छिंदवाड़ा: गोटमार मेले में हुई जबरदस्त पत्थरबाजी, करीब 200 खिलाड़ी घायल, 3 नागपुर रेफर

छिंदवाड़ा जिले के पांढुर्णा में शनिवार को विश्वप्रसिद्ध ‘गोटमार’ मेले की धमाकेदार शुरुआत हुई, दोनों ओर से जमकर पत्थरबाजी की जा रही है, शाम साढ़े 4 बजे तक करीब 200 खिलाड़ियों के घायल होने की सूचना है

Updated: Aug 27, 2022, 12:50 PM IST

छिंदवाड़ा। मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले के 
पांढुर्णा में शनिवार को विश्वप्रसिद्ध ‘गोटमार’ मेले की धमाकेदार शुरुआत हुई। सुबह करीब 11 बजे मेले का शुरुआत होते ही दोनों ओर से जमकर पत्थरबाजी की जा रही है। शाम साढ़े चार बजे तक करीब 200 खिलाड़ियों के घायल होने की सूचना मिली है। बताया जा रहा है कि इनमें से तीन खिलाड़ियों की हालत बेहद गंभीर है और उन्हें नागपुर रेफर किया गया है।

करीब ढाई सौ साल पुराने इस खेल में सांवरगांव और पांढुर्णा के लोगों ने एक-दूसरे पर जमकर पत्थरबाजी कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि इस खूनी खेल की तैयारियां दोनों पक्ष के लोग काफी पहले से कर रहे थे। एक दिन पहले ही खिलाड़ियों ने पुल के पास पत्थर इकट्ठे कर लिए थे, ताकि उनकी पत्थरबाजी में किसी तरह की कमी न रह जाए। उसके बाद सुबह होते ही खिलाड़ियों का आना शुरू हो गया और 11 बजे के करीब दोनों ओर से पत्थर बाजी शुरू हो गई।

पत्थर लगने से घायल होने वाले खिलाड़ियों के प्राथमिक उपचार के लिए आयोजन स्थल पर भारी संख्या में हेल्थ वर्कर्स भी तैनात हैं। खिलाड़ियों के उपचार के लिए पांढुर्ना और सावरगांव दोनों ओर मेडिकल कैंप लगाए गए है। दो प्रमुख कैंपों सहित खिलाड़ियों के लिए बनाए गए अलग-अलग कैंपों में 29 चिकित्सा अधिकारी और 130 स्वास्थ्यकर्मी मौजूद है । साथ ही गंभीर रूप से घायल होने वाले खिलाड़ियों को तत्काल अस्पताल ले जाने के लिए पहुंचाने के लिए मौके पर 12 एंबुलेंस की भी तैनाती की गई है। 

छिंदवाड़ा कलेक्टर सौरभ सुमन, एसपी विवेक अग्रवाल और अन्य प्रशासनिक अधिकारी मेले की गतिविधियों पर नजर रखे हुए हैं। मेले के आसपास के अलावा शहर में चप्पे-चप्पे पर पुलिस बल तैनात किया गया है। जिसमें तीन एएसपी, 11 डीएसपी और 16 टीआई सहित 700 से अधिक बल शमिल है। मेले के दौरान गोफन चलाने वालों और अन्य अनैतिक गतिविधियों पर ड्रोन कैमरों से भी नजर रखी जा रही है। गोटमार मेले की आराध्य देवी मां चंडिका के दरबार में श्रद्धालुओं के दर्शन का सिलसिला जारी है।

क्यों खेला जाता है यह खूनी खेल

इस खूनी खेल के पीछे एक प्रेम कहानी बताया जाता है। यहां के लोग बताते हैं कि सदियों पहले पांढुर्णा के एक लड़के को सांवरगांव की लड़की से प्रेम हो गया था। दोनों गांववालों की मर्जी के विरुद्ध भागकर शादी करने जा रहे थे। लेकिन नदी पार करते समय लोगों ने इन्हें देख लिया और दोनों ओर से पत्थरबाजी शुरू हो गई थी। दोनों प्रेमियों ने यहीं दम तोड़ दिया। उसी समय से पांढुर्णा और सांवरगांव के लोग पोला पर्व के दूसरे दिन इस खेल का आयोजन करते हैं। जाम नदी के एक ओर पांढुर्णा जबकि दूसरी ओर सांवरगांव है। गोटमार मेले के दौरान दूसरे छोर के लोगों को पत्थर मारकर लहू लुहाना करने का रिवाज है।

शासन-प्रशासन की ओर से इस खेल को बंद करवाने या फिर इसका स्वरूप बदलने की लगातार कोशिशें हुईं, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। सदियों पुरानी इस जानलेवा परंपरा को लोग त्यागने के लिए तैयार नहीं हैं। एक बार प्रशासन की ओर से इस खेल के स्वरूप को बदलने के लिए लोगों को रबर की गेंदें भी दी गई। लेकिन स्थानीय लोगों ने पत्थर के जगह गेंद को इस्तेमाल करने से साफ मना कर दिया और पत्थरबाजी करने लगे। 

इसके अलावा भी शासन प्रशासन की ओर से कई बार विभिन्न प्रयास किए जा चुके हैं। गोटमार वाले दिन आसपास में अलग-अलग प्रतियोगिताएं आयोजित करवाई गई ताकि लोगों का ध्यान दूसरे खेलों की तरफ आकर्षित हो और पत्थरबाजी में कमी आए। लेकिन यहां लोगों को गोटमार के अलावा कुछ और पसंद नहीं। बीते कुछ सालों में इस खतरनाक खेल के दौरान 16 लोगों की जान भी गई है, बावजूद परंपरा के नाम पर यह खेल जारी है।