उज्जैन के सरकारी अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी से मौत के दावे ग़लत, कलेक्टर ने कहा अफ़वाह फैलानेवालों के ख़िलाफ़ होगी कार्रवाई

उज्जैन के सरकारी अस्पताल में बीजेपी के मंडल अध्यक्ष की मृत्यु के बाद ये अफ़वाह तेज़ी से फैलाई गई थी कि अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी से 5 लोगों की मौत हो गई.. ये आरोप लगाते हुए बीजेपी कार्यकर्ताओं ने अस्पताल में जमकर हंगामा भी किया था

Updated: Apr 09, 2021, 04:50 AM IST

उज्जैन। उज्जैन के सरकारी अस्पताल में ऑक्सीजन की किल्लत के चलते पांच मरीज़ों की मौत की खबर गलत है। यह कहना है उज्जैन कलेक्टर आशीष सिंह का। उन्होंने इन आरोपों को पूरी तरह नकारते हुए माधवनगर अस्पताल में ऑक्सिजन की कमी से 5 मरीजों की मृत्यु की खबर पूर्णत: गलत और भ्रामक बताया है। कलेक्टर ने कहा है कि यदि कोई व्यक्ति इस प्रकार की अफवाहें सोशल मीडिया पर फॉरवर्ड करेगा तो उसके विरूद्ध धारा-188 तथा महामारी अधिनियम के तहत आपराधिक प्रकरण दर्ज कराया जाएगा।

उन्होंने इस बाबत एक वीडियो जारी किया है जिसमें बताया गया है कि माधवनगर अस्पताल में लगभग 132 मरीज उपचार करा रहें हैं। जिनमें से 100 से अधिक मरीजों को ऑक्सिजन पर रखा गया है। एक मरीज, जिनकी मौत हुई है, वो ऑक्सिजन की कमी से नहीं हुई है। चूंकि सभी को ऑक्सिजन की पूर्ति सिंगल लाइन से की जाती है, इसलिए ऑक्सिजन की कमी से 5 मरीजों की मृत्यु का प्रश्न ही उत्पन्न नहीं होता है। कलेक्टर का दावा है कि माधवनगर अस्पताल में पिछले 24 घंटे में 1 सेकेंड के लिए भी ऑक्सिजन की आपूर्ति बंद नहीं हुई है।

ये अफवाह क्यों फैली कि ऑक्सीजन की कमी से 5 लोगों की मौत हुई

दरअसल, बुधवार रात माधव नगर सरकारी अस्पताल में बीजेपी के मंडल अध्यक्ष जितेंद्र शेरे का निधन हो गया। उनकी मौत के बाद बीजेपी कार्यकर्ता काफी रोष में आ गए और परिजनों ने आरोप लगाया कि अस्पताल में बुधवार रात 12 बजे ऑक्सीजन की आपूर्ति बाधित हो गई थी। जिसकी वजह से बीजेपी मंडल अध्यक्ष की जान चली गई। नाराज़ कार्यकर्ताओं ने अस्पताल में हंगामा भी किया। उन्होंने पुलिस से धक्का-मुक्की भी की और विकास प्राधिकरण के सीईओ सुजान सिंह रावत, जो कि अस्पताल के प्रभारी भी हैं, उन्हें मारने के लिए घर भी पहुंच गए। खुद को कमरे में बंदकर अधिकारी ने किसी तरह अपनी जान बचाई। लेकिन बीजेपी कार्यकर्ता गुरुवार शाम को भी अस्पताल पहुंचकर चेहरे पर काली पट्‌टी बांधकर प्रदर्शन करते रहे।

परिजनों की शिकायत

जितेंद्र शेरे के परिजनों ने बताया कि रात 11.50 पर उनका ग्रुप मैसेज आया था, जिसमें उन्होंने लिखा था कि अस्पताल के पास सिर्फ आधे घंटे की ऑक्सीजन सप्लाई बची है। उन्होंने यह भी लिखा था कि अस्पताल में ऑक्सीजन सप्लाई खत्म होने से मरीज़ों की जान खतरे में है। यह सूचना देने के बाद उनकी जान चली गयी। उनकी पत्नी का आरोप है कि रात में बात करते हुए वो बिल्कुल ठीक थे, इसलिए उनकी जान अस्पताल वालों की लापरवाही से ही गई है। जबकि प्रभारी सीईओ, रावत के मुताबिक जिन मरीजों की मौत हुई, उन सभी को लंग्स इंफेक्शन था। ऑक्सीजन की कमी की वजह से मौत नहीं हुई।

बहरहाल सरकार ने इस पर कड़ा रुख अपनाते हुए इसे पूरी तरह से अफवाह बताया है। मगर अब तक यह नहीं पता कि बीजेपी के उन कार्यकर्ताओं के खिलाफ कलेक्टर ने कोई कार्यवाई की या नहीं, जिन्होंने रोष में आकर अस्पताल में हंगामा किया।