भोपाल, खंडवा में ओबीसी महिला होंगी महापौर

मध्य प्रदेश के ग्वालियर, देवास, बुरहानपुर, सागर और कटनी में सामान्य महिला मेयर बनने का रास्ता साफ, इंदौर, जबलपुर, रीवा और सिंगरौली में महापौर का पद अनारक्षित रहेगा

Updated: Dec 09, 2020, 06:23 PM IST

Photo Courtesy: Bhaskar
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भोपाल। नगर निगमों के महापौर, नगर पालिका और नगर परिषदों के अध्यक्षों के पदों में आरक्षण की लिस्ट तैयार हो गई है। आज किए गए फैसले के मुताबिक भोपाल और खंडवा में अगली महापौर ओबीसी महिला होंगी, जबकि ग्वालियर, देवास, बुरहानपुर, सागर और कटनी में सामान्य महिला मेयर बनने का रास्ता साफ हो गया है। इंदौर, जबलपुर, रीवा और सिंगरौली महापौर का पद अनारक्षित रहेगा।

वहीं रतलाम नगर निगम महापौर पद ओबीसी के लिए आरक्षित, छिंदवाड़ा नगर निगम महापौर पद अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित, मुरैना नगर निगम महापौर पद अनुसूचित जाति महिला के लिए आरक्षित, उज्जैन अनुसूचित जाति महापौर पद के लिए आरक्षित, सागर, देवास, ग्वालियर, बुरहानपुर और कटनी के महापौर पद सामान्य महिला के लिए आरक्षित किया गया है। वहीं जबलपुर, रीवा, इंदौर और सिंगरौली मुक्त सीट घोषित की गई है।

प्रदेश के 407 नगरीय निकायों में महापौर और अध्यक्ष पद के लिए आरक्षण की सूची तैयार हो रही है। जिनमें  16 नगर निगम, 99 नगर पालिका और 292 नगर परिषद शामिल हैं। राज्य निर्वाचन आयोग ने भी निकाय चुनाव की तैयारी पूरी कर ली है। निकाय चुनाव भी एक जनवरी 2020 की मतदाता सूची के आधार पर ही होंगे। आपको बता दे कि नगरीय प्रशासन एवं विकास आयुक्त निकुंज श्रीवास्तव की ओर से जारी सूचना के अनुसार महापौर और अध्यक्ष के पद का आरक्षण नियम 1999 के अंतर्गत तय होगा। इस प्रक्रिया में सभी प्रमुख राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों को बुलाया गया है।

नगर निगम में महापौर के लिए अनुसूचित जाति, और अनुसूचित जनजाति का आरक्षण आबादी के अनुसार होता है।  ओबीसी आरक्षण 25 प्रतिशत होता है। पिछली बार ओबीसी के लिए आरक्षित रहे निकायों को हटा कर नए शहरों में यह आरक्षण लागू किया जाता है।  इस बार भी पिछली बार की तरह वर्ष 2011 की जनगणना के आधार पर ही आरक्षण हो रहा है। ऐसे में जनसंख्या का अनुपात पिछले आरक्षण यानी 2014 जैसा ही होगा। याने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए रिजर्वेशन में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा। मध्य प्रदेश के नगरीय निकायों में पचास फीसदी महिला आरक्षण रोटेशन द्वारा होता है। जो निकाय पहले महिला वर्ग के लिए रिजर्व थे, वे इस बार अनारक्षित रहेंगे।