ICAR की काउंसलिंग से बाहर किए गए MP के छात्र, दिग्विजय सिंह ने केंद्रीय कृषि मंत्री को लिखा पत्र
दिग्विजय सिंह ने कहा कि मध्य प्रदेश में १२ वीं पास हजारों कृषि विद्यार्थियों के साथ अन्याय हो रहा है। वे 2025 परीक्षा में सफलता प्राप्त करने के बावजूद काउंसलिंग में अयोग्य ठहराए जा रहे हैं। जिसकी वजह से हजारों प्रतिभाशाली छात्रों को केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालयों एवं स्वायत्तशासी कृषि महाविद्यालयों में प्रवेश का अवसर नहीं मिल पा रहा है।

भोपाल। राज्यसभा सांसद एवं मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखकर मध्य प्रदेश माध्यमिक शिक्षा मंडल (MPBSE) से 12वीं कक्षा में कृषि विषय में उत्तीर्ण विद्यार्थियों को ICAR (Indian Council of Agricultural Research) की काउंसलिंग प्रक्रिया से बाहर किए जाने पर गहरी आपत्ति दर्ज कराई है।
पूर्व मुख्यमंत्री ने केंद्रीय कृषि मंत्री को संबोधित पत्र में कहा है कि मध्य प्रदेश माध्यमिक शिक्षा मंडल से कृषि विषयों — AG-1, AG-2, AG-3 — का अध्ययन कर 12वीं कक्षा उत्तीर्ण करने वाले छात्र, ICAR-UG 2025 परीक्षा में सफलता प्राप्त करने के बावजूद काउंसलिंग में अयोग्य ठहराए जा रहे हैं। ICAR की पात्रता सूची (Eligible Essential Subjects) से इन विषयों को बाहर रखा गया है। परिणामस्वरूप प्रदेश के हजारों प्रतिभाशाली छात्रों को केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालयों एवं स्वायत्तशासी कृषि महाविद्यालयों में प्रवेश का अवसर नहीं मिल पा रहा है।
पूर्व सीएम ने इस पूरे मामले में उदाहरण प्रस्तुत करते हुए बताया कि मध्य प्रदेश के छात्र अनिरुद्ध (Application No. 253510240955), जिन्होंने CUET-UG 2025 परीक्षा में देश में प्रथम स्थान प्राप्त किया, को केवल इस आधार पर ICAR काउंसलिंग से बाहर कर दिया गया कि उन्होंने मध्यप्रदेश बोर्ड से कृषि विषय में 12वीं उत्तीर्ण की है। यह निर्णय न केवल शैक्षणिक दृष्टि से अन्यायपूर्ण है बल्कि मध्यप्रदेश की शैक्षणिक प्रतिष्ठा पर भी गंभीर आघात है।
पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने इस मामले में टिप्पणी करते हुए कहा कि ICAR द्वारा मध्यप्रदेश माध्यमिक शिक्षा मंडल के कृषि विषयों को मान्यता न देना प्रदेश के हजारों छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है। यह न केवल विद्यार्थियों के साथ अन्याय है बल्कि मध्यप्रदेश के कृषि शिक्षा के गौरव को भी ठेस पहुँचाता है। सरकार को तुरंत हस्तक्षेप कर इस नीति में बदलाव करना चाहिए।
उन्होंने मांग करते हुए कहा कि ICAR की पात्रता सूची में मध्यप्रदेश बोर्ड के कृषि विषयों (AG-1, AG-2, AG-3) को सम्मिलित किया जाए। साथ ही मध्य प्रदेश के विद्यार्थियों को देश के सभी केंद्रीय व स्वायत्तशासी कृषि विश्वविद्यालयों में प्रवेश के समान अवसर प्रदान किए जाएँ। पूर्व सीएम ने कहा कि इस प्रकार के निर्णय से जनहित पर गहरा प्रभाव पड़ता है। यह निर्णय प्रदेश के हजारों कृषि विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा से वंचित कर रहा है। प्रदेश के ग्रामीण और कृषक परिवारों से आने वाले प्रतिभाशाली छात्र, जो कृषि के क्षेत्र में करियर बनाना चाहते हैं, उनका भविष्य अंधकारमय हो रहा है।
राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने कहा कि शिक्षा के अवसरों में समानता और न्याय सुनिश्चित करने के लिए इस निर्णय की तत्काल समीक्षा आवश्यक है।सिंह ने सरकार से तत्काल हस्तक्षेप की माँग करते हुए कहा कि यदि इस त्रुटिपूर्ण नीति को समाप्त नहीं किया गया तो यह प्रदेश के विद्यार्थियों के भविष्य के साथ एक ऐतिहासिक अन्याय साबित होगा।