आदेश के बावजूद नहीं हटाए गए अवैध धर्मस्थल, जबलपुर HC ने दिए अफसरों के खिलाफ सुनवाई के निर्देश

अवैध धर्मस्थल मामला: जबलपुर हाई कोर्ट ने एक्शन टेकन रिपोर्ट पेश न करने पर बरती सख्ती, राज्य के अफसरों के खिलाफ चलेगा अवमानना का केस

Updated: Apr 05, 2023, 09:27 PM IST

जबलपुर। इंदौर बावड़ी हादसे के बाद अब जबलपुर हाईकोर्ट ने अवैध धर्म स्थलों को लेकर सख्ती बरती है। उच्च न्यायालय ने मध्य प्रदेश में निर्मित अवैध धर्म स्थलों को हटाने को लेकर प्रशासनिक ढिलाई को अवमानना करार दिया है। हाई कोर्ट ने एक्शन टेकन रिपोर्ट पेश न करने के लिए संबंधित अफसरों के खिलाफ अवमानना के आरोप पर सुनवाई के निर्देश दिए हैं।

दरअसल, सड़कों और सार्वजनिक स्थानों पर अवैध धर्म स्थल मामले में जबलपुर निवासी अधिवक्ता सतीश वर्मा ने 2014 में अवमानना याचिका दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर हाई कोर्ट ने भी साल 2018 में स्वंत संज्ञान लेते हुए मामले की सुनवाई जनहित याचिका के रूप में किए जाने की व्यवस्था दी थी। इसके अलावा एक अन्य जनहित याचिका भी दायर की गयी थी, जिसमें जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा कार्यालय परिसर के बाहर सड़क पर मंदिर बनाए जाने को चुनौती दी गयी थी।

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वर्मा की ओर से सुनवाई के दौरान जानकारी दी गई कि जबलपुर शहर में सड़क चौड़ीकरण और फुटपाथ निर्माण में 64 अवैध धर्म स्थल बाधक बने हुए हैं। अवैध धर्मस्थलों को हटाने में हाईकोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया जा रहा है। राजनीतिक दबाव में कलेक्टर अवैध धर्म स्थल हटाने की कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रवि मलिमठ और जस्टिस विशाल मिश्रा की डिवीजन बेंच ने इंदौर हादसे के बाद इस मामले को गंभीरता से लिया है।

सुनवाई के दौरान डिवीजन बेंच को यह भी बताया गया कि हाई कोर्ट के आदेश पर जिन 11 अवैध धर्म स्थलों को हटाया गया था, उनका फिर से निर्माण किया जा रहा है। कैंट क्षेत्र में बचे हुए अवैध धर्म स्थलों को हटाने के लिए कलेक्टर को पत्र लिखने के बाद पुलिस बल नहीं उपलब्ध कराया गया। इस मामले में राज्य सरकार की ओर से एक्शन टेकन रिपोर्ट भी पेश नहीं की गई। सरकार की ओर से सिर्फ इतना कहा गया कि अवैध धर्म स्थलों का सर्वे किया जा रहा है। सुनवाई के बाद डिवीजन बेंच ने संबंधित अधिकारियों पर अवमानना के आरोप तय करने के निर्देश दिए हैं।