Rahul Lodhi Resigns: मध्य प्रदेश में कांग्रेस को झटका, राहुल लोधी का दमोह विधानसभा सीट से इस्तीफा, बीजेपी में जाएंगे

प्रद्युम्न लोधी के चचेरे भाई हैं राहुल लोधी, कांग्रेस बोली बीजेपी ने हार सामने देख फिर शुरू किया खरीद-फरोख्त का गंदा खेल

Updated: Oct 26, 2020, 12:56 AM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश में उपचुनाव के बीच कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। दमोह से कांग्रेस विधायक राहुल लोधी ने अपनी विधानसभा सीट से इस्तीफ़ा दे दिया है और भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने जा रहे हैं। राहुल लोधी ने विधानसभा से अपना इस्तीफा प्रोटेम स्पीकर रामेश्वर शर्मा को सौंप भी दिया है। राहुल ने पिछले चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़कर बीजेपी के क़द्दावर नेता और पूर्व मंत्री जयंत मलैया को पराजित किया था।

कांग्रेस ने राहुल लोधी के इस्तीफे पर तीखी प्रतिक्रिया जाहिर की है। मध्य प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता नरेंद्र सलूजा ने कहा है कि बीजेपी ने हार सामने देख खरीद-फरोख्त का गंदा खेल फिर से शुरू कर दिया है। सलूजा ने राहुल लोधी का नाम लिए बिना ही ट्विटर पर लिखा है, "प्रदेश पर 25 उपचुनाव थोपने वाली भाजपा अभी भी बाज नहीं आ रही है , लोकतंत्र की हत्या का खेल , सौदेबाज़ी का खेल अभी भी जारी है। चुनाव में अपनी संभावित हार देखते हुए ख़रीद फ़रोख़्त का खेल फिर शुरू कर दिया है। जनता खुली आँखो से सब देख रही है , चुनाव में करारा जवाब देगी।"

राहुल लोधी बड़ा मलहरा से विधायक रहे दलबदलू नेता प्रद्युम्न सिंह लोधी के चचेरे भाई हैं। प्रद्युम्न लोधी जब ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हुए तो राहुल को लेकर भी सवाल उठने लगे। लेकिन तब राहुल लोधी ने कहा था कि कांग्रेस ने ही उन्हें राजनीतिक रूप से सक्षम बनाया है और वे हमेशा कांग्रेस के साथ ही रहेंगे। 

राहुल लोधी ने उस वक्त कहा था कि हालात कैसे भी हों, वे कांग्रेस का साथ कभी नहीं छोड़ेंगे। लेकिन अपनी उन बातों को झुठलाते हुए राहुल लोधी ने आखिरकार वही किया जो उनके चचेरे बड़े भाई ने किया था। विधानसभा से इस्तीफा देकर उन्होंने न सिर्फ अपने चुनाव क्षेत्र के उन मतदाताओं का भरोसा तोड़ा है, जिन्होंने उन्हें जिताकर भेजा था, बल्कि पूरी लोकतांत्रिक प्रक्रिया का मज़ाक भी बना दिया है। राहुल लोधी ने इस्तीफा ऐसे वक्त में दिया है जब उन जैसे ही दलबदलू विधायकों की वजह से मध्य प्रदेश की जनता को कोरोना काल में विधानसभा उपचुनाव का बोझ उठाना पड़ रहा है।