कर्ज में डूबे किसान ने की आत्महत्या, अंत्येष्टि के लिए भी घर में नहीं थे पैसे, बैंककर्मी कर रहे थे प्रताड़ित

मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में एक किसान ने आत्महत्या कर लिया। किसान बैंक का ऋण नहीं चुका पा रहा था, जिसके चलते वह परेशान था। ऊपर से बैंक कर्मी भी उसे प्रताड़ित कर रहे थे।

Updated: Nov 05, 2022, 01:06 PM IST

छिंदवाड़ा। मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में कर्ज में डूबे एक किसान ने ली। दरअसल, अतिवृष्टि के कारण फसल चौपट हो गई थी। ऐसे में किसान बैंक का कर्ज नहीं चुका पा रहा था। वहीं बैंककर्मी लगातार उसे प्रताड़ित कर रहे थे। इससे परेशान होकर 54 वर्षीय किसान ने मौत को गले लगा लिया।

मोहखेड़ ब्लॉक के राजेगांव के किसान रामदत्त चौधरी (55) के इस कदम से पूरा परिवार बिखर गया। रामदत्त ने 2 नवंबर को सुसाइड कर लिया। परिजनों के मुताबिक 27 अक्टूबर को बैंक की टीम ने घर आकर लोन जमा करने के लिए दबाव बनाया था। कह रहे थे कि लोन जमा नहीं किया तो कानूनी कार्रवाई करेंगे।

किसान की पत्नी ने रुंधे गले से कहा कि हमारे पास अंत्येष्टि तक के लिए पैसे नहीं थे। उनकी अंतिम रस्में निभाने के लिए भी कर्ज लेना पड़ा। छोटा बेटा पुणे में मजदूरी करता है। पति के खुदकुशी करने से 15 दिन पहले ही पुणे गया था। उसके पास इतने पैसे भी नहीं थे कि वापस आकर पिता की अर्थी को कंधा दे सके। रिश्तेदारों ने पैसे भिजवाए, तब वह गांव आया।

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रामदत्त के बेटे दुर्गेश के मुताबिक पिता पर SBI का 2.50 लाख रुपए का कर्ज था। बैंक की टीम के दबाव बनाने के बाद से ही पिता डिप्रेशन में थे। बैंक वाले बहुत परेशान करते थे बार-बार। कहते- थे कार्रवाई करेंगे। वे कहते थे की थोड़ा-थोड़ा करके रुपए वापस कर देंगे, इस साल खेती डूब गई हमारी इसलिए पैसे नहीं हैं। बावजूद बैंककर्मी कुछ नहीं सुनते थे।

मामले पर SBI की मोहखेड़ ब्रांच के मैनेजर मानस करौले का कहना है कि लोन को लेकर किसान को नोटिस दिया गया था। वह बैंक भी आए थे। उन्हें समझाइश भी दी गई थी। जहां तक फसल खराब होने का सवाल है, तो उनकी फसल का बीमा भी था। इसका क्लेम आना बाकी है। जो भी क्लेम आता, वो फसल के नुकसान में मर्ज हो जाता। उन्होंने सुसाइड क्यों किया? इसकी कोई जानकारी नहीं है।