देश के प्रधानमंत्री को पढ़ा लिखा होना चाहिए, गुजरात हाई कोर्ट के आदेश पर बोले अरविंद केजरीवाल

सीएम केजरीवाल ने कहा है कि गुजरात हाई कोर्ट के आदेश से पूरा देश स्तब्ध है क्योंकि जनतंत्र में प्रश्न पूछने और जानकारी मांगने की आज़ादी होनी चाहिए

Updated: Apr 01, 2023, 01:33 PM IST

नई दिल्ली। शुक्रवार को प्रधानमंत्री मोदी की डिग्री को प्रए गए गुजरात हाई कोर्ट के आदेश पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपनी असहमति व्यक्त की है। अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि गुजरात हाई कोर्ट के आदेश से पूरा देश स्तब्ध है। इसके साथ ही उन्होंने एक बार फिर प्रधानमंत्री की डिग्री पर सवाल खड़ा करते हुए कहा है कि देश के प्रधानमंत्री का पढ़ा लिखा होना बहुत ज़रूरी है। 

अरविंद केजरीवाल ने गुजरात हाई कोर्ट के आदेश पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि कल गुजरात हाई कोर्ट का आदेश आया जिसको लेकर पूरा देश स्तब्ध है। जनतंत्र में लोगों को जानकारी मांगने और सवाल पूछने का अधिकार है।

अरविंद केजरीवाल ने एक बार फिर प्रधानमंत्री मोदी की डिग्री और उनकी पढ़ाई लिखाई को लेकर सवाल खड़े किए। अरविंद केजरीवाल ने कहा कि देश के प्रधानमंत्री का पढ़ा लिखा होना बहुत ज़रूरी है क्योंकि देश का प्रधानमंत्री अगर पढ़ा लिखा नहीं होगा तो देश को महंगाई और बेरोजगारी से छुटकारा नहीं मिल पाएगा। 

अरविंद केजरीवाल ने कहा कि कम पढ़ा लिखा होना कोई गुनाह नहीं है। हमारे देश में बहुत गरीबी है, ऐसे में कई बार लोग अपने घर के हालात के चलते पढ़ाई नहीं कर पाता। मैंने प्रधानमंत्री की डिग्री की जानकारी इसलिए मांगी थी क्योंकि देश आज़ादी के 75 वर्षों बाद उतनी तरक्की नहीं कर पाया है। हम 21वीं सदी में रह रहे हैं और आज के दौर का युवा जल्दी तरक्की करना चाहता है। युवा रोजगार चाहता है और महंगाई से छुटकारा चाहता है। ऐसे में देश के प्रधानमंत्री का पढ़ा लिखा होना बहुत ज़रूरी है। 

शुक्रवार को गुजरात हाई कोर्ट ने गुजरात यूनिवर्सिटी के पक्ष में फैसला सुनाते हुए केंद्रीय सूचना आयोग के उस आदेश को खारिज कर दिया जिसमें आयोग ने दिल्ली और गुजरात यूनिवर्सिटी के साथ साथ प्रधानमंत्री कार्यालय के सूचना अधिकारी को प्रधानमंत्री मोदी की डिग्री सार्वजनिक करने का निर्दश दिया था। इस मामले में गुजरात हाई कोर्ट ने दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल पर 25 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया। जस्टिस बिरेन वैष्णव की सिंगल बेंच ने अपने फैसले में कहा कि यह जनहित से जुड़ा मुद्दा नहीं है। ऐसे में प्रधानमंत्री की डिग्री सार्वजनिक करने की कोई ज़रूरत नहीं है।