Ashok Lavasa : चुनाव आयोग से छुट्टी, ADB बैंक के उपाध्यक्ष नियुक्त
Election Commission : कार्यकाल खत्म होने से पहले हटाए गए लवासा, मुख्य चुनाव आयुक्त बनने की संभावना समाप्त

नई दिल्ली : इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया (ECI) ने चुनाव आयुक्त अशोक लवासा की आयोग से छुट्टी कर दी है। किसी चुनाव आयुक्त को कार्यकाल खत्म होने से पहले आयोग से हटाया जाना आजाद भारत के इतिहास में दूसरी घटना है। उन्होंने 2019 लोकसभा चुनावों के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह को चुनाव आदर्श आचार संहिता के मामले में क्लीनचिट दिए जाने का विरोध किया था। लवासा का फिलहाल भारतीय निर्वाचन आयोग में दो साल से अधिक का कार्यकाल बचा हुआ है। लवासा को आयोग से हटाकर एशियाई विकास बैंक (ADB) के उपाध्यक्ष के तौर पर नियुक्ति दी गयी है।
#ADBNEWS: ADB has appointed Ashok Lavasa as Vice-President for Private Sector Operations and Public–Private Partnerships. He will succeed Diwakar Gupta, whose term will end on 31 August.
— Asian Development Bank (@ADB_HQ) July 15, 2020
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एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने चुनाव आयुक्त अशोक लवासा को निजी क्षेत्र और सार्वजनिक-निजी साझेदारी के क्षेत्र से जुड़े कामकाज के लिए अपना उपाध्यक्ष नियुक्त किया है। एडीबी ने बुधवार को बयान जारी कर कहा, ‘लवासा वर्तमान में भारत के चुनाव आयुक्तों में से एक हैं और पूर्व में भारत के केंद्रीय वित्त सचिव, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में सचिव और नागर विमानन मंत्रालय के सचिव सहित कई वरिष्ठ पदों पर कार्य कर चुके हैं। वह दिवाकर गुप्ता की जगह लेंगे जिनका कार्यकाल 31 अगस्त तक का है।' रिपोर्ट्स के मुताबिक एडीबी में उनकी नियुक्ति भारत सरकार की संस्तुति पर मिली है।
उन्हें हटाना बीजेपी के लिए क्यों था जरूरी
बता दें कि लवासा ने 2019 लोकसभा चुनावों के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह को चुनाव आदर्श आचार संहिता के मामले में क्लीनचिट दिए जाने का विरोध किया था। 62 वर्षीय लवासा अगले साल अप्रैल में सुनील अरोड़ा के बाद मुख्य चुनाव आयुक्त पद की दौड़ में सबसे आगे थे। वह अगर मुख्य निर्वाचन आयुक्त बनते तो उनके पास उत्तरप्रदेश, पश्चिम बंगाल, उत्तराखंड, पंजाब, मणिपुर, गोवा समेत अन्य राज्यों के विधानसभा चुनाव कराने की जिम्मेदारी होती। ऐसे में लवासा बीजेपी के लिए आने वाले चुनावों में सरदर्द बन सकते थे नतीजतन केंद्रीय नेतृत्व ने समय से पहले आयोग से उनकी छुट्टी कर दी।
उल्लेखनीय है कि मोदी और शाह को क्लीनचिट देने का विरोध करने के तुरंत बाद लवासा और उनके परिवार के अन्य सदस्य जांच के घेरे में आ गए थे। उनके ऊपर आय से अधिक संपत्ति के आरोप लगे और आयकर विभाग ने उन्हें नोटिस जारी किया था। हालांकि उनके परिवारवालों ने आयकर विभाग द्वारा लगाए गए आरोपों से इंकार किया था।