एमपी में अब तक 1192 बच्चे हुए कोरोना संक्रमित, आज से खुले दसवीं-बारहवीं के स्कूल

अभिभावक बच्चों की सेहत के लिए फिक्रमंद, समझ नहीं पा रहे बच्चों को स्कूल भेजना कितना सुरक्षित होगा

Updated: Dec 18, 2020, 05:42 PM IST

Photo Courtesy: Jagran
Photo Courtesy: Jagran

भोपाल। कोरोना संक्रमण काल में शिवराज सरकार ने राज्य में दसवीं और बारहवीं के स्कूल खोलने की अनुमति दे दी है। शुक्रवार से प्रदेश में दसवीं और बारहवीं के स्कूल खुल चुके हैं। लेकिन बच्चों के अभिभावक अपने बच्चों की सेहत के लिए फिक्रमंद हैं। वे इस असमंजस में हैं कि आखिर बच्चों को इस संक्रमण काल में स्कूल भेजें या नहीं। 

अभिभावकों की यह फिक्र बेवजह नहीं है। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े बताते हैं कि प्रदेश में मार्च से लेकर अब तक 13 से 17 साल की उम्र वाले 1192 बच्चे कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं। जबकि एक की मौत भी हुई है। ऐसे में अभिभावकों की फ़िक्र जायज़ मालूम पड़ती है। 

दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट के मुताबिक माध्यमिक शिक्षा मंडल और टीन एजर हेल्पलाइन में इन दिनों पैरेंट्स के रोजाना 70-80 कॉल पहुंच रहे हैं। कोरोना के चलते बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर डरे हुए ज्यादातर अभिभावक यही जानना चाहते हैं कि ऐसे हालात में बच्चों को स्कूल भेजना कितना सुरक्षित होगा ?

बच्चा अब तक कोरोना से बचा हुआ है। स्कूल सही तरीके से सैनिटाइज होगा या नहीं?क्या स्कूलों में कोरोना से बचाव के पूरे इंतजाम होंगे? डिस्टेंसिंग मेंटेन होगी या नहीं? स्कूल में कोरोना गाइडलाइन के पालन की मॉनिटरिंग कैसे होगी? ऐसे सवाल अभिभावक रोज़ाना पूछ रहे हैं। यहां गौर करने वाली बात यह है कि जल्द ही स्कूलों में सर्दी की छुट्टियां भी शुरू हो जाएंगी। ज़्यादातर स्कूलों में 25 दिसंबर से अवकाश शुरू हो जाएंगे। तो ऐसे में अभिभावक यह पूछ रहे हैं कि आखिर केवल पांच दिनों के लिए स्कूल क्यों खोले गए हैं।

मध्यप्रदेश पालक महासंघ के अध्यक्ष कमलेश तिवारी ने भास्कर को दिए अपने एक बयान में कहा है कि राज्य सरकार ने स्कूलों के दबाव में यह फैसला लिया है। स्कूलों में बच्चों की सेफ्टी पर कोई कुछ बोलने के लिए तैयार नहीं है। दरअसल निजी स्कूल से जुड़े कुछ संगठन लगातार राज्य सरकार से दसवीं और बारहवीं के स्कूल खोलने की मांग कर रहे थे। 

निजी संगठनों का कहना था कि स्कूल न खुले होने की वजह से वे अपने कर्मचारियों को वेतन दे पाने में अक्षम है। जिसके परिणामस्वरूप प्रदेश के 70 लाख परिवारों के ऊपर रोज़ी रोटी का संकट खड़ा हो गया है। निजी संगठनों ने राज्य सरकार को स्कूल खोलने का अल्टीमेटम देते हुए यह धमकी दी कि अगर सरकार जल्द स्कूल नहीं खोलती है तो वे सीएम हाउस का घेराव करेंगे और अपने आंदोलन को तेज कर देंगे। शिवराज सरकार ने निजी संगठनों के विरोध को देखते हुए स्कूल खोलने की अनुमति तो दे दी। लेकिन सरकार के इस फैसले ने बच्चों के अभिभावकों को परेशानी में डाल दिया है।