रामेश्वर शर्मा के बयानों पर उठे सवाल, प्रोटेम स्पीकर का पार्टी प्रवक्ता की तरह बोलना कितना सही

वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं कांतिलाल भूरिया और दिग्विजय सिंह के खिलाफ रामेश्वर शर्मा के बयानों पर पीसी शर्मा ने कहा, पहले मध्य प्रदेश विधानसभा के प्रोटेम स्पीकर का पद छोड़ें फिर करें बयानबाज़ी

Updated: Feb 03, 2021, 07:24 AM IST

Photo Courtesy: Nai Dunia
Photo Courtesy: Nai Dunia

भोपाल। मध्य प्रदेश विधानसभा के प्रोटेम स्पीकर रामेश्वर शर्मा ने पिछले दिनों जिस तरह कांग्रेस नेताओं के ख़िलाफ़ तीखी बयानबाज़ी की है उस पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। रामेश्वर शर्मा भले ही बीजेपी के विधायक हों, लेकिन इस वक्त वे विधानसभा के प्रोटेम स्पीकर भी हैं। इस पद की गरिमा का तकाज़ा है कि उनके बर्ताव और बयानों में निष्पक्षता होनी चाहिए। लेकिन कांग्रेस का आरोप है कि उन्होंने कांग्रेस नेताओं के खिलाफ बयानबाज़ी करके इस मर्यादा को तोड़ा है। 

रामेश्वर शर्मा ने हाल ही में कांग्रेस नेता कांतिलाल भूरिया के बयान पर तीखा पलटवार किया। बीजेपी की तरफ़ से बैटिंग करते हुए उन्होंने कहा कि रामभक्त एक-एक पाई का हिसाब श्री राम जन्मभूमि तीर्थ न्यास क्षेत्र को देंगे। अगर कांग्रेस को हिसाब लेना है तो उसे मज़ारों पर चादर फैलाकर माँगने वालों से हिसाब लेना चाहिए। उनसे पूछना चाहिए कि वे रात को क्या-क्या करते हैं। 

दरअसल कांतिलाल भूरिया ने आरोप लगाया है कि राम मंदिर के नाम पर पिछले कई बरसों में  करोड़ों रुपये जुटाए गए, जिसका कभी हिसाब नहीं दिया गया। उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि बीजेपी के कई लोग अब फिर से राम मंदिर के नाम पर चंदा जुटा रहे हैं और बाद में उस पैसे की शराब पी जाते हैं।

रामेश्वर शर्मा ने भूरिया के इसी बयान पर पलटवार करते हुए कांग्रेस को मज़ार पर चादर फैलाकर पैसे जुटाने वालों से हिसाब माँगने को कहा था। बाद में उन्होंने यह बयान भी दिया कि कांग्रेस ने राम का अपमान किया है। उन्होंने कहा कि ऐसा कोई हिंदू नहीं होगा जो श्रीराम के विषय में अनर्गल बातें सुनकर भी चुप रह जाए, मैंने एक हिंदू होने के नाते अपनी प्रतिक्रिया दी है।

चंदा वसूलने वालों पर सवाल उठाना भगवान का अपमान कैसे?

रामेश्वर शर्मा का यह आरोप भी हैरान करने वाला है। क्योंकि कांतिलाल भूरिया ने अपने बयान में बीजेपी के लोगों पर भले ही आरोप लगाए हों, भगवान राम के बारे में उन्होंने कोई टिप्पणी नहीं की थी। उन्होंने तो राम मंदिर के नाम पर चंदा लेने वालों से हिसाब माँगने की बात कही थी।

भोपाल में पुलिस ने भी फ़र्ज़ी रसीद छपवाकर राम मंदिर के नाम पर चंदा वसूली के धंधे का पर्दाफ़ाश करके एक शख़्स को गिरफ्तार किया है। तो क्या इसे राम का अपमान कहेंगे? इसके विपरीत अगर कोई राम मंदिर के नाम पर कुछ भी गलत कर रहा है, तो उसे रोकने का मतलब भगवान के नाम का ग़लत इस्तेमाल होने से रोकना है। इससे भला भगवान का अपमान कैसे हो सकता है?   

बहरहाल, कांतिलाल भूरिया के आरोपों का जवाब देने का बीजेपी नेताओं को पूरा अधिकार है। लेकिन रामेश्वर शर्मा के बयान पर सवाल इसलिए उठ रहे हैं, क्योंकि प्रोटेम स्पीकर होने के नाते उनसे दलीय विवादों से दूर रहने की उम्मीद की जाती है।

दिग्विजय सिंह के राम मंदिर के लिए दान देने से रामेश्वर शर्मा खुश हैं या नाराज़?

रामेश्वर शर्मा ने इस विवाद में कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह का नाम जिस तरह घसीटा, वह तो और भी हैरान करने वाला है। रामेश्वर शर्मा एक तरफ़ तो ख़ुद ही कह रहे हैं कि दिग्विजय सिंह ने भी राम मंदिर के लिए योगदान किया है और फिर उसी बयान में पूर्व मुख्यमंत्री के बारे में ऐसे-ऐसे शब्दों का इस्तेमाल करते हैं, जिन्हें यहाँ दोहराना भी शालीनता और मर्यादा के ख़िलाफ़ होगा। उनकी बातों से यह समझना मुश्किल है कि दिग्विजय सिंह की तरफ़ से राम मंदिर निर्माण के लिए सीधे ट्रस्ट के खाते में चेक के जरिए योगदान करने की रामेश्वर शर्मा तारीफ़ करना चाहते हैं या आलोचना?

बयानबाज़ी से पहले प्रोटेम स्पीकर का पद छोड़ देना चाहिए : पीसी शर्मा

विशेषज्ञों का मानना है कि विधानसभा स्पीकर पूरे सदन का प्रवक्ता होता है। लिहाज़ा उसे अपने पद की गरिमा का ध्यान रखते हुए दलीय राजनीति में नहीं पड़ना चाहिए। कांग्रेस नेता और प्रदेश के पूर्व मंत्री पी सी शर्मा का कहना है  विधानसभा का स्पीकर सभी दलों के विधायकों का संरक्षक होता है। उसे दलों की सियासत से ऊपर उठकर व्यवहार करना चाहिए। रामेश्वर शर्मा को कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं दिग्विजय सिंह और कांतिलाल भूरिया के ख़िलाफ़ बयानबाज़ी करने से पहले प्रोटेम स्पीकर पद से इस्तीफ़ा दे देना चाहिए था।

छत्तीसगढ़ में पहले आ चुकी है ऐसी नौबत

छत्तीसगढ़ तो एक बार ऐसी नौबत भी आ चुकी है। बीजेपी नेता बनवारी लाल अग्रवाल मार्च 2001 में छत्तीसगढ़ के पहले डिप्टी स्पीकर बने। छत्तीसगढ़ के अलग राज़्य बनने के बाद वहाँ की पहली विधानसभा में विपक्षी दल को डिप्टी स्पीकर का पद देने की परंपरा के तहत बीजेपी विधायक बनवारी लाल अग्रवाल को यह पद दिया गया। लेकिन डिप्टी स्पीकर के पद पर रहते हुए अग्रवाल ने किसी मुद्दे पर अज़ीत जोगी सरकार के ख़िलाफ़ बयान दे दिया। इसे मुख्यमंत्री जोगी ने पद की मर्यादा के ख़िलाफ़ बताते हुए अग्रवाल का इस्तीफ़ा मांग लिया। जिसके बाद उन्हें विधानसभा के डिप्टी स्पीकर पद से इस्तीफ़ा देना भी पड़ा था।