जातिगत आंकड़ों के बिना योजनाएं अधूरी, केंद्र की पहल को कांग्रेस ने बताया राहुल गांधी की जीत
भोपाल में कांग्रेस ने जातिगत जनगणना की मांग को दोहराते हुए कहा कि यह सामाजिक न्याय और वंचित वर्गों के अधिकारों के लिए जरूरी है। पार्टी ने इसे राहुल गांधी की पहल और कांग्रेस की वैचारिक जीत बताया।

भोपाल| मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी द्वारा आयोजित पत्रकार वार्ता में कांग्रेस ने ओबीसी वर्ग में शामिल अनुसूचित जातियों और जनजातियों के जातिगत आंकड़े सार्वजनिक करने की पुरजोर मांग उठाई। पार्टी ने इसे राहुल गांधी की वैचारिक जीत बताते हुए कहा कि उन्होंने लगातार इस मुद्दे को राष्ट्रीय मंच पर उठाया और सामाजिक न्याय की लड़ाई की अगुवाई की। कांग्रेस नेताओं ने कहा कि जातिगत जनगणना की घोषणा से यह साफ हो गया है कि अब यह सिर्फ एक राजनैतिक मुद्दा नहीं, बल्कि देश के वंचित तबकों को उनका हक दिलाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
प्रदेश कांग्रेस अनुसूचित जाति विभाग के अध्यक्ष प्रदीप अहिरवार ने कहा कि जातिगत जनगणना केवल समय की मांग नहीं, बल्कि सामाजिक समता और न्याय की आधारशिला है। उन्होंने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि वह इस मुद्दे पर टालमटोल की नीति अपना रही है, जिससे समाज में असमानता और ज्यादा गहरी हो रही है। अहिरवार ने स्पष्ट कहा कि जब तक जातिगत आंकड़े सामने नहीं आते, तब तक किसी भी सरकारी योजना की सफलता का मूल्यांकन अधूरा रहेगा। उन्होंने यह भी कहा कि जातिगत आंकड़ों के आधार पर ही 50 प्रतिशत आरक्षण की सीमा में मौजूद खामियों को दूर किया जा सकता है।
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कांग्रेस नेताओं ने यह भी कहा कि सरकारी नौकरियों और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में ओबीसी और अन्य पिछड़े वर्गों की भागीदारी बेहद सीमित है, जिसका मुख्य कारण यह है कि सरकार के पास इनके सामाजिक-आर्थिक हालात को दर्शाने वाले वास्तविक आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं। इस पत्रकार वार्ता में प्रदेश आदिवासी कांग्रेस अध्यक्ष रामू टेकाम, पिछड़ा वर्ग विभाग के कार्यकारी अध्यक्ष पवन पटेल, अल्पसंख्यक विभाग के प्रतिनिधि वसीम कुरैशी भी मौजूद रहे और सभी ने एक स्वर में जातिगत जनगणना को सामाजिक समरसता और लोकतांत्रिक भागीदारी के लिए जरूरी बताया।