UP में ABVP के कार्यकर्ताओं ने 4 ईसाई महिलाओं को चलती ट्रेन से जबरन उतारा

केरल सीएम पिनाराई विजयन ने इस घटना पर जताई नाराजगी, बोले, ऐसी घटनाएं देश और उसकी धार्मिक सहिष्णुता की छवि दागदार करती हैं, एबीवीपी कार्यकर्ताओं ने लगाया था धर्मपरिवर्तन का झूठा आरोप

Updated: Mar 24, 2021, 01:15 PM IST

Photo Courtesy : ETV
Photo Courtesy : ETV

लखनऊ। उत्तरप्रदेश में केरल की चार ईसाई महिला यात्रियों को चलती ट्रेन से जबरन उतरवाने का मामला सामने आया है। महिलाओं को ट्रेन से अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) और हिंदू जागरण मंच के कुछ कार्यकर्ताओं ने उतरवाया। एबीवीपी कार्यकर्ताओं का आरोप था कि वे धर्म परिवर्तन करवा रही हैं। हालांकि, जांच के बाद सभी आरोप झूठ साबित हुए। मामले पर केरल सीएम पिनाराई विजयन ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि ऐसी घटनाएं देश की छवि दागदार करती हैं।

केरल सीएम पिनाराई विजयन ने अपने राज्य के ईसाई महिलाओं के साथ उत्तरप्रदेश में हुए इस अभद्र व्यवहार को लेकर नाराजगी जाहिर करते हुए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को पत्र लिखा है। सीएम ने पत्र में लिखा कि, 'ऐसी घटनाएं देश और उसकी धार्मिक सहिष्णुता की छवि दाग़दार करती हैं। केंद्र सरकार को ऐसी घटनाओं की कड़ी निंदा करनी चाहिए। मेरी दरख्वास्त है कि आप इस मामले में हस्तक्षेप करें और इसमें शामिल उन सभी लोगों और संगठनों के खिलाफ कार्रवाई करें जो संविधान से मिली नागरिक स्वतंत्रता को छीनने की कोशिश कर रहे हैं।'

यह भी पढ़ें: विष्णु पुराण से शुरू होकर मोदी पुराण सुनाने लगे केंद्रीय मंत्री, दिग्विजय सिंह का तंज

रिपोर्ट्स के मुताबिक यह घटना बीते 19 मार्च की है जब हरिद्वार से पुरी जा जा रही उत्कल एक्सप्रेस में कुछ लोगों ने नन्स को घेर लिया और जबरन ट्रेन से उतरवा लिया। बताया जा रहा है की उत्कल एक्सप्रेस के बी-2 कोच में सवार दो ननों के साथ दो लड़कियां नई दिल्ली से राउरकेला जा रही थीं। ट्रेन के बी-1 कोच में इनके साथ अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का एक कार्यकर्ता अजय शंकर तिवारी भी सफर कर रहा था। एबीवीपी कार्यकर्ता ने जीआरपी को शिकायत दी थी कि दो महिलाएं अपने साथ दो लड़कियों को ले जा रही हैं। उसने दावा किया कि ननों ने दोनों लड़कियों का जबरन धर्म परिवर्तन कराया है। 

इसके बाद उसने फोन कर बड़ी संख्या में एबीवीपी और हिन्दू जागरण मंच के कार्यकर्ताओं को झांसी स्टेशन पर बुलवा लिया। इसके बाद सभी को जबरन झांसी में ट्रेन से उतरवा दिया गया। इस घटना से जुड़े ट्रेन के अंदर 25 सेकंड का एक वीडियो सामने आया है, जिसमें नन्स कुछ लोगों से घिरी नज़र आती हैं, उनमें से कुछ पुलिस वाले भी शामिल हैं। वीडियो में यह सुना जा सकता है कि पुलिस वाले कह रहे हैं, 'अगर आप सही हैं तो आपको भिजवा दिया जाएगा।' इसपर नन कहती है की क्या देश में ऐसे चलेगा।

यह भी पढ़ें: बिहार में लोकतंत्र का शव निकला है, राज्यसभा में RJD सांसद को विधायकों की पिटाई का मुद्दा नहीं उठाने दिया गया

मामले पर रेलवे पुलिस के डिप्टी एसपी नईम खान मंसूरी ने मीडिया को बताया कि, 'हज़रत निज़ामुद्दीन से राउरकेला के लिए चार क्रिश्चिन लेडीज यात्रा कर रही थीं, जिनमें दो नन्स थीं और दो लेडीज अंडर ट्रेनिंग थीं। एबीवीपी के सदस्यों को ऐसा शक हुआ कि शायद ये दो नन्स जो हैं वे दो अन्य लेडीज को धर्म परिवर्तन के लिए ले जा रही हैं। झांसी स्टेशन पर उन्हें जब उतार दिया गया तो हमलोग पहुंचे। जांच में पता चला कि नन्स के साथ सादे लिबास वाली लड़कियां भी जन्म से ईसाई हैं और वे नन बनने की ट्रेनिंग ले रही थीं। इसके बाद उन्हें जाने दिया गया।'

फिलहाल इस बात की कोई जानकारी नहीं है कि इसाई महिलाओं को चलती ट्रेन से उतारकर परेशान करने वाले एबीवीपी के कार्यकर्ताओं पर कोई कार्रवाई हुई या नहीं? अब सवाल यह है कि क्या एक धर्म विशेष या संगठन विशेष के लोगों इस बात की इजाजत है कि वे किसी को भी कहीं भी धर्म परिवर्तन के नाम पर रोकें और उनसे जानकारियां मांगें। यह स्पष्ट रूप से देश के धर्मनिरपेक्ष संवैधानिक ढांचे को आघात पहुंचाने वाली घटना है।