न्यूज क्लिक से जुड़े पत्रकारों के घर दिल्ली पुलिस की दबिश, जब्त किया मोबाइल-लैपटॉप

रिपोर्ट्स के मुताबिक अभिसार शर्मा, संजय रजौरा, अनिंद्यो चक्रवर्ती और परंजय गुहा ठाकुर्ता समेत कई पत्रकारों के घर मंगलवार सुबह दिल्ली पुलिस ने दबिश दी और उनके मोबाइल और लैपटॉप जब्त कर लिए।

Updated: Oct 03, 2023, 11:12 AM IST

नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस ने मंगलवार को न्यूज क्लिक के कई पत्रकारों के घर दबिश दी है। खबरों के मुताबिक दिल्ली पुलिस की टीम मंगलवार सुबह अभिसार शर्मा, प्रबीर पुरकायस्थ, अनुनिंदोय चक्रबर्ती, संजय रजौरा, अनिंद्यो चक्रवर्ती, परंजय गुहा ठाकुरता, उर्मिलेश, भाषा सिंह और सोहैल हाशमी के घर पहुंची। जांच-पड़ताल के दौरान पुलिस ने इन पत्रकारों के मोबाइल फोन और लैपटॉप जब्त कर लिए हैं।

पत्रकार अभिसार शर्मा ने इस संबंध में ट्वीट कर लिखा, 'दिल्ली पुलिस मेरे घर पहुंची। मेरा लैपटॉप और फोन छीन लिया' फिलहाल इस बात की स्पष्ट जानकारी नहीं मिल सकी है कि पुलिस ने किस मामले में यह दबिश दी है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक UAPA के तहत कार्रवाई की जा रही है। दिल्ली पुलिस की इस कार्रवाई को स्वतंत्र मीडिया को डराने-धमकाने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक पुलिस ने न्यूज क्लिक ऑफिस और वेबसाइट से जुड़े 30 से ज्यादा लोकेशन्स पर छापा मारा है। अभी तक इस मामले में किसी को गिरफ्तार नहीं किया गया है लेकिन कुछ पत्रकारों को पूछताछ के लिए पुलिस स्टेशन भी ले जाने की खबरें हैं। पुलिस ने मोबाइल और लैपटॉप के साथ ही हार्ड डिस्क डेटा भी जब्त किया है। लेकिन इस संबंध में जांच अधिकारियों का कोई बयान सामने नहीं आया है।

न्यूज क्लिक पिछले काफी समय से सरकार के निशाने पर रहा है। उसके दफ्तर में पहले भी दो बार रेड हो चुकी है। हाल ही में भाजपा नेताओं ने मीडिया संस्था पर चीन से फंडिंग लेने के आरोप लगाए थे। लोकसभा के मॉनसून सत्र में भी यह मुद्दा उठा था। गृहमंत्री अमित शाह भी न्यूज क्लिक पर चीन से पैसे लेने का आरोप लगा चुके हैं। माना जा रहा है कि दिल्ली पुलिस ने इसी सिलसिले में मंगलवार को दबिश दी है।

इससे पहले न्यूज क्लिक दफ्तर में हुई छापेमारी को लेकर केंद्र सरकार की चौतरफा आलोचना हुई थी। तब एडिटर्स गिल्ड ने भी चिंता व्यक्त करते हुए कहा था कि सरकारी एजेंसियों द्वारा स्वतंत्र मीडिया को परेशान करने और डराने की खतरनाक प्रवृत्ति बंद होनी चाहिए क्योंकि यह संवैधानिक लोकतंत्र को कमजोर करता है। गिल्ड ने कहा था कि ऐसी सभी जांचों में बहुत सावधानी और संवेदनशीलता दिखाई जाए ताकि पत्रकारों और मीडिया संगठनों के अधिकार कमजोर न हों। साथ ही यह सुनिश्चित करने की भी जरूरत है कि इस तरह की जांच निर्धारित नियमों के भीतर हो और यह स्वतंत्र मीडिया को डराने के लिए उत्पीड़न के साधन में परिवर्तित नहीं होने चाहिए।