मध्य प्रदेश में कोरोना से पांचवीं मौत, भिंड की 52 वर्षीय महिला ने तोड़ा दम
मध्य प्रदेश में कोरोना से पांचवीं मौत हुई है। भिंड की 52 वर्षीय महिला ने ग्वालियर में इलाज के दौरान दम तोड़ा। इस साल प्रदेश में कोरोना से जान गंवाने वाली सभी मरीज महिलाएं थीं। एम्स भोपाल की रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में अब XFG वेरिएंट सक्रिय है।

मध्य प्रदेश में कोरोना वायरस ने एक और जिंदगी छीन ली है। भिंड जिले की 52 वर्षीय महिला की सोमवार रात ग्वालियर के अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई। महिला को फेफड़ों में गंभीर सूजन और सांस की तकलीफ थी। डॉक्टरों ने बताया कि वह हाइपरसेंसिटिविटी न्यूमोनाइटिस यानी एक्यूट लंग इंजरी से पीड़ित थीं और कोविड-19 पॉजिटिव भी पाई गई थीं। इसी के साथ प्रदेश में इस साल कोरोना से मरने वालों की संख्या बढ़कर पांच हो गई है और सभी मृतक महिलाएं रही हैं।
इससे पहले रतलाम, खरगोन, इंदौर और मंडला की महिलाओं की भी कोरोना संक्रमण से जान जा चुकी है। रतलाम की 52 वर्षीय महिला को टीबी, ब्रोंकाइटिस और हाई ब्लड प्रेशर जैसी गंभीर बीमारियां थीं। उनकी मौत 11 जून को इंदौर में हुई थी। खरगोन की 44 वर्षीय महिला की मृत्यु 6 जून को एमआरटीबी अस्पताल में हुई थी, जिन्होंने हाल ही में एक शिशु को जन्म दिया था। इंदौर निवासी 74 वर्षीय महिला की जान 27 अप्रैल को किडनी की बीमारी के चलते चली गई थी। वहीं, मंडला की गर्भवती महिला की जबलपुर मेडिकल कॉलेज में इलाज के दौरान मौत हुई थी।
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प्रदेश में अब तक कुल 277 कोरोना संक्रमण के मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें से 82 केस फिलहाल सक्रिय हैं। अब तक 190 मरीज स्वस्थ हो चुके हैं, जबकि 5 लोगों की मौत हो चुकी है। संक्रमण की गंभीरता इस बात से भी स्पष्ट होती है कि इस बार के सभी एक्टिव केस महिलाओं के हैं।
प्रदेश में इस समय कोरोना का XFG वेरिएंट सक्रिय है, जिसकी पुष्टि एम्स भोपाल की जीनोमिक रिपोर्ट में हुई है। इस रिपोर्ट के अनुसार, मई के अंतिम सप्ताह में यह वेरिएंट सामने आया और जून के पहले दो हफ्तों में तेजी से फैला। जून के तीसरे सप्ताह तक यह मध्यप्रदेश में प्रमुख वेरिएंट बन चुका है। इससे पहले LF.7 वेरिएंट प्रमुख था, लेकिन वह अब पूरी तरह निष्क्रिय हो चुका है।
एम्स द्वारा 44 सैंपलों की जीनोम सीक्वेंसिंग की गई, जिनमें से 28 में XFG वेरिएंट की पुष्टि हुई है। इनमें से 5 में इसके उप-वेरिएंट XFG.3 की भी पहचान की गई। रिपोर्ट में बताया गया है कि XFG और LF.7 वेरिएंट ऐसे म्यूटेशन लिए हुए हैं जो वैक्सीनेशन के बावजूद लोगों को संक्रमित कर सकते हैं, हालांकि इनके लक्षण सामान्य या बेहद हल्के पाए गए हैं।
एम्स के निदेशक डॉ. अजय सिंह ने बताया कि वायरोलॉजी लैब हर वेरिएंट पर नजर रख रही है और यह काम न सिर्फ अनुसंधान का हिस्सा है, बल्कि महामारी से निपटने की रणनीति का भी अहम तत्व है। उनका मानना है कि राज्य में SARS-CoV-2 की जीनोमिक सीक्वेंसिंग को नियमित सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्य के रूप में अपनाना चाहिए ताकि समय रहते संक्रमण की पहचान, रोकथाम और तैयारी संभव हो सके।
कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए मास्क का प्रयोग, हाथों की नियमित सफाई, प्रदूषण से बचाव और चिकित्सकीय सलाह का पालन आवश्यक है, विशेष रूप से उन लोगों के लिए जो पहले से अस्थमा या फेफड़ों की अन्य बीमारियों से जूझ रहे हैं।