उपराष्ट्रपति धनखड़ के खिलाफ INDIA गठबंधन का अविश्वास प्रस्ताव, नोटिस पर 60 सांसदों ने किए दस्तखत

अविश्वास प्रस्ताव लाने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। INDIA की पार्टियों के लिए यह बेहद ही कष्टकारी निर्णय रहा है, लेकिन संसदीय लोकतंत्र के हित में यह अभूतपूर्व कदम उठाना पड़ा है: कांग्रेस

Updated: Dec 10, 2024, 07:44 PM IST

नई दिल्ली। संसद के शीतकालीन सत्र में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच जमकर टकराव देखने को मिल रहा है। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और विपक्षी दलों के नेताओं के बीच टकराव सोमवार को चरम पर पहुंच गया था। इस टकराव के बाद विपक्ष ने धनखड़ को उनके कार्यकाल से हटाने के लिए अविश्वास प्रस्ताव लाया है।

विपक्षी सांसदों ने मंगलवार को राज्यसभा के जनरल सेक्रेटरी पीसी मोदी को धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया। इस नोटिस में कांग्रेस पार्टी के अलावा TMC, AAP, सपा, DMK, CPI, CPI-M और RJD समेत अन्य दलों के 60 सांसदों के दस्तखत हैं। विपक्षी दलों ने धनखड़ पर पक्षपातपूर्ण सदन चलाने का आरोप लगाया है।

अविश्वास प्रस्ताव को लेकर कांग्रेस ने कहा कि इसके अलावा कोई विकल्प भी नहीं था। कांग्रेस संचार विभाग के प्रमुख जयराम रमेश ने ट्वीट किया, 'राज्य सभा के माननीय सभापति द्वारा अत्यंत पक्षपातपूर्ण तरीक़े से उच्च सदन की कार्यवाही का संचालन करने के कारण INDIA ग्रुप के सभी घटक दलों के पास उनके ख़िलाफ़ औपचारिक रूप से अविश्वास प्रस्ताव लाने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। INDIA की पार्टियों के लिए यह बेहद ही कष्टकारी निर्णय रहा है, लेकिन संसदीय लोकतंत्र के हित में यह अभूतपूर्व कदम उठाना पड़ा है। यह प्रस्ताव अभी राज्यसभा के सेक्रेटरी जनरल को सौंपा गया है।'

उपराष्ट्रपति को हटाने के लिए किसी भी सदन (राज्यसभा या लोकसभा) के सदस्यों का कम से कम 14 दिन का लिखित नोटिस देना अनिवार्य है। इस नोटिस में उपराष्ट्रपति को हटाने के लिए स्पष्ट कारण होने चाहिए। इस प्रस्ताव पर चर्चा और मतदान संसद के दोनों सदनों में किया जाता है। प्रस्ताव पास होने के लिए दोनों सदनों में उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों के कम से कम दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता होती है। इस दौरान उपराष्ट्रपति को अपनी बात रखने का पूरा अवसर दिया जाता है। यदि प्रस्ताव दोनों सदनों में विशेष बहुमत से पारित हो जाता है, तो उपराष्ट्रपति को उनके पद से हटा दिया जाता है।

विपक्ष ने सभापति के खिलाफ अचानक अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी सोमवार को राज्यसभा की कार्यवाही के संचालन में उनके कथित पक्षपाती व्यवहार को लेकर किया। कांग्रेस तथा टीएमसी के राज्यसभा के दो वरिष्ठ सांसदों ने कहा कि धनखड़ सदन को सत्तापक्ष का औजार बना रहे हैं। और विपक्षी सांसदों को मुद्दे उठाने देना तो दूर उनकी बातों को भी रिकॉर्ड से बाहर कर दे रहे हैं।

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सोमवार को संसद परिसर में मीडिया से बातचीत के दौरान कांग्रेस के कद्दावर नेता दिग्विजय सिंह ने कहा था कि मैं सन 1977 से विपक्ष में भी और सत्ता पक्ष में भी सांसद और विधायक रहा हूं। लेकिन मैंने अपने पूरे राजनीतिक जीवन में कभी इतना पक्षपाती सभापति नहीं देखा है। जिन नियम के तहत मुद्दों को रिजेक्ट कर दिया गया। उस पर हमें बोलने से रोकते हैं, लेकिन सत्ता पक्ष के सांसदों को बोलने दे रहे हैं। आखिर क्यों?'

भारत के इतिहास में पहली बार

यह भारत के संसदीय इतिहास में पहली बार है जब राज्यसभा के सभापति यानी देश के उपराष्ट्रपति के विरुद्ध संसद में अविश्वास प्रस्ताव लाया गया है। इसे संसदीय इतिहास में जगदीप धनखड़ के लिए शर्मिंदगी के रूप में देखा जाएगा।

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इससे पहले अगस्त में भी मॉनसून सत्र के दौरान विपक्ष यह कदम उठाने जा रहा था। सभी इडिया ब्लॉक दलों के 'आवश्यक संख्या में हस्ताक्षर' भी थे, लेकिन उन्होंने प्रस्ताव को आगे नहीं बढ़ने दिया क्योंकि उन्होंने जगदीप धनखड़ को 'एक और मौका' देने का फैसला किया था। हालांकि, अब धनखड़ के रवैए में बदलाव नहीं होता देख विपक्ष ने अविश्वास प्रस्ताव पेश कर दिया है।