मप्र के कान्हा और बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में टेरिटेरियल फाइट में तीन साल में 25 बाघों की मौत, केंद्रीय वन मंत्रालय की रिपोर्ट में खुलासा

टाइगर स्टेट मध्यप्रदेश में बाघों के रहने के लिए कम हो रही जगह, प्रदेश के 526 बाघों के लिए 31 हजार वर्ग किमी की जरुरत, 10,174 वर्ग किमी में गुजारा करने को मजबूर हैं बाघ, बढ़ रही टेरिटेरियल फाइट की घटनाएं

Updated: Feb 12, 2021, 07:01 AM IST

Photo Courtesy: Wikimedia Commons
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भोपाल। देशभर में सबसे ज्यादा बाघों की संख्या के आधार पर मध्यप्रदेश को टाइगर स्टेट का दर्जा मिला हुआ है। एक तरफ जहां यह बात खुश करने वाली है, वहीं इसकी वजह से प्रदेश में बाघों के रहने का स्थान लगातार कम होता जा रहा है। बाघों की टेरिटरी याने उनके विचरण करने का इलाका कम होता जा रहा है, इसकी वजह से बाघों की फाइट हो रही है, बाघों की लड़ाई में पिछले तीन साल में 25 बाघों की मौत हो चुकी है।

फरवरी में जारी केंद्रीय वन मंत्रालय की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि बाघों की संख्या में बढ़ोतरी का सबसे ज्यादा प्रभाव मध्यप्रदेश में पड़ा है। यहां के बांधवगढ़ और कान्हा टाइगर रिजर्व अब तक 25 बाघों की मौत हुई है। वन मंत्रालय की वन्य जीवों की मौत की रिपोर्ट 2020 के अनुसार सबसे ज्यादा बाघों की मौत के मामले में मध्यप्रदेश अव्वल है, यहां 37 बाघों की मौत हुई है, जिनमें से 25 बाघ केवल कान्हा और बांधवगढ़ में वर्चस्व की लड़ाई में मारे गए। महाराष्ट्र 18, कर्नाटक 17 उत्तराखंड 13 तमिलनाडु 10 बाघों ने दम तोड़ा है।

इन मौतों की बड़ी वजह बाघों की टेरिटोरियल फाइट बताई जा रही है। जानकारों की मानें तो टेरिटोरियल फाइट रोकने के लिए बाघों को रहने के लिए सुरक्षित और पर्याप्त स्थान देना आवश्यक है।

मध्यप्रदेश के वन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार एक बाघ के विचरण करने का इलाका याने उसकी टेरिटरी 50 से 60 वर्ग किमी में होती है। जहां एक बाघ के साथ दो बाघिनों रहती हैं। लेकिन कई बार देखा गया है कि इनमें भी लड़ाई हो जाती है। कान्हा और बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या ज्यादा है, जिससे वहां उनके लिए जगहों की कमी पड़ रही है। और टेरिटोरियल फाइट 25 बाघों की जान चली गई है।

गौरतलब है कि बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में 124 बाघ हैं, जिनके लिए 1536.934 वर्ग किमी क्षेत्र है। वहीं कान्हा टाइगर रिजर्व में 108 बाघ हैं, जिनके लिए 2051.791 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र उपलब्ध है। इन बाघों की जरूरत के हिसाब से बांधवगढ़ में 124 बाघों के लिए 6 से 7 हजार वर्ग किमी, और कान्हा टाइगर रिजर्व में 108 बाघों के लिए करीब 5 से 6 हजार वर्ग किमी का एरिया होना चाहिए।

प्रदेश के प्रमुख टाइगर रिजर्व में कुल 10174 वर्ग किलोमीटर का इलाका है। जिनमें 526 बाघों के लिए लगभग 31 हजार वर्ग किलोमीटर का एरिया आवश्यक है। प्रदेश के प्रमुख टाइगर रिजर्वों  बांधवगढ़ 124, कान्हा 108, पेंच 87, सतपुड़ा 47, पन्ना 36, रातापानी 45, भोपाल 18, संजय डुबरी 06, असंगठित क्षेत्र 55 में कुल बाघ रहते हैं। मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा बाघ हैं, ऐसे में उनकी प्राकृतिक मौत और शिकार की घटनाए भी ज्यादा देखने में आती हैं। वन विभाग का कहना है कि बाघों की सुरक्षा के लिए कई महत्वपूर्ण प्रयास किए जा रहे हैं।