भाजपा : वो हैं जरा खफा-खफा

भाजपा में जिला अध्‍यक्षों की नियुक्ति में वरिष्‍ठ नेताओं की अनदेखी

Publish: May 15, 2020, 02:20 AM IST

मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा ने अपनी नई टीम बना ली है। इस टीम में उन्होंने शुरुआत में 24 जिलों में अध्यक्षों की नियुक्ति की है। लेकिन इस टीम में साफतौर पर विष्णु दत्त शर्मा की छाप देखने को मिल रही है। ज्यादातर जिलों में पूर्व युवा मोर्चा या अखिल भारतीय अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े लोग शामिल हुए हैं। 24 लोगों की टीम में ज्यादातर युवा हैं। इसको लेकर भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेताओं में नाराजगी देखी जा रही है।

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दरअसल विष्णु दत्त शर्मा ने जब से कमान संभाली है तभी से युवाओं को प्रमुखता देने की बात चल रही है लेकिन इसी के साथ साथ वरिष्ठ नेताओं की लगातार अनदेखी भी हो रही है। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता भीतरी तौर पर इस तरह की कोशिशों से नाराज हैं। हाल में ही जो 24 जिला अध्यक्ष बनाए गए हैं उनमें से ज्यादातर 40 साल से कम उम्र के हैं। कुल 24 जिलों में से 16 अध्यक्ष 40 साल या उससे कम उम्र के हैं। बहुत सारे नेता पूर्व में जिला महामंत्री, जिला मंत्री जैसे पदों पर थे। उन्हें उम्मीद थी कि भविष्य में जिला अध्यक्ष के पद पर पहुंचेंगे। लेकिन विष्णु दत्त शर्मा ने उनके अरमानों पर पानी फेर दिया। दरअसल विष्णुदत्त शर्मा खुद भी लंबे समय तक अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के नेता रहे हैं। इसके अलावा वह नेहरू युवा केंद्र में भी बड़े पद पर रहे। इसी वजह से उनका युवाओं में खासा संपर्क है। इसी रणनीति के तहत उन्होंने संगठन में युवाओं को आगे लाने की दिशा में काम किया है। लेकिन इस कोशिश में पार्टी के वरिष्ठ नेता पीछे छूट गए हैं। जैसे इंदौर में जिला अध्यक्ष के तौर पर गौरव रणदीप की नियुक्ति ने कई सारे नेताओं को नाराज किया है। भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता उमेश शर्मा के समर्थन में सोशल मीडिया पर लगातार पोस्ट लिखी जा रही है। हाल में ही कांग्रेस पार्टी के मध्य प्रदेश के मीडिया प्रभारी जीतू पटवारी ने भी इस विषय में एक ट्वीट भी किया था कि भाजपा जमीनी कार्यकर्ताओं को नजरअंदाज करके दूसरे कार्यकर्ताओं को आगे बढ़ा रही है। भारतीय जनता पार्टी से जुड़े कई और नेता भी उमेश के समर्थन में सोशल मीडिया पर अपना विरोध दर्ज करा रहे हैं।

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असल विरोध सिर्फ वरिष्ठ नेताओं को जिलाध्यक्ष न बनाने का नहीं है, बल्कि उनकी सहमति न लेने का भी है। क्यूंकि अब तक भाजपा में यह परंपरा रही थी कि संगठन की नियुक्तियों में स्थानीय वरिष्ठ नेताओं की सहमति ली जाती थी। लेकिन इस बार कई नेताओं को लिस्ट आने के बाद ही यह जानकारी लगी।

अब विष्णुदत्त शर्मा की अगली चुनौती प्रदेश कार्यकारिणी का गठन है। उम्मीद कि जा रही है कि प्रदेश कार्यकारिणी में वरिष्ठ नेताओं को शामिल किया जाये। यदि ऐसा होता है तो शायद विद्रोह की आग दब जाए लेकिन अगर ऐसा नहीं हुआ तो फिर हालात मुश्किल हो सकते हैं।

कहा यही जा रहा है कि अब युवाओं के हाथ में ही मध्य प्रदेश भारतीय जनता पार्टी की कमान होगी लेकिन अगर युवाओं के हाथ में कमान होगी तो वरिष्ठ नेता क्या करेंगे यह भी सोचना और बताना बाकी है।