CM शिवराज सिंह को फिर कैसे मिला ज्योतिरादित्य सिंधिया से सहारा

Updated: Mar 12, 2022, 03:11 AM IST

 
राजनीति में शिवराज सिंह को कितना सम्भालेंगे ज्योतिरादित्य सिंधिया
ग्वालियर में प्रदेश के पहले ड्रोन स्कूल का शुभारंभ ग्वालियर में हो गया है। यहां ड्रोन उड़ाने के दौरान हुआ एक प्रसंग चर्चा का विषय बन गया है। सीएम शिवराज सिंह ( CM Shivraj Singh Chauhan) से ड्रोन अनियंत्रित हो गया, तब ज्योतिरादित्य सिंधिया ने उसे नियंत्रित किया। सिंधिया ने सीएम शिवराज के हाथ के रिमोट कंट्रोल को अपने हाथों से ऑपरेट किया और ड्रोन को सुरक्षित नीचे उतारा। ऐसे ही ठीक दो साल पहले सिंधिया ने कांग्रेस छोड़ कर शिवराज सिंह को सहारा दिया था और बीजेपी की सरकार बनवा दी थी। अब जब सिंधिया के मुख्यमंत्री बनने की घोषणा हो रही है तब देखना होगा कि सिंधिया लड़खड़ाते शिवराज सिंह को सम्भालेंगे या नहीं।
 
सरकार के खिलाफ खड़ी हो गईं हैं उमा भारती 
शराबबंदी की मांग को ले कर आंदोलन की घोषणा और उस पर चुप्पी को लेकर उमा भारती विपक्ष के निशाने पर रही है। अब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मुलाकात के ठीक एक दिन बाद बीजेपी की तेजतर्रार नेत्री उमा भारती ने फिर शराबबंदी की मांग तेज कर दी है। उमा भारती ने कहा कि मैंने भोपाल से शराबबंदी अभियान की औपचारिक शुरूआत कर दी है। अब मैं गांव या शहर में शराब दुकानों के सामने खड़ी होने लगूंगी। ऐसा करने से जनमत स्पष्ट होगा और जागरुकता भी आएगी। नशाबंदी के लिए समाज और शराबबंदी के लिए सरकार को अगुवाई करना पड़ेगी। क्योंकि शराब दुकानें तो सरकार की नीति से खुलती हैं। यानी शराब व्यवसाय को बढ़ावा देने वाली शिवराज सिंह चौहान सरकार की आबकारी नीति के खिलाफ उमा भारती खड़ी हो गई है।
 
जहां नहीं हुआ नुकसान वहां भी किसानों को बांटा मुआवजा
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा खातों में पैसा भेजने के 28 दिनों बाद तक लाखों किसानों को मुआवजा नहीं मिला है। दूसरी तरफ भिंड जिले के 46 गांवों में ओला-पाला पीड़ित किसानों को बांटे गए 72.43 करोड़ रुपये के मुआवजे में बड़े घोटाले का खुलासा हुआ है। कांग्रेस का आरोप है कि 2017 से 2020 के दौरान कोटवार, पटवारी, तहसीलदार, आरआई, एसडीएम ने उन गांवों में ओला-पाला का नुकसान दिखाकर कागजों पर ही करीब 15 करोड़ रु. का मुआवजा बांट दिया। जबकि जहां नुकसान हुआ था, वहां के पीड़ित किसानों को एक रुपए भी नहीं मिला। किसान राजेश सिंह को मुआवजा मिलना लोगों ने था, लेकिन राशि बादाम सिंह को दे दी गई। विधानसभा में मामला उठते ही हंगामा मच गया। बाद में सरकार ने सदन में स्वीकार कि हां, भुगतान में भ्रष्टाचार हुआ है।