साजिश के तहत पोस्टर बैलेट के साथ हुई छेड़छाड़, बालाघाट कलेक्टर के खिलाफ दर्ज हो आपराधिक प्रकरण: विशाल बिसेन
भाजपा प्रत्याशी गौरीशंकर बिसेन के भतीजे विशाल बिसेन ने आरोप लगाया कि बालाघाट कलेक्टर ने सोची समझी साजिश के तहत पोस्टर बैलेट की पेटियां खुलवाई
बालाघाट। वोटिंग से पहले मध्य प्रदेश के बालाघाट में पोस्टल बैलेट के साथ छेड़छाड़ का मामला शांत नहीं हो रहा है। कांग्रेस की शिकायत के बाद मामले में तहसीलदार के बाद एसडीएम गोपाल सोनी को भी निलंबित कर दिया गया है। वहीं, अब बालाघाट के प्रत्याशी कलेक्टर के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
भाजपा प्रत्याशी गौरीशंकर बिसेन के भतीजे विशाल बिसेन जो निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं उन्होंने जिला कलेक्टर के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए हैं। बुधवार को बालाघाट विधानसभा सीट से निर्दलीय प्रत्याशी विशाल बिसेन ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि दो दिन के भीतर पहले तहसीलदार और फिर बालाघाट एसडीएम को निलंबित करना, यह स्पष्ट करता है कि चुनाव प्रक्रिया में धांधली व गड़बड़ी हुई है।
बिसेन ने सार्टिंग से पहले ही डाक मतपत्रों को साजिश के तहत बदलने का भी आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि डाक मतपत्रों की सार्टिंग के कार्य में जो कर्मचारी स्ट्रांग रूम में थे, उनके खिलाफ तथा जिला निर्वाचन अधिकारी के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज होना चाहिए, क्योंकि ये सोची-समझी साजिश के तहत किया गया कृत्य है। उन्होंने तर्क दिया कि मप्र सहित चार राज्यों में निर्वाचन की प्रक्रिया हुई है, लेकिन इन प्रदेशों के किसी भी जिले में डाक मतपत्रों के सरलीकरण का कार्य बालाघाट के अलावा कहीं नहीं किया गया है।
विशाल बिसेन ने कहा कि 27 नवंबर को दोपहर डेढ़ बजे डाक मतपत्रों की सार्टिंग का जो कार्य जा रहा था, वह नियमानुसार तीन दिसंबर की सुबह सात बजे के बाद करना था। क्योंकि तीन दिसंबर को मतगणना के दिन सुबह तक डाक मतपत्र जमा किए जाते हैं। नियम के विरुद्ध जाकर 27 नवंबर को यह कार्य किया गया, जिसकी जानकारी भी उन्हें नहीं दी गई।
बता दें कि बालाघाट स्ट्रांग रूम में डाक मतपत्रों को गिनने का आरोप लगने के बाद जिला कलेक्टर सहित मतदान दल सवालों के घेरे में आ गया है। कांग्रेस भी लगातार इस मामले पर हमलावर है। कांग्रेस नियम विरुद्ध तरीके से डाक मतपत्रों को गिनने का आरोप लगा रही है। शुरुआत में जिला कलेक्टर ने लीपा पोती की कोशिश की थी। हालांकि, बाद में तहसीलदार और एसडीएम को सस्पेंड करना पड़ा। अब सवाल ये है कि जब कोई छेड़छाड़ नहीं हुई तो दो अधिकारियों को सस्पेंड क्यों किया गया? वहीं, जब छेड़छाड़ का मलाला साफ है तो कलेक्टर के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है।