डराने-धमकाने वाले व्यवहार का एक और उदाहरण, न्यूज क्लिक रेड मामले में मीडिया संगठनों की तल्ख टिप्पणी

चरणचुंबकों की फ़ौज के बावजूद कुछ पत्रकार अभी भी सच बोलने की हिमाक़त करते हैं पर सच बोलने वालों से, सवाल पूछने वालों से तो प्रधानमंत्री को ख़ास दिक़्क़त है, तो उनको रेड किया जाएगा, डराया धमकाया जाएगा: कांग्रेस

Updated: Oct 03, 2023, 03:29 PM IST

नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस ने मंगलवार को वेबसाइट न्यूजक्लिक के 30 से ज्यादा लोकेशन पर रेड की है। पुलिस कुछ पत्रकारों को अपने साथ ले गई है। इनमें अभिसार शर्मा, उर्मिलेश और परंजॉय गुहा ठाकुरता व कई अन्य पत्रकार शामिल हैं। पुलिस उनके वकीलों को भी मिलने नहीं दे रही है और न ही एफआईआर की कॉपी दे रही है। पुलिस के इस कार्रवाई को स्वतंत्र प्रेस पर हमला बताया जा रहा है। 

विभिन्न मीडिया संगठनों ने इस कार्रवाई की तल्ख लहजे में आलोचना की है। प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने ट्विटर पर लिखा, "प्रेस क्लब ऑफ इंडिया न्यूजक्लिक से जुड़े पत्रकारों और लेखकों के घरों पर की गई कई छापेमारी से बेहद चिंतित हैं। हम घटनाक्रम पर नजर रख रहे हैं और एक विस्तृत बयान जारी करेंगे। उन्होंने आगे कहा, "पीसीआई पत्रकारों के साथ एकजुटता से खड़ा है और सरकार से डिटेल सामने लाने की मांग करता है।"

DIGIPUB न्यूज़ इंडिया फाउंडेशन ने कहा, "Newsclick से जुड़े पत्रकारों के घरों पर छापेमारी से DIGIPUB बेहद चिंतित है। उन्हें हिरासत में लिया गया है, उनके फोन और लैपटॉप जब्त कर लिए गए हैं। यह सरकार के मनमाने और डराने-धमकाने वाले व्यवहार का एक और उदाहरण है. हम घटनाक्रम पर नजर रख रहे हैं।"

वहीं, मुंबई प्रेस क्लब ने ट्विटर पोस्ट कर लिखा, "मुंबई प्रेस क्लब दिल्ली में चल रही घटनाओं पर गहरी चिंता व्यक्त करता है, जहां न्यूजक्लिक से जुड़े कई पत्रकारों पर दिल्ली पुलिस ने छापेमारी की है, उनके आवास से उनके फोन और लैपटॉप जब्त कर लिए हैं।"

वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने भी दिल्ली पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने लिखा, "दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने न्यूजक्लिक वेबसाइट से जुड़े कई पत्रकारों/लेखकों के घरों पर छापेमारी की। मोबाइल और लैपटॉप ले गए.. पूछताछ जारी। अभी तक कोई वारंट/एफआईआर नहीं दिखाया गया। लोकतंत्र में पत्रकार कब से राज्य के 'दुश्मन' बन गए?"

विपक्षी गठबंधन इंडिया ने नेताओं ने भी इस कार्रवाई की आलोचना की है। कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा, 'चरणचुंबकों की फ़ौज के बावजूद कुछ पत्रकार अभी भी सच बोलने की हिमाक़त करते हैं, पर सच बोलने वालों से, सवाल पूछने वालों से तो प्रधानमंत्री को ख़ास दिक़्क़त है, तो उनको रेड किया जाएगा, डराया धमकाया जाएगा - पर साहेब भूल जाते हैं चरणचुंबकों की रीढ़ की हड्डी ग़ायब है, सबकी नहीं!'

यूपी के पूर्व सीएम और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने लिखा, "ये कोई नयी बात नहीं है ईमानदार खबरनवीसों पर भाजपाई हुक्मरानों ने हमेशा डाले हैं छापे, लेकिन सरकारी प्रचार-प्रसार के नाम पर कितने करोड़ हर महीने ‘मित्र चैनलों’ को दिये जा रहे हैं ये भी तो कोई छापे!"

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कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने कहा, "लगता है कि तानाशाही आ चुकी है। मीडिया की अभिव्यक्ति, स्वतंत्रता ही नहीं बल्कि आर्थिक, सामाजिक रूप से भी अंकुश लगाया जा रहा है। अगर कोई पत्रकार बाहर निकलकर स्वतंत्र रूप से बोलेगा तो उसे गिरफ्तार करेंगे और इस तरह करेंगे कि जल्दी जमानत भी नहीं मिलेगी।" वहीं, आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने कहा कि यह पत्रकारों की स्वतंत्रता और लोकतंत्र के चौथे स्तंभ मीडिया पर करारा हमला है... पीएम मोदी चीन की घुसपैठ के खिलाफ कुछ नहीं बोल रहे हैं... बल्कि पत्रकारों के खिलाफ कार्रवाई कर ड्रामा रच रहे हैं।