रंगपंचमी पर महाकाल मंदिर परिसर में रंग-गुलाल प्रतिबंधित, गर्भगृह में आग की घटना की मजिस्ट्रियल जांच शुरू
उज्जैन कलेक्टर नीरज सिंह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट से जारी गाइडलाइन के अनुसार ही पर्व मनाया जाएगा और इसका सख्ती से पालन कराया जाएगा।
उज्जैन स्थित महाकालेश्वर मंदिर के गर्भगृह में आग लगने की घटना की मजिस्ट्रियल जांच शुरू हो गई है। घटना से सबक लेते हुए प्रशासन ने रंगपंचमी यानी 29 मार्च को मंदिर परिसर में रंग और गुलाल ले जाने पर बैन लगा दिया गया है। यानी इस बार भक्त अथवा पुजारी रंगपंचमी पर मंदिर परिसर में रंग-गुलाल नहीं उड़ाएंगे।
मंगलवार को इस संबंध में गाइडलाइन भी जारी कर दी गई है। उज्जैन कलेक्टर नीरज सिंह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट से जारी गाइडलाइन के अनुसार ही पर्व मनाया जाएगा और इसका सख्ती से पालन कराया जाएगा। उन्होंने कहा कि महाकालेश्वर मंदिर प्रबंधन समिति उत्सव के लिए टेसू (पलाश) के फूलों से बने हर्बल रंग उपलब्ध कराएगी।
कलेक्टर ने बताया कि पुजारी-पुरोहित को भी गर्भगृह में रंगपंचमी पर प्रतीकात्मक रूप से होली खेलने की अनुमति होगी। परंपरा के अतिरिक्त ऐसी सामग्री का उपयोग नहीं किया जाएगा, जिससे नुकसान हो।उन्होंने बताया कि रंगपंचमी के दौरान भस्म आरती में भक्तों की संख्या को भी नियंत्रित किया जाएगा। जो भी मंदिर के नियम तोड़ेगा, उन पर कार्रवाई की जाएगी। मंदिर में आने वाले लोगों को चेकिंग के बाद ही प्रवेश मिलेगा।
बता दें कि बीते 25 मार्च को होली की सुबह महाकाल मंदिर के गर्भगृह में भस्म आरती के दौरान आग लग गई थी। उस दौरान हजारों श्रद्धालु मौजूद थे। भक्त भगवान महाकाल के साथ होली खेल रहे थे। तभी आरती के दौरान सुबह 5.49 बजे अचानक आग भभक गई, जिससे मंदिर के पुजारी समेत 14 लोग झुलस गए।
अपर कलेक्टर अनुकूल जैन ने बताया कि आगजनी की घटना को लेकर फायर एक्सपर्ट से भी चर्चा की जा रही है। घटना की जांच के लिए फॉरेंसिक फायर विशेषज्ञ नीलेश उकुंडे मुंबई से उज्जैन पहुंचे हैं। मजिस्ट्रियल जांच शुरू हो गई है। मंगलवार शाम को जिला पंचायत सीईओ मृणाल मीणा, एडीएम अनुकूल जैन कंट्रोल रूम पहुंचे। सीसीटीवी फुटेज भी बारीकी से देखे। साथ ही उपयोग किए गए गुलाल का सैंपल लेकर जांच के लिए भेजा है।