोर कर रहे हैं। देश के भविष्य को बचाने के इस आंदोलन में कांग्रेस युवाओं के साथ खड़ी है और सरकार को अग्निपथ योजना वापस लेना ही होगा।