हिंदी विवि में नियुक्ति घोटाला: रिटायरमेंट की उम्र में हुई ज्वाइनिंग, RSS के लोगों को बनाया असिस्टेंट प्रोफेसर

भोपाल स्थित अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विवि का भगवाकरण जारी, संघ से जुड़े लोगों की हुई नियम विरुद्ध नियुक्तियां, कांग्रेस बोली- भ्रष्टाचार का पर्याय बन गया है मध्य प्रदेश

Updated: Feb 10, 2023, 04:23 PM IST

भोपाल। राजधानी भोपाल स्थित अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय एक बार फिर विवादों में है। विवि में बड़े स्तर पर फर्जी नियुक्तियों की जानकारी सामने आई है। बताया जा रहा है कि नियमों को ताख पर रखकर यहां संघ से जुड़े लोगों को असिस्टेंट प्रोफेसर बना दिया गया। मामला सामने आने के बाद कांग्रेस हमलावर है। वहीं सत्ताधारी दल ने चुप्पी साध ली है।

अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय पर लगातार भगवाकरण के आरोप लगते रहे हैं। इस बार भी संघ से जुड़े लोगों को फर्जी तरीके से नियुक्त करने का मामला सामने आया है। विवि प्रशासन ने अपने कारनामों को आगे बढ़ाते हुए रिटायरमेंट की उम्र में एक महिला को नियुक्ति दी है। बताया जा रहा है कि महिला का संघ के जुड़े लोगों से नजदीकी रिश्ता है। ऐसे में 61 साल की उम्र में उन्हें बतौर असिस्टेंट प्रोफेसर बनाया गया है।

विश्वविद्यालय ने कुल 13 नियुक्तियां की है। सभी नियुक्तियों का आधार सियासी पहुंच बताया जा रहा है। ईटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक डॉ नीलम सिंह नामक महिला को असिस्टेंट प्रोफेसर बनाया गया है जबकि उनके पास नेट और पीएचडी कुछ भी नहीं है। इसी तरह हिंदी ग्रंथ अकादमी के डायरेक्टर अशोक कडेल की पत्नी चित्रलेखा की नियुक्ति हुई है। 

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कंप्यूटर डिपार्टमेंट में भारत बाथम की नियुक्ति हुई है। हैरानी की बात ये है कि इंटरव्यू के एक दिन पहले उनकी पीएचडी पूरी हुई। यानी पीएचडी होने के अगले ही दिन उनका चयन कर लिया गया। स्पष्ट है कि ये महज संयोग नहीं हो सकता। हालांकि, कुलपति खेम सिंह डहेरिया ने सभी आरोपों को खारिज कर दिया है। 

ईटीवी की ओर से जब उनसे पूछा गया कि पात्र कैंडिडेट्स के रहते हुए उन्होंने अपात्र लोगों को नियुक्ति क्यों दी तो इसपर वे सकपका गए और गोलमोल जवाब देने लगे। उनसे पूछा गया कि एक दिन पहले पीएचडी और अगले दिन नियुक्ति ऐसा क्यों? इसपर उन्होंने कहा कि इसमें हमारी क्या गलती। एक दिन पहले उसकी पीएचडी पूरी हो गई थी तो वह नियमानुसार पात्र हुआ। उन्होंने संघ बैकग्राउंड के कारण नियुक्तियों के आरोपों को भी सिरे से खारिज कर दिया।

मामला सामने आने के बाद विपक्षी दल कांग्रेस हमलावर है। कांग्रेस मीडिया विभाग के अध्यक्ष केके मिश्रा ने कहा, "मध्य प्रदेश हमेशा अजूबा कारनामों में नंबर 1 रहता है। आश्चर्य है कि अब रिटायरमेंट की उम्र में नियुक्तियां होने लगी है। इससे भद्दा मजाक क्या हो सकता है। आरएसएस के लोग लोग युवा पीढ़ी का भविष्य बर्बाद कर रहे हैं। मध्य प्रदेश के सभी सैक्षणिक संस्थाओं का भगवाकरण किया जा रहा है। कुपढों की जमात जब शीर्ष पदों पर आसीन हो तो जाहिर है कि वे शैक्षणिक संस्थाओं को बर्बाद करने पर तुले रहेंगे।"