आसान नहीं है स्कूल की डगर: कंधे पर बस्ता, हाथों में चप्पल... 3 KM कीचड़ से होकर जाते हैं बच्चे
स्कूल चले हम अभियान पर बड़ी राशि खर्च करने के बाद भी ग्रामीण क्षेत्रों में स्कूलों की हालत तो खस्ता है ही, वहां तक बच्चों का पहुंचना भी किसी चुनौती से कम नहीं है।
राजगढ़। मध्य प्रदेश सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा को लेकर बड़े-बड़े दावे करना, कोई नई बात नहीं है। "स्कूल चलें हम" अभियान पर बड़ी राशि खर्च करने के बाद भी ग्रामीण क्षेत्रों में स्कूलों की हालत तो खस्ता है ही, वहां तक बच्चों का पहुंचना भी किसी चुनौती से कम नहीं है। जब स्कूल पहुंचने में मार्ग ही बाधा बन जाए तो बच्चे क्या करें? ऐसी ही स्थिति राजगढ़ जिले में है।
जिले के सारंगपुर विधानसभा अंतर्गत ग्राम आसारेटा पंवार के सरकारी स्कूल में अध्ययन करने वाले अलुनी गांव के स्कूली बच्चें भी इसी मुश्किल से जूझ रहे हैं। क्योंकि अलोनी गांव से आसारेटा पंवार गांव तक आजादी से लेकर अब तक पक्की सड़क बनी ही नहीं है। कुछ दिनों के बाद आजादी के 77 वर्ष बीत जाएंगे लेकिन पक्की सड़क की टकटकी लगाए विकास की राह देख रहे हैं ग्रामीणों की आस अभी अधूरी ही नजर आ रही है।
सारंगपुर विकासखंड के ग्राम अलोनी से आसारेटा पंवार गांव की दूरी लगभग तीन किलोमीटर है। रास्ते में अन्य गांव भी हैं। ये रास्ता बारिश के मौसम में चलने के लायक नहीं होता। अलुनी गांव के दर्जनों बच्चे इसी रास्ते से गुजर कर पढने आसारेटा पंवार गांव जाते हैं। कीचड़ की वजह से उनको देरी तो होती ही है साथ में उनके कपड़े भी खराब होते हैं और गिरने से चोटिल भी होते हैं। लेकिन कोई सुध लेने वाला नहीं है।
ग्रामीणों का कहना है कि एक ओर तो सरकार दावे करती है कि प्रदेशभर में जगह-जगह सड़कों का जाल बिछ गया है। लेकिन इस मार्ग पर कीचड़ ही कीचड़ है। इस ओर शासन एवं प्रशासन को ध्यान देना चाहिए और पक्का सड़क मार्ग बनना चाहिए।
मामले पर पीडब्ल्यूडी के एसडीओ दीपक कुमार ने कहा कि यदि पीडब्ल्यूडी के माध्यम से हो सकता है तो जरूर करेंगे। जनप्रतिनिधियों से इस संबंध में चर्चा करेंगे। पक्की सड़क का निर्माण कराया जाए ताकि विद्यार्थियों और ग्रामीणों को कोई समस्या न हो।