MP में पैदा होना मेरा दुर्भाग्य, तानसेन समारोह में आमंत्रण नहीं मिलने पर रुआंसे हुए सरोदवादक अमजद अली खान

अंतराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त सरोद वादक अमजद अली खान के पत्रों का जवाब तक नहीं देते सीएम शिवराज, अमजद अली के सरोद पर अनूठी लयकारी और तंत्रकारी की दुनिया है मुरीद

Updated: Dec 19, 2021, 01:46 PM IST

 ग्वालियर | "यह मेरा दुर्भाग्य है कि मैं मध्यप्रदेश जैसे राज्य में पैदा हुआ। प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान आज तक मेरे किसी पत्र का जवाब नहीं देते। पिछले डेढ़ दशकों में कई पत्र उन्हें भेज चुका हूं। मैं सोचता हूं कि मुझे पद्मविभूषण देने का क्या फायदा।" यह कहना है अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त सरोद वादक अमजद अली खान का, जिनकी सरोद पर अनूठी लयकारी और तंत्रकारी की सारी दुनिया मुरीद है।

मध्य प्रदेश के ग्वालियर में राज्य सरकार इस महीने 26 दिसंबर से 30 दिसंबर के बीच तानसेन समारोह का आयोजन करवा रही है। दुर्भाग्य की बात ये है कि संगीतकार मियां तानसेन की शैली के संगीत परंपरा के वाहक अमजद अली खान को इस समारोह में नहीं बुलाया गया है। इस समारोह में आमंत्रित न किए जाने को लेकर उस्ताद अजमद अली खान से पूछा गया तो वे रुआंसे हो गए। उन्होंने कहा कि 'मेरे वालिद उस्ताद हाफिज अली खान को इस देश में बहुत प्यार मिला, लेकिन साल 1972 में उनके निधन के बाद से आज तक मध्य प्रदेश की सरकार ने उन्हें श्रद्धांजलि तक नहीं दी है।'

अमजद अली खान ने आरोप लगाया है कि संस्कृति विभाग अपनी मनमानी कर रहा है। उन्होंने सीएम शिवराज को लेकर कहा है कि यदि उन्हें मुझसे कोई परेशानी हो तो बता सकते हैं। दरअसल, संस्कृति विभाग के द्वारा ही तानसेन समारोह का आयोजन किया जाता है। यह समारोह ग्वालियर जिले के बेहत गांव में तानसेन के मकबरे के पास आयोजित किया जाता है। इस समारोह में पूरे भारत से कलाकारों को गायन एवं वाद्य प्रस्तुति देने के लिए आमंत्रित किया जाता है और दुनिया भर से संगीत प्रेमी यहाँ पर महान भारतीय संगीत उस्ताद तानसेन को श्रद्धांजलि देने के लिए इकट्ठा होते हैं।

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तानसेन समारोह में उस्ताद अमजद अली खान की अनदेखी  हतप्रभ करने वाली है। सन 2000 में जब राष्ट्रीय तानसेन सम्मान पुरस्कार की शुरुआत हुई थी तो उस्ताद अजमद देश के दूसरे ऐसे संगीतज्ञ थे जिन्हें इस सम्मान से अलंकृत किया गया था। साल 2001 में भारत सरकार उन्हें दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्मविभूषण से अलंकृत कर चुकी है, लेकिन सूबे के मुखिया उनके पत्रों का जवाब देना भी मुनासिब नहीं समझते।

शास्त्रीय संगीत के पुरोधा अमजद अली खान ने कई गायन शैली एवं वाद्य संगीत की रचना की है। उन्होंने मात्र बारह वर्ष की छोटी आयु में ही एकल सरोद-वादन का अपना पहला सार्वजनिक प्रदर्शन कर संगीतज्ञों को दंग कर दिया था। महज 18 वर्ष की आयु में अजमद अली खान को मशहूर तबला वादक पंडित बिरजू महाराज के साथ अमेरिका बुलाया गया था। अमेरिका में खान के सरोद वादन पर पण्डित बिरजू महाराज ने तबला संगति की थी जिसने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया था जिससे दुनियाभर में उनकी कला को एक नई पहचान मिली।

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अजमद अली खान रॉयल अल्बर्ट हॉल, केनेडी सेंटर, हाउस ऑफ कॉमन्स, शिकागो सिंफनी सेंटर, ऑस्ट्रेलिया के सेंट जेम्स पैलेस और ओपेरा हाउस समेत न जाने कितने कला के विरले स्थलों पर अपनी प्रस्तुति से भारत का पताका चुके हैं। आज भी उम्र के 76वें पड़ाव में पूरी दुनिया के संगीत प्रेमी उनका सरोद वादन सुनने के लिए उत्साहित रहते हैं और उन्हें कार्यक्रमों में बुलाने के लिए खूब जतन करते हैं। लेकिन मध्य प्रदेश सरकार और सांस्कृतिक विभाग शायद उन्हें इस लायक नहीं समझती की तानसेन समारोह में निमंत्रण तक दे सके।