RTI एक्ट को बेकार किया जा रहा है, सूचना आयोगों में खाली पदों को लेकर सुप्रीम कोर्ट की तल्ख टिप्पणी
अब सूचना के अधिकार को ही खत्म करने की साजिश रची जा रही है। इसके तहत सूचना आयोगों में भर्तियां नहीं की जा रही हैं: कांग्रेस
नई दिल्ली। देशभर में सूचना आयुक्तों के पद खाली हैं। सर्वोच्च अदालत ने राज्य और केंद्रीय सूचना आयोगों में खाली पदों पर चिंता जताई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम को बेकार नहीं बनाया जा सकता। ऐसा आयोगों को निष्क्रिय रखकर नहीं किया जा सकता।
याचिकाकर्ता अंजलि भारद्वाज की ओर से वकील प्रशांत भूषण ने देश में सूचना आयोगों की खराब स्थिति बताई थी। भूषण ने कहा कि सूचना आयोगों में भारी रिक्तियों के कारण, विभागों से कोई जानकारी नागरिकों तक नहीं पहुंच रही है। हर कोई RTI अधिनियम को खत्म करने की कोशिश कर रहा है, क्योंकि कोई भी सरकार नागरिकों को जानकारी नहीं देना चाहती।
केंद्रीय सूचना आयोग (CIC) में सूचना आयुक्तों की नियुक्ति के लिए चयन प्रक्रिया को पूरा करने में केंद्र के सुस्त रवैये पर आपत्ति जताते हुए उच्चतम न्यायालय ने कहा कि केंद्र सरकार हमें दो हफ्तों में रिक्तियों को भरने की बाहरी सीमा बताए। सुप्रीम कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि कानून के तहत एक संस्था बनाने और उसे क्रियाशील न रखने का क्या फायदा?
इसे लेकर विपक्षी दल कांग्रेस ने भी केंद्र सरकार को निशाने पर लिया है। कांग्रेस ने एक ट्वीट में लिखा, 'कांग्रेस की सरकार ने जनता को 'सूचना का अधिकार' (RTI) दिया, जिससे लोग किसी भी योजना, किसी भी सरकारी काम की जानकारी पा सकें और व्यवस्था में पारदर्शिता कायम हो। अब सूचना के अधिकार को ही खत्म करने की साजिश रची जा रही है। इसके तहत सूचना आयोगों में भर्तियां नहीं की जा रही हैं।'
कांग्रेस ने कहा कि सुनियोजित तरीके से सूचना के अधिकार को खत्म करने की चाल चली जा रही है। ऐसा इसलिए कि कोई भी सूचना देना नहीं चाहता है, क्योंकि सूचनाएं पारदर्शिता को कायम करती हैं और जिम्मेदारी तय करती हैं। RTI कानून को बचाने के लिए जरूरी कदम उठाने की जरूरत है, सूचना आयोगों में खाली पड़े पदों को भरने की जरूरत है।