40 साल बाद अब पीथमपुर में जलेगा यूनियन कार्बाइड का जहरीला कचरा, 126 करोड़ रुपए होंगे खर्च

केंद्र सरकार ने पीथमपुर स्थित कंपनी को 126 करोड़ रुपए दे दिए हैं। कंपनी में 337 टन जहरीला कचरा जलाया जाएगा। इसे लेकर स्थानीय लोग चिंतित हो गए हैं। उन्हें डर है कि इससे उनकी जिंदगी पर खतरा आ सकता है।

Updated: Jul 25, 2024, 03:26 PM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड कारखाना के गोदाम में मौजूद 337 मैट्रिक टन जहरीले कचरे काे पीथमपुर में जलाया जाएगा। इसकी तैयारी भोपाल गैस त्रासदी राहत एवं पुनर्वास विभाग, सेंट्रल पाल्युशन बोर्ड और पीथमपुर इंडस्ट्रियल वेस्ट मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड ने कर ली है। वन एवं पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने कचरे को यूका फैक्ट्री से इंसीरेनेटर तक पहुंचाने और निपटान के लिए 126 करोड़ रुपए का फंड ट्रांसफर कर दिया है।

यूनियर कार्बाइड के जहरीले कचरे का 40 साल बाद अब निपटारा होगा। इस 337 मीट्रिक टन जहरीले कचरे को इंदौर के पीथमपुर स्थित रामकी कंपनी में जलाया जाएगा। रामकी ने टेंडर प्रक्रिया पूरी कर ली है। हालांकि कचरे के निपटान की यह प्रक्रिया कब से शुरू करेंगे, इसकी तारीख अभी तय नहीं है। अब विभाग के अफसर और रामकी कंपनी के मैनेजमेंट इसको लेकर चर्चा कर तैयारी कर रहे हैं। इसमें सबसे अहम हिस्सा कचरे के भोपाल स्थित प्लांट से पीथमपुर के रामकी इन्सीनरेटर तक के लगभग 250 किलोमीटर तक के परिवहन का रहेगा। यह किस तरह से किया जाएगा और कब से इसे शुरू करना है इसी को लेकर अभी बातचीत चल रही है।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 2015 में यूनियन कार्बाइड के वेस्ट के कुछ हिस्से को पीथमपुर के रामकी कंपनी में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अफसरों के निर्देशन में जलाकर टेस्ट करके देखा था। यह प्रयोग सफल रहा था। उसके बाद रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट भेज दी थी। इसके बाद तय किया गया कि पूरे कचरे को रामकी कंपनी में ही जलाया जाएगा, लेकिन खर्च केंद्र सरकार को वहन करना होगा। इसी के चलते पिछले दिनों राशि ट्रांसफर की गई है।

बताया जा रहा है कि रासायनिक कचरे को समाप्त करने के लिए जुलाई 2023 में निरीक्षण समिति ने निर्णय लिया था। इसके निपटान में 185 से 377 दिन लगेंगे, जिसके लिए 126 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। कचरा निपटान के दौरान पीथमपुर के पर्यावरण पर हुए असर की मॉनीटरिंग भी केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड करेगा। इसकी रिपोर्ट पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय भेजी जाएगी।