वोटर लिस्ट से हटाए गए 65 लाख लोगों के नाम जारी करें, बिहार SIR मामले में चुनाव आयोग को सुप्रीम कोर्ट का आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा कि 65 लाख वोट हटाए गए हैं, उन लोगों का डेटा क्यों सार्वजनिक नहीं किया गया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उन्हें सार्वजनिक कर दीजिए।

Updated: Aug 14, 2025, 04:31 PM IST

नई दिल्ली। बिहार विधानसभा चुनाव से पहले वोटर लिस्ट रिवीजन यानी एसआईआर का मामला पार्टियों के बीच राजनीतिक संग्राम की वजह बना हुआ है। विपक्षी दल चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगा रहे हैं। इस मामले में अब सुप्रीम कोर्ट ने अहम निर्देश दिया है। सर्वोच्च अदालत ने चुनाव आयोग से कहा कि वोटर लिस्ट हटाए गए 65 लाख लोगों के नाम सार्वजनिक करें।

SIR को लेकर आज इस सुनवाई का तीसरा दिन था, सुनवाई के शुरू होते ही जस्टिस बागची और जस्टिस कांत ने कई अहम सवाल पूछे। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि मंगलवार तक चुनाव आयोग यह बताए कि वह पारदर्शिता के लिए क्या कदम उठाने जा रहा है?जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि चूंकि यह कार्रवाई नागरिक के मताधिकार से वंचित करने जैसे गंभीर परिणाम ला सकती है, इसलिए निष्पक्ष प्रक्रिया जरूरी है।'

सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को निर्देश दिए हैं कि वो मंगलवार तक बिहार की ड्राफ्ट मतदाता सूची से हटाए गए 65 लाख लोगों का ब्यौरा वेबसाइट पर डालें। इसके अलावा उन नामों के हटाए जाने का कारण - मौत, प्रवास या दोहराव, ये भी बताने के निर्देश दिए हैं। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बूथ स्तर के अधिकारी भी हटाए गए मतदाताओं की सूची प्रदर्शित करेंगे।

कोर्ट ने कहा कि हम नहीं चाहते कि नागरिकों का अधिकार पार्टी कार्यकर्ताओं पर निर्भर रहे। अगर 22 लाख लोग मृत पाए गए हैं, तो उनके नाम क्यों नहीं बताए गए? इसे डिस्प्ले बोर्ड पर क्यों नहीं लगाया गया या वेबसाइट पर क्यों नहीं अपलोड किया जा सकता? हटाए गए नामों की पहचान और हटाने के कारणों की सूची क्यों जारी हो सकती। कोर्ट ने कहा कि अगर आप सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित करते हैं, तो नैरेटिव गायब हो जाएगी। चुनाव आयोग के मानक संचालन प्रक्रिया (SoP) के अनुसार भी व्यापक प्रचार आवश्यक है।