MP में सफर के लिए ‘सफर’ करने को मजबूर जनता

मध्यप्रदेश में नहीं थम रहा बस आपरेटरों और सरकार विवाद, दोनों की तनातनी में परेशान हो रही आम जनता

Publish: Jun 25, 2020, 04:38 AM IST

Photo courtesy : times of india
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अगर आप मध्यप्रदेश में बस से सफर करने की तैयारी में हैं, तो अपना प्लान बदल दें क्योंकि अभी बस संचालकों और सरकार के बीच की बात बनी नहीं है। मध्यप्रदेश में बस ऑपरेटरों और सरकार में तनातनी का खामियाजा जनता को भुगतना पड़ रहा है। बस आपरेटरों का कहना है कि जब तक लॉकडाउन के दौरान अप्रैल और मई के महीनों में हुए नुकसान की भरपाई नहीं होगी तबतक बसें नहीं चलाएंगे।

सूने पड़े हैं प्रदेश के बस अड्डे, यात्रियों का कर रहे इंतजार

यात्रियों की भीड़ से गुलजार रहने वाले मध्य प्रदेश के बस स्टैंड इन दिनों सूने पड़े हैं। ना वहां कोई भी यात्री है, और ना ही बसें। कहने को तो अनलॉक वन है, कई ट्रेनें भी चलाई जा रही हैं। लेकिन चुनिंदा ट्रेनों से हर आम आदमी की समस्या तो हल नहीं हो सकती है। बसें बंद होने का खामियाजा सबसे ज्यादा ग्रामीण अंचल के रहवासियों को भुगतना पड़ रहा है। कई गरीब परिवारों के पास ना तो खुद का वाहन है और ना ही टैक्सी या दूसरे साधन से यात्रा करने की सुविधा।  

टैक्स को लेकर है सरकार और बस ऑपरेटरों में विवाद

बस ऑपरेटर सरकार से लॉकडाउन की अवधि का टैक्स माफ करने की गुहार लगा रहे हैं। वहीं सरकार ने फिलहाल एक जून से सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए आधी सवारियों के साथ बस चलाने की परमीशन दे दी है। बस ऑपरेटर आधी सवारी लेकर यात्रा नहीं करना चाहते, उनका कहना है कि वो पहले से ही घाटे की मार झेल रहे हैं। कम सवारी लेकर चलने से उनकी रोज की लागत ही पूरी नहीं होती। वहीं रही सही कसर रोजाना मंहगे होते पेट्रोल डीजल के दामों ने पूरी कर दी है। बस ऑपरेटरों ने सरकार से 6 महीनें का टैक्स माफ करने की मांग की थी। लेकिन इसे लेकर सरकार की ओर से कोई फैसला नहीं आया। सरकार ने उज्जैन, भोपाल और इंदौर संभाग के जिलों में 50 प्रतिशत सीट और बाकी जिलों में सामान्य तौर से सवारियों को बैठाने की परमीशन दी थी। लेकिन फिलहाल बस ऑपरेटर्स अपनी मांगों को लेकर अड़े हुए हैं। बिना टैक्स माफी के बसें नहीं चलेंगी।

बस ऑपरेटरों की क्या है मांग

बस ऑपरेटरों का कहना है कि लॉकडाउन तो खुल गया है, लेकिन कोविड-19 के कारण यात्रियों की संख्या काफी कम हो गई है। दिसंबर तक यह स्थिति बनी रह सकती है, इसलिए लॉकडाउन अवधि के साथ दिसंबर 2020 तक का बसों का टैक्स माफ किया जाए। वहीं बिजनेस में मंदी के मद्देनजर बस आपरेटरों ने कर्ज की राशि के ब्याज में छूट और किश्तों की सीमा बढ़ाने की मांग भी की है। उनकी मांग है कि सरकारी बीमा कंपनियां लॉकडाउन अवधि का बीमा तीन माह बढ़ाएं, जिसके लिए सरकार उन्हे निर्देश जारी करे। बस आपरेटरों का तर्क है कि डीजल के दाम बढ़ रहे हैं, ऐसे में यात्री किराया 50 प्रतिशत तक बढ़ाया जाए। टोल नाकों पर बसों को टोल टैक्स से मुक्त किया जाए। गौरतलब है कि मध्य प्रदेश में बसें बंद होने के कारण करीब 60 हजार ड्राइवरों और 90 हजार कंडक्टर-क्लीनर बेरोजगार हो गए हैं।

22 मार्च को जनता कर्फ्यू और 24 से टोटल लॉकडाउन के दौरान बसें नहीं चलीं। एक जून को अनलॉक होने के बाद बस ऑपरेटर और सरकार के बीच का विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा ।जिससे आम आदमी को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। बस में यात्रा करने वालों का इंतजार कब खत्म होगा ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा। एक बात तो तय है कि बढ़ते संक्रमण के कारण सरकार फुल सवारी बैठाने की परमीशन नहीं देगी। और ना ही बसों का टैक्स कम करके सरकार का खजाना खाली रखेगी। दूसरी तरफ बस ऑपरेटर घाटे का सौदा करके बस चलाएंगे नहीं।