MSP से कम में मूंग बेचने को मजबूर MP के किसान, माकपा ने राज्य सरकार पर लगाए गंभीर आरोप

माकपा ने कहा है कि मूंग का निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्य 8768 रुपए प्रति क्विंटल है। जबकि मंडियों में किसान 6000 से 7000 के बीच मूंग बेचने के लिए मजबूर हो रहे हैं।

Updated: Jun 06, 2025, 05:32 PM IST

भोपाल। गर्मी के मौसम में पैदा होने वाली मूंग की फसल पक कर मध्य प्रदेश की मंडियों में आना शुरू हो गयी है। हालांकि, अभी तक प्रदेश की भाजपा सरकार ने न तो मूंग उत्पादक किसानों का पंजीयन शुरू किया है और न ही मूंग खरीदी के संबंध में केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा है। जबकि पिछले साल 20 मई से पंजीयन का काम शुरू हो गया था। माकपा ने इसे लेकर राज्य सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं।

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव जसविंदर सिंह ने बयान जारी कर कहा है कि प्रदेश मे नर्मदापुरम, हरदा, बैतूल, देवास, रायसेन, विदिशा सहित 16 जिलों में मूंग की फसल पैदा होती है। पिछले साल 14.50 लाख हेक्टेयर में 20 लाख टन मूंग पैदा हुई थी। इस साल रकबे में 1.90 हेक्टर की वृद्धि हुई है और उत्पादन भी 21 लाख टन को पार कर जाने का अनुमान लगाया जा रहा है। मगर चिंता की बात यह है कि भाजपा की मोहन यादव सरकार किसानों की लूट की व्यवस्था कर रही है।

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जसविंदर सिंह ने कहा है कि मूंग का निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्य 8768 रुपए प्रति क्विंटल है। जबकि मंडियों में किसान 6000 से 7000 के बीच मूंग बेचने के लिए मजबूर हो रहे हैं। जाहिर है कि एक क्विंटल पर ही 1768 रुपये से लेकर 2768 रुपए की लूट हो रही है। माकपा नेता ने कहा है कि इसका अर्थ यह है कि यदि 21 लाख टन ही पैदावार मान ली जाए तो इस लूट से किसानों की 3712 करोड़ रुपए से लेकर 5760 करोड़ रुपए की लूट भाजपा सरकार के संरक्षण में हो रही है।

जसविंदर सिंह ने कहा है कि मूंग खरीदी की जिम्मेदारी कृषि मंत्रालय की होती है, लेकिन प्रदेश के कृषि मंत्री किसी प्रकार की पहल ही नहीं कर रहे हैं। उधर केंद्रीय कृषि मंत्री अपने संसदीय क्षेत्र के किसानों की लूट भी नहीं रोक पा रहे हैं। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने मूंग उत्पादक किसानों की इस कथित लूट को रोकने के लिए तुरंत सरकारी खरीद शुरू करने और एमएसपी पर किसानों की मूंग खरीदने की मांग की है।