पटवारी भर्ती परीक्षा में धांधली वाले NRI कॉलेज में तीन साल से नहीं हुए एडमिशन, यहां सिर्फ परिक्षाएं होती है

भाजपा विधायक संजीव कुशवाह के मुताबिक पहले उन्होंने पटवारी भर्ती परीक्षा के लिए कॉलेज देने से मना कर दिया था। फिर कंपनी के लोग ग्वालियर कलेक्टर का आदेश लिखवाकर ले आए। इसलिए वह एग्जाम के लिए कॉलेज देने को मजबूर हुए।

Updated: Jul 24, 2023, 10:54 AM IST

ग्वालियर। मध्य प्रदेश पटवारी भर्ती परीक्षा में धांधली की खबर आने के बाद से ग्वालियर का NRI कॉलेज सुर्खियों में है। पटवारी भर्ती परीक्षा परिणाम के टॉप 11 में से 8 टॉपर ने इसी कॉलेज में परीक्षा दी थी। टॉपर्स की लिस्ट वायरल होते ही हंगामा खड़ा हो गया। अभ्यर्थियों ने सवाल उठाए कि उस कॉलेज में ऐसी क्या खासियत है जो वहां परीक्षा देने वाले टॉप कर गए।

NRI कॉलेज को लेकर अब कई तरह के खुलासे हो रहे हैं। यह कॉलेज इंजीनियरिंग और मेडिकल की पढ़ाई के लिए खोला गया था। भाजपा विधायक संजीव कुशवाहा इसके मालिक हैं। NRI कॉलेज का एडमिनिस्ट्रेशन देखने वाले वीके गर्ग ने मीडिया को बताया कि इंजीनियरिंग कॉलेज अंडर क्लोजर है, यानी जल्द ही बंद होने वाला है। NRI इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी मैनेजमेंट RGPV से एफिलिएटेड है।

गर्ग के मुताबिक पिछले 3 साल से यहां कोई एडमिशन नहीं हुए। 3 साल पहले जिन बच्चों ने एडमिशन लिया था, उनके अभी एक-दो सेमेस्टर का कोर्स बचा है। इसीलिए अभी कॉलेज में सिर्फ एग्जाम हो रहे हैं। कुछ लोगों का स्टाफ भी है। जिसमें प्रिंसिपल और कुछ प्रोफेसर हैं। NRI नर्सिंग कॉलेज की बात करें, तो 3 साल पहले तक ये जबलपुर मेडिकल कॉलेज से एफिलिएटेड था। 3 साल से इसका एफिलिएशन खत्म है, इसीलिए यहां एडमिशन बंद है।

कॉलेज के प्रिंसिपल कौशिक ने मीडिया को बताया कि हमारे दोनों कॉलेज बंद हैं। एक पुराना लास्ट बैच बचा हुआ है। यूनिवर्सिटी की तरफ से एग्जाम पोस्टपोन कर दिए गए थे, इसलिए उस बैच के स्टूडेंट्स के फाइनल एग्जाम नहीं हो पाए हैं। इसके अलावा कॉलेज में कॉम्पिटिटिव एग्जाम कराए जाते हैं। NRI कॉलेज के व्यवस्थापक अमित श्रीवास्तव ने बताया कि पटवारी भर्ती परीक्षा इंजीनियरिंग कॉलेज में हुई थी। यहां करीब 200 कम्प्यूटर हैं। यहां 150 स्टूडेंट्स बैठकर ऑनलाइन एग्जाम दे सकते हैं। कॉलेज में 7-8 लोगों का स्टाफ है। प्रिंसिपल, प्रोफेसर और कुछ सफाइकर्मी हैं।

भर्ती परीक्षा को लेकर भाजपा विधायक संजीव कुशवाह ने कहा कि पहले उन्होंने एग्जाम के लिए कॉलेज देने से मना कर दिया था। फिर कंपनी के लोग ग्वालियर कलेक्टर का आदेश लिखवाकर ले आए। मुझे मजबूरी में एग्जाम के लिए कॉलेज देना पड़ा। मैंने ये भी सोचा कि कॉलेज में बच्चे नहीं थे। रखे-रखे कम्प्यूटर खराब ना हों इसलिए भी एग्जाम के लिए कॉलेज उपलब्ध करा दिया। परीक्षा में कॉलेज केवल इंफ्रास्ट्रक्चर उपलब्ध कराता है। सेटअप पूरा कर्मचारी चयन मंडल का रहता है। परीक्षा सीसीटीवी की निगरानी में होती है। एग्जाम में ड्यूटी का निर्धारण भी कर्मचारी चयन मंडल ही करता है। इसमें कॉलेज का कोई रोल नहीं है। अब तो मुख्यमंत्री ने जांच के आदेश दे दिए हैं, तो सब दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा।