टाइगर स्टेट मध्य प्रदेश में तेजी से बढ़ रहा गिद्धों का कुनबा, 12 हजार के पार हुई संख्या
मध्य प्रदेश में गिद्धों की संख्या 12 हजार से ज्यादा हो गई है। 3 दिन हुई गिनती में ये आंकड़े सामने आए हैं। प्रदेश में 10 साल के अंदर गिद्धों की संख्या दोगुनी हुई है।

भोपाल। टाइगर स्टेट मध्य प्रदेश में गिद्धों का कुनबा लगातार बढ़ रहा है। प्रदेश को वल्चर स्टेट का भी तमगा हासिल है। गिद्धों की संख्या में राज्य वर्षों से देश में अग्रणी है। प्रदेश में गिद्धों की संख्या में लगातार इजाफा भी देखने को मिल रहा है। प्रदेश में गिद्धों की संख्या 12 हजार से ज्यादा हो गई है। 3 दिन हुई गिनती में ये आंकड़े सामने आए हैं।
प्रदेश में 10 साल के अंदर गिद्धों की संख्या दोगुनी हुई है। अभी कुल 7 प्रजातियां पाई गई। इनमें भोपाल के वन विहार नेशनल पार्क में व्हाइट रम वल्चर यानी, सफेद पीठ वाले गिद्ध भी शामिल हैं। वन विभाग के अनुसार 17, 18 और 19 फरवरी को वन विभाग के 16 सर्कल , 64 डिवीजन और 9 संरक्षित क्षेत्रों में गिद्धों की गिनती की गई थी। इसमें पाया गया कि प्रदेश में अभी 12 हजार 981 गिद्ध हैं।
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प्रदेश में गिद्धों की गणना की शुरुआत वर्ष 2016 से की गई थी। प्रदेश में गिद्धों की कुल 7 प्रजातियां पाई जाती है। इसमें से 4 प्रजातियां स्थानीय एवं 3 प्रजाति प्रवासी हैं। गिद्धों की गणना करने के लिए शीत ऋतु का अंतिम समय सही रहता है। इस दौरान स्थानीय एवं प्रवासी गिद्धों की गणना आसानी से हो जाती है। वर्ष 2019 की गणना में गिद्धों की संख्या 8 हजार 397, वर्ष 2021 में 9 हजार 446 और वर्ष 2024 में बढ़कर 10 हजार 845 हो गई थी।
गिद्ध अपनी ऊंची उड़ानों के लिए जाना जाता है। गिद्धों को प्रकृति का सफाई कर्मचारी माना जाता है, जो मृत पशुओं के शवों को खाकर पर्यावरण की रक्षा करते हैं। गिद्ध कभी विलुप्त होने की कगार पर थे। इनकी घटती संख्या के कारण, इन्हें 2002 से IUCN रेड लिस्ट में गंभीर रूप से संकटग्रस्त के रूप में वर्गीकृत किया गया।
गिद्ध जल्दी अपना साथी या मैटिंग पेयर नहीं बनाते हैं। इस मामले में शर्मिला कहा जा सकता है। यही कारण था कि देशभर में 'धरती के सफाई दूत' की संख्या बुरी तरह घटती जा रही थी। लेकिन अब प्रदेश में इनकी संख्या लगातार बढ़ रही है। गिद्ध साल में एक ही बार अंडे देते हैं। साइज में यह मुर्गी के अंडे से तीन गुना बड़े होते हैं। अंडे से बच्चे जीवित निकलने का सक्सेस रेट 50% माना जाता है। यही वजह है कि आधे अंडे विकसित नहीं होते हैं। अंडे से 55 दिन में बच्चा निकलता है। चार महीने बच्चा घोंसले में रहता है। फिर वह उड़ने के लिए तैयार हो जाता है।