Diwali 2025: खतरा बना देसी पटाखा गन, भोपाल में 23 लोगों की आंख-चेहरे झुलसे

भोपाल में दिवाली पर बिक रही सस्ती देसी पटाखा गन से अब तक 23 लोग झुलस चुके हैं। इसमें भरा कैल्शियम कार्बाइड पानी से रिएक्ट कर एसीटिलीन गैस बनाता है, जो फटने पर आंखों और चेहरे को गंभीर नुकसान पहुंचा रही है।

Updated: Oct 20, 2025, 03:08 PM IST

भोपाल। दिवाली पर बाजारों में खुलेआम बिक रही सस्ती देसी पटाखा गन अब खतरे का नया नाम बन गई है। महज 100 से 200 रुपये में मिलने वाली यह गन अब तक 23 लोगों की आंखों और चेहरों को झुलसा चुकी है। डॉक्टरों का कहना है कि यह कोई खिलौना नहीं बल्कि केमिकल गैस से फटने वाला छोटा बम है जो सेकंडों में आंखों की रोशनी छीन सकता है।

गांधी मेडिकल कॉलेज, बीएमएचआरसी और एम्स भोपाल में अब तक इस पटाखे से प्रभावित कई बच्चे भर्ती हो चुके हैं। इनमें ज्यादातर 8 से 12 साल के बच्चे हैं। डॉक्टरों के मुताबिक यह पहला साल है जब दिवाली पर ऐसी घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं। रविवार शाम 5 बजे से सोमवार सुबह 9 बजे तक 11 नए केस अलग-अलग अस्पतालों में पहुंचे। संभावित हादसों को देखते हुए गांधी मेडिकल कॉलेज, एम्स और जेपी अस्पताल ने इमरजेंसी ऑपरेशन यूनिट, आई डिपार्टमेंट और बर्न टीमों को अलर्ट पर रखा है।

बीएमएचआरसी की नेत्र विभागाध्यक्ष डॉ. हेमलता यादव के अनुसार, यह गन एक केमिकल रिएक्शन से विस्फोट करती है। इसमें कैल्शियम कार्बाइड भरा होता है जो पानी के संपर्क में आने पर एसिटिलीन गैस बनाता है। गन के निचले हिस्से में बना लाइटर इस गैस को आग देता है जिससे तेज दबाव बनता है और गैस विस्फोट करती है। समस्या तब होती है जब गन तुरंत नहीं फटती और लोग झुककर देखते हैं। ठीक उसी वक्त ब्लास्ट हो जाता है।

गांधी मेडिकल कॉलेज के नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. एसएस कुबरे ने बताया कि एसीटिलीन गैस सांस के जरिए शरीर में जाकर ब्रेन और नर्वस सिस्टम को नुकसान पहुंचा सकती है। लंबे समय तक संपर्क में रहने पर ऑक्सीजन की कमी हो जाती है। जिससे सिरदर्द, भ्रम, याददाश्त कमजोर होना, नींद आना, मानसिक अस्थिरता और यहां तक कि मस्तिष्क में सूजन व दौरे भी हो सकते हैं।

डॉ. यादव के मुताबिक, इस गन से निकलने वाले विस्फोट में आंख की पुतली और कॉर्निया को गहरी चोट लगती है। कई मामलों में स्टेम सेल डैमेज होने से कॉर्निया स्थायी रूप से खराब हो सकता है। कुछ मरीजों में ऑप्टिक न्यूरोपैथी (आंख की नसों को नुकसान) और रेटिना में सूजन जैसे गंभीर लक्षण देखे गए हैं। उन्होंने साफ कहा, “यह कोई खिलौना नहीं, यह एक बम है जो बच्चों की जिंदगी हमेशा के लिए अंधेरे में डाल सकता है।”

कोलार निवासी अजय नाम के युवक को पुलिस ने सुभाष एक्सीलेंस स्कूल के सामने यह गन बेचते हुए पाया। उसने बताया कि वह एक दिन में 80 से ज्यादा गन बेच चुका है। यह गन पीवीसी पाइप, लाइटर और ग्लू से बनाई जाती है। अजय के अनुसार, उसका एक ग्रुप है जो शहर के अलग-अलग इलाकों में यह गन बेच रहा है। अकेले एक दुकान से 80 से 100 गन रोजाना बिक रही हैं।

भोपाल निवासी पुष्पेंद्र ठाकुर ने बताया कि उन्होंने सोशल मीडिया पर एक वीडियो देखा था जिसमें इस गन को मजेदार दिवाली खिलौना बताया गया था। उसी वीडियो को देखकर उन्होंने और कई युवाओं ने इसे खरीदना शुरू किया। पुलिस और डॉक्टरों का कहना है कि यही वीडियो अब खतरनाक ट्रेंड में बदल गया है।

ऑप्थेलमोलॉजी सोसाइटी, भोपाल डिवीजन और बीएमएचआरसी ने सरकार से मांग की है कि इस देसी पटाखा गन की बिक्री और निर्माण पर तत्काल रोक लगाई जाए। विशेषज्ञों का कहना है कि यह सीधे सार्वजनिक सुरक्षा का मामला है और अगर अब कदम नहीं उठाए गए, तो अगले कुछ दिनों में हालात और बिगड़ सकते हैं।

कैल्शियम कार्बाइड आमतौर पर फैक्ट्रियों और औद्योगिक उपयोग में आता है लेकिन त्योहारों के समय इसका इस्तेमाल फलों को जल्दी पकाने में भी किया जाता है, जो अवैध है। इसमें आर्सेनिक और अन्य कैंसर पैदा करने वाले रसायन मिलावट के रूप में मौजूद होते हैं। रिसर्च के मुताबिक, इससे त्वचा जलना, खुजली, सूजन जैसी त्वरित प्रतिक्रियाएं होती हैं, जबकि लंबे समय में कैंसर, हृदय रोग, मधुमेह जैसी गंभीर समस्याएं भी हो सकती हैं।