MP में विश्वविद्यालयों के प्रोफेसर-कर्मचारियों की हड़ताल शुरू, वेतन, पेंशन समेत ये हैं प्रमुख मांगें

विश्वविद्यालय के शिक्षक और कर्मचारी 17 मई से एक घंटे रोज काम का बहिष्कार होगा। 29 मई से 6 घंटे रोज काम का बहिष्कार करेंगे। मांगे पूरी नहीं होने पर 2 जून से अनिश्चितकालीन हड़ताल होगी।

Updated: May 15, 2023, 06:24 PM IST

भोपाल। चुनावी साल में मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार सभी मोर्चे पर विरोध झेल रही है। छात्र, नौजवान, डॉक्टर, नर्स, वकील, पंचायत प्रतिनिधि समेत सभी वर्ग के लोग अपनी मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। अब प्रदेश के विश्वविद्यालयों के प्रोफेसर-कर्मचारियों ने भी शिवराज सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। प्रदेश की 14 यूनिवर्सिटी के शिक्षक कर्मचारी सोमवार से आंदोलन पर चले गए है।

मध्य प्रदेश विश्वविद्यालय पेंशनर कर्मचारी अधिकारी और शिक्षक संयुक्त संघर्ष समिति के बैनर तले यह चरणबद्ध आंदोलन शुरू किया गया है। विश्वविद्यालय के शिक्षक और कर्मचारी सोमवार से काली पट्टी बांधकर काम कर रहे हैं। बुधवार यानी 17 मई से वह एक घंटे रोज काम का बहिष्कार करेंगे। वहीं, 29 मई से प्रतिदिन 6 घंटे काम का बहिष्कार करेंगे। मांगे पूरी नहीं होने पर 2 जून से अनिश्चितकालीन हड़ताल होगी। इस आंदोलन की वजह से इस सत्र की शिक्षा व्यवस्था प्रभावित हो सकती है। अपनी 9 सूत्रीय मांगों को लेकर विश्वविद्यालयों के कर्मचारी और प्रोफेसर आर-पार की लड़ाई के मूड में हैं।

ये हैं प्रमुख मांगें

* राज्य शासन के कर्मचारियों के समान सातवें वेतन से पेंशन और डीए का भुगतान किया जाए।
* स्थाई कर्मचारियों को तत्काल नियमित किया जाए।
* 2007 के बाद कार्यरत अस्थाई कर्मचारियों को तत्काल वेतन भुगतान किया जाए।
* समन्वय समिति के निर्णय के अनुसार मेडिक्लेम पॉलिसी विश्वविद्यालयों में तत्काल लागू की जाए।
* कुल सचिव पद पर विश्वविद्यालय सेवा के अधिकारियों को पदोन्नत कर नियुक्ति प्रदान की जाए।
* विश्वविद्यालयों में 2005 के बाद नियुक्त अधिकारियों शिक्षकों कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन लागू की जाए।
* श्रम साध्य भत्ते पर पुनर्विचार किया जाए।
* विश्व विद्यालय में कार्यरत कर्मचारियों को तत्काल पदोन्नति का लाभ दिया जाए।
* विश्वविद्यालय कर्मचारियों के हित से जुड़ी मांगों पर समय-समय पर चर्चा की जाए।

मध्य प्रदेश विश्वविद्यालय पेंशनर कर्मचारी अधिकारी और शिक्षक संयुक्त संघर्ष समिति का कहना है कि शासन से कई बार पत्राचार और मुलाकात के जरिए मांगों को पूरा करने की चर्चा हुई है। लेकिन शासन उनकी मांगों पर विचार नहीं कर रहा है। ऐसे में मजबूरन उन्हें हड़ताल शुरू करने का निर्णय लेना पड़ा है।