MP में बारिश, बाढ़ और बर्बादी, हजारों लोग हुए बेघर, भूख से तड़प रहे बच्चे, पशुओं की भी हुई दुर्दशा

चंबल नदी किनारे भानपुर गांव के करीब एक हजार लोग बेघर हुए हैं, अकेले मुरैना जिले में 200 गांव बाढ़ की चपेट में हैं, ग्रामीणों के पास खाने पीने का भी व्यवस्था नहीं है, तीन दिन लोग भूखे हैं, छोटे छोटे बच्चे भूख से तड़प रहे हैं लेकिन कोई सुध लेने वाला तक नहीं है

Updated: Aug 26, 2022, 11:33 AM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश में इस हफ्ते की शुरआत में हुई बारिश ने भयंकर कहर बरपाया है। बारिश थमने के बाद अब बाढ़ प्रभावित इलाकों में तबाही का मंजर देखने को मिल रहा है। चंबल संभाग में पिछले 25 वर्षों में तबाही का ऐसा मंजर देखने को नहीं मिला। चंबल नदी के किनारे धौलपुर हाईवे के पास भानपुर गांव के करीब एक हजार लोग बेघर हो गए हैं। लोगों के घर गृहस्थी सब बह गया है। मवेशी भी बाढ़ में बह गए।

भानपुर गांव में प्रशासन ने इन लोगों के खाने-पीने की कोई व्यवस्था नहीं की है। कई ग्रामीणों के मवेशी भी अब तक पानी में फंसे हुए हैं। कितने बह चुके हैं, इसका आकलन अभी नहीं हो पा रहा। लोग प्रशासन से राहत की आस लगाए बैठे हैं। ग्रामीणों के मुताबिक मंगलवार रात 3 बजे अचानक गांव में पानी घुसने लगा। रात में ही उन्हें गांव छोड़कर भागना पड़ा। अचानक बाढ़ आने पर लोग अपना सामान भी नहीं समेट पाए। मवेशियों को भी ले जाने का समय नहीं था। बस किसी तरह अपने बच्चों को लेकर गांव के बाहर ऊंचे स्थान पर बैठ गए। 

जिले के अंबाह विधानसभा अंतर्गत गूंज बंधा गांव में भी यही स्थिति है। लोगों के घरों में पानी भर गया है। बीहड़ के टीलों पर डकैतों के खौफ से जहां लोग नहीं जाते थे, आज वे इन्हीं टीलों पर खुले आसमान के नीचे रात गुजार रहे हैं। यहां पर कुछ लोग करीब तीन दिन से भूख प्यास से तड़प रहे हैं। उन्हें खाना भी नसीब नहीं हो रहा है। मुरैना जिले में करीब 200 गांव डूब चुके हैं। अंबाह क्षेत्र में 50 से अधिक गांव जलमग्न हो चुके हैं। जिले में करीब 25 हजार की आबादी प्राकृतिक कहर झेल रही है।

विदिशा जिले में भी बाढ़ ने जमकर तबाही मचाई। यहां पानी तो अब कम होने लगा है लेकिन ग्रामीणों का सबकुछ बर्बाद हो गया। घरों में सिर्फ कीचड़ भरे हुए हैं। गृहस्थी के सामान सड़ने लगे हैं। खेतों में लगी फसलें पूरी तरह चौपट हो गई। प्रभावित इलाकों में बीमारी फैलने की भी आशंका है। इसी तरह रायसेन में भी बेतवा नदी के किनारे डेढ़ सौ गांव डूब प्रभावित थे। बाढ़ का पानी तो नीचे उतरने लगा है, लेकिन बर्बादी पीछे छोड़ गया है। लोग घरों में तो लौट गए हैं, लेकिन बीमारी बढ़ रही है। अधिकांश लोगों को सर्दी-खांसी और बुखार की शिकायत है।

उधर राजगढ़ जिले के जिले के तलेन के पास निंद्रा खेड़ी गांव की प्रीतम गोशाला की 40 गायें भी बाढ़ में बह गई। बाढ़ का पानी उतरने के 3 दिन बाद खेत, नदी, झाड़ियों और पेड़ पर गायों के शव मिले हैं। अब तक 25 गायों के शव मिल चुके हैं। शवों को दफना दिया गया है। पुलिस ने गोशाला संचालक संत प्रीतम महाराज व उनके सहायक समेत 3 लोगों पर FIR दर्ज की है। आरोप है कि बाढ़ आने के बाद संत प्रीतम और उनके सहयोगी अपनी जान बचाकर भाग गए और गौवंशों को वहीं मरने के लिए छोड़ दिया।