खुरई से पूर्व विधायक अरुणोदय चौबे की कांग्रेस में वापसी, पीसीसी चीफ कमलनाथ ने दिलाई सदस्यता

खुरई के पूर्व विधायक अरुणोदय चौबे एक बार फिर कांग्रेस में शामिल हो गए हैं। माना जा रहा है कि कांग्रेस उन्हें मंत्री भूपेंद्र सिंह के विरुद्ध मैदान में उतार सकती है।

Updated: Oct 11, 2023, 12:36 AM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव का काउंटडाउन शुरू हो गया है। आचार संहिता लागू होने के बाद कांग्रेस अब दोगुनी ऊर्जा के साथ चुनाव की तैयारियों में जुट गई है। इसी बीच बुंदेलखंड से बड़ी खबर सामने आई है। सागर जिले के खुरई से पूर्व विधायक अरुणोदय चौबे कांग्रेस में शामिल हो गए हैं। पीसीसी चीफ कमलनाथ ने मंगलवार को उनकी घर वापसी कराई।

अरुणोदय चौबे ने मंगलवार की देर शाम पीसीसी चीफ कमलनाथ के भोपाल स्थित बंगले पर जाकर कांग्रेस की सदस्यता ली। उन्होंने पिछले साल सितंबर में कांग्रेस पार्टी के सभी पदों से त्यागपत्र देकर पार्टी छोड़ दी थी परंतु उन्होंने किसी अन्य पार्टी की सदस्यता नही ली थी। अब संभावना जताई जा रही है कि कांग्रेस उन्हें खुरई विधानसभा सीट से टिकट देकर मंत्री भूपेंद्र सिंह को कड़ी चुनौती देने की तैयारी में है।

अरुणोदय चौबे खुरई विधानसभा सीट पर बीजेपी के कद्दावर नेता एवं मंत्री भूपेंद्र सिंह के धुरविरोधी प्रतिद्वंदी रहे हैं। अरुणोदय चौबे ने भूपेंद्र सिंह को एक बार हराया है और दो बार उनसे हारे भी हैं। खुरई विधानसभा सीट पर एक दूसरे के धुर विरोधी होने के कारण दोनों के बीच लंबी कानूनी लड़ाई चर्चित है। 

अरुणोदय चौबे ने कई बार आरोप भी लगाए हैं कि उन पर कई झूठे मुकदमे मंत्री भूपेंद्र सिंह के इशारे पर लगे हैं। चौबे ने जब पार्टी छोड़ी थी तब कांग्रेस ने दावा किया था कि बीजेपी की प्रताड़ना से तंग आकर उन्होंने इस्तीफा दिया है। कांग्रेस नेता पीसी शर्मा ने कहा था कि बीजेपी के नेता और मंत्री उन्हें लगातार प्रताड़ित कर रहे थे। साल 2008 में उनके खिलाफ 302 का प्रकरण दर्ज कराया। सुरखी में एक भी जगह पर भाजपा सरकार ने कांग्रेस का प्रत्याशी खड़ा नहीं होने दिया। अरुणोदय चौबे को बीजेपी खरीद नहीं पाई तो इस तरीके से प्रताड़ित करने की कोशिश की गई।

पिछले साल जब चौबे ने पार्टी छोड़ी थी तब भी ये कयास लग रहे थे कि चुनाव आचार संहिता लागू होने के बाद वे कांग्रेस में शामिल हो जाएंगे। चूंकि, आचार संहिता लागू होने के बाद पुलिस और प्रशासन पर परोक्ष रूप से सरकार का कंट्रोल नहीं होता। जानकारों का मानना है कि कांग्रेस से इस्तीफा देना चौबे की रणनीति का हिस्सा था ताकि भाजपा सरकार उनके विरुद्ध द्वेष की भावना से कार्रवाई न कर सके। बहरहाल, अब देखना होगा कि अरुणोदय चौबे के कांग्रेस में शामिल होने से सागर जिले की सियासत में क्या बदलाव आता है।