टाइगर स्टेट में पोचर्स बेखौफ, पेंच के बफर जोन में टाइगर हंट का मामला, पंजे काटकर ले गए
वन्य प्राणी सुरक्षा सप्ताह के पहले दिन ही बाघ का शिकार, मध्य प्रदेश में खुलेआम घूम रहे शिकारी, अंतरराष्ट्रीय बाजार में करोड़ों रुपए में बेचा जाता है खाल

छिंदवाड़ा/सिवनी। टाइगर स्टेट मध्य प्रदेश में टाइगर हंट की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही है। आए दिन यहां बाघों की संदिग्ध मौत हो रही है। शनिवार सुबह पेंच टाइगर रिजर्व से लगे बफर जोन के कोर एरिया में बीच नदी में एक बाघ मृत अवस्था में पाया गया है। शुरुआती तौर पर संदेह जताया जा रहा है कि बाघ को करंट लगाकर मारा गया है। जब देशभर में वन्य प्राणी सुरक्षा सप्ताह मनाया जा रहा हो, तब एमपी में टाइगर हंटिग की घटना वन विभाग पर गंभीर सवाल खड़े करता है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक पेंच टाइगर रिजर्व के बफर जोन में बादल पार और कोना पिंडरई के बीच पेंच नदी में कुछ मछुआरों ने आज बाघ का शव नदी में उतराते हुए देखा। मछुआरों ने इस बात की जानकारी वन विभाग को दी। सूचना मिलने के बाद वन महकमा मौके पर पहुंचा। मौके पर डाग स्क्वायड भी मौजूद है।
बताया जा रहा है कि नदी में जिस बाघ का शव मिला है वह है 2 से 3 वर्ष का है। यह नर बाघ की मौत किस कारणों से हुई इसको लेकर वन विभाग की टीम ने चुप्पी साध ली है। वन विभाग के चिकित्सक डॉ अखिलेश मिश्रा ने ये कहकर पल्ला झाड़ लिया कि हम पोस्टमार्टम की तैयारी कर रहे हैं, उसके बाद ही कुछ कहा जा सकता है। हालांकि, बाघ का पंजा कटा हुआ है, जिससे स्पष्ट है कि शिकारियों ने ही उसकी हत्या की हो।
पेंच टाइगर रिजर्व में टाइगर का शिकार
— ajay dubey (@Ajaydubey9) October 1, 2022
पंजा काटा
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बता दें कि मध्य प्रदेश में बाघों की मौत का सिलसिला जारी है। हाल ही में उमरिया स्थित बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में बाघिन का शव मिला था। मृत बाघिन की लगभग उम्र 10 से 11 साल के बीच थी। इससे पहले सतपुड़ा टाइगर रिजर्व क्षेत्र की देवखला बीट में गश्ती के दौरान बीट गार्डों को एक मादा बाघ का शव मिला था। पन्ना-कटनी राजमार्ग पर बाघ का शव मिलने की घटना सामने आ चुकी है।
मध्य प्रदेश को टाइगर स्टेट का दर्जा दिलाने में 124 बाघों के साथ बांधवगढ़ ने अहम भूमिका निभाई थी, लेकिन पिछले तीन सालों में बांधवगढ़ ने अपने दो दर्जन से ज्यादा बाघ खो दिए हैं। बांधवगढ़ में 2 साल के अंदर तीन बाघिन और तीन शावकों का शिकार हो गया बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में लगातार हो रही बाघों की मौतों से मध्य प्रदेश को मिला बाघ स्टेट का दर्जा भी खतरे में पड़ सकता है।
एक्सपर्ट्स का कहना है कि राज्य सरकार पोचर्स को ठिकाने लगाने में असफल है। पेंच, कूनो और कान्हा इलाके में अब भी कई खतरनाक शिकारी बेखौफ घूम रहे हैं। उनमेन, मोहर पारदी, रामपूजन पारदी, बासु पारदी, रामवीर पारदी समेत कई इनामी शिकारी जो वांटेड हैं, वह इन क्षेत्रों में आसानी से भ्रमण करते मिल जाएंगे। लेकिन वन विभाग को उसकी कोई जानकारी तक नहीं होती। अंतरराष्ट्रीय बाजार में एक बाघ का खाल करीब 6 करोड़ रुपए में बेचा जाता है।