SIR प्रक्रिया से RSS से जुड़े कर्मचारियों को दूर रखने की मांग, वामदलों ने चुनाव आयोग को सौंपा ज्ञापन
ज्ञापन में यह भी मांग की गई कि किसी भी घर के पते में शून्य दर्ज न हो, यदि किसी घर मे 10 से ज्यादा मतदाता हैं तो उनका भौतिक सत्यापन राजनीतिक दलों के अधिकृत प्रतिनिधियों के समक्ष किया जाए।
भोपाल। स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) के ड्राफ्ट प्रकाशन के साथ ही मध्य प्रदेश में सियासत गरमा गई है। ड्राफ्ट में प्रदेश के 42.74 लाख वोटर्स बाहर हो गए हैं। प्रदेश में 8 लाख 65 हजार 832 ऐसे मतदाता हैं, जिनसे आयोग संपर्क नहीं कर पाया। इनका डेटा 2003 की एसआईआर सूची से मिलान नहीं हुआ। ड्राफ्ट प्रकाशन के अगले ही दिन यानी बुधवार को सात वामपंथी धर्मनिरपेक्ष दलों के प्रतिनिधि मंडल ने मुख्य चुनाव निर्वाचन अधिकारी से मुलाकात कर सात सूत्रीय मांग पत्र सौंपा है।
इस मांगपत्र में मुख्य रूप से बीएलओ और एसआईआर की प्रक्रिया से उन शासकीय कर्मचारियों और अधिकारियों को हटाने की मांग की गई है, जो आरएसएस की शाखा में जाते हैं या आरएसएस से जुड़े हुए हैं। विपक्षी दलों का तर्क है कि इनकी विचारधारा और नजरिया अल्पसंख्यक समुदायों और वर्णव्यवस्था के निचले पायदान के तबकों के प्रति वैमनस्यतापूर्ण है। इनकी वज़ह से इन समुदायों में भय है कि उन्हें मताधिकार से वंचित किया जा सकता है।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, समाजवादी पार्टी, समानता दल, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल के संयुक्त ज्ञापन में यह भी मांग की गई कि किसी भी घर के पते में शून्य दर्ज न हो, यदि किसी घर मे 10 से ज्यादा मतदाता हैं तो उनका भौतिक सत्यापन राजनीतिक दलों के अधिकृत प्रतिनिधियों के समक्ष किया जाए।
प्रतिनिधि मंडल ने मांग की है कि 2003 के बाद शादी होकर आईं महिलाओं से उनके मायके के दस्तावेज मांगने की बजाय उसके पति और शादी प्रमाण पत्र को ही दस्तावेज मान लिया जाए। साथ ही बीएलओ के साथ कोई महिला कर्मचारी हो ताकि महिला मतदाताओं से पूछताछ करने में कोई परेशानी न हो। प्रतिनिधिमंडल ने यह भी मांग की है कि जिन मतदाताओं के नाम काटे जाते हैं, उनकी सूची सार्वजनिक स्थानों पर कारण सहित लगाई जाए ताकि उन्हें भी अपना नाम दर्ज कराने का अवसर मिल सके।
इस दौरान मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने भरोसा दिलाया कि यदि कोई कर्मचारी भेदभाव करता है तो शिकायत मिलने पर उनके खिलाफ़ कार्रवाई की जाएगी। प्रतिनिधिमंडल ने याद दिलाया कि बिहार में लिंगानुपात 1000 के पीछे 935 महिलाएं हैं जबकि मतदाता सूची में लिंगानुपात 895 महिलाएं हैं। ऐसा मध्य प्रदेश में नहीं होना चाहिए। प्रतिनिधि मंडल में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव जसविंदर सिंह, सीपीआई के राज्य सचिव शैलेन्द्र कुमार शैली, लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी के राज्य सचिव अजय श्रीवास्तव के अलावा माकपा जिला सचिव तेज कुमार तिग्गा और दीपक पासवान शामिल थे।




