जी भाईसाहब जी: सत्ता संघर्ष में बीजेपी अध्यक्ष का अपहरण
MP Politics: बीजेपी में संगठन चुनाव प्रक्रिया जारी है। जिले की राजनीति में कद और ताकत बनाए रखने के लिए अपने समर्थक को अध्यक्ष बनाने की जद्दोजहद में सांसद विधायकों में आपसी टकराव हो रहा है। इस टकराव के चलते जिला अध्यक्ष पद का ‘अपहरण’ ही हो गया है।
पिछले दो दशकों से मध्य प्रदेश की सत्ता में काबिज बीजेपी में संगठन के स्तर पर कई तरह के संघर्ष दिखाई दे रहे हैं। नेताओं के बीच जारी वर्चस्व की लड़ाई उस संगठन को भी प्रभावित कर रही है जो देश में पार्टी का सबसे अच्छा संगठन कहा जाता रहा है। अब तक जिला अध्यक्षों को तय करने में प्रदेश संगठन की सर्वेसर्वा हुआ करता था और अब सारे सूत्र केंद्रीय संगठन ने अपने हाथों में ले लिए हैं। यानी मैदानी नियुक्तियां भी अब दिल्ली करेगा। मतबल आंतरिक निर्णयों पर हाईकमान का फैसला भारी होगा। इस तरह पैनल चयन के स्तर पर जिला अध्यक्ष के पद पहले स्थानीय राजनीति के कारण ‘हाईजेक’ हुए और अब हाईकमान ने प्रदेश संगठन से यह निर्णय छिन लिया।
प्रादेशिक संगठन के हाशिए पर चले जाने का यह पहला मामला है। इसकी वजह भी आपसी सिर फुटव्वल ही हैं। जिला संगठन का स्वरूप कैसा होगा इसे तय करते हुए केंद्रीय संगठन ने एक गाइड लाइन तैयार की थी। इस गाइड लाइन का जमकर उल्लंघन हुआ। संगठन में सीधी दखल के लिए नेताओं में अपने समर्थकों को मंडल अध्यक्ष बनवाने को लेकर मारामारी हुई। संगठन चुनाव में नियमों को तोड़ कर, उम्र कम बता कर पद पाने जैसे आरोपों वाली 100 से अधिक शिकायतें पहुंची। इन हालातों के कारण मंडल अध्यक्ष का नाम घोषित हो जाने के बाद भी चुनाव रद्द किए गए। सिवनी में सुबह अध्यक्ष बने शाम को चुनाव निरस्त हो गया।
स्थिति ऐसी भी बनी कि चुनाव के पर्यवेक्षक बना कर भेजे गए नेता ही पक्षपात के आरोपों का शिकार हो गए। शहडोल में जिलाअध्यक्ष के लिए हुई रायशुमारी के दौरान आरोप लगा कि पर्यवेक्षक भगत सिंह नेताम ने रायशुमारी से पहले एक होटल में वर्तमान जिला अध्यक्ष और उनके सहयोगी पदाधिकारी की आवभगत को स्वीकार किया। वे रायशुमारी के बाद खुला लिफाफा लेकर आधे रास्ते तक वर्तमान जिला अध्यक्ष की गाड़ी में ही गए। प्रदेशभर में सांसद, विधायकों ने अपने चहेतों को ही चुना जिसका जबर्दस्त विरोध भी हुआ।
ऐसे आरोपों के बाद बीजेपी हाईकमान ने कड़ा फैसला करते हुए जिला अध्यक्षों के चयन में प्रादेशिक नेताओं की भागीदारी खत्म कर दी। जिला स्तर पर हुई रायशुमारी के बाद प्रदेश नेतृत्व द्वारा भेजे गए पैनल में से अब केंद्रीय नेतृत्व जिलाध्यक्षों का चयन करेगा। संभावना है कि पांच जनवरी को जिला अध्यक्ष घोषित कर दिए जाएंगे। इस तरह वर्चस्व की लड़ाई में दिल्ली हावी हो गई और प्रदेश भाजपा संगठन की स्वायत्ता और संकुचित हो गई।
अटल जी का नाम और भ्रष्टाचार का लीकेज
वर्ष 2024 पूर्व प्रधानमंत्री और बीजेपी के आधार नेता अटल बिहारी वाजपेयी की 100 वीं जयंती का वर्ष था। इस वर्ष अटल जी की जयंती को प्रदेश सरकार ने सुशासन सप्ताह के रूप में मनाया। इस दौरान हुए आयोजनों में प्रदेश में व्याप्त भ्रष्टाचार की भी पोल खुली। उमरिया में कुछ सरपंचों ने मंत्री के सामने आरोप लगाए कि नल जल योजना में भ्रष्टाचार का लीकेज है।
मामला उमरिया का है। यहां सुशासन सप्ताह में आयोजित कार्यक्रम में प्रभारी मंत्री नागर सिंह चौहान पहुंचे थे। जब सरपंचों से विकास कार्यों की बात पूछी गई तो उनका आक्रोश फूट पड़ा। डोंगरी टोला के सरपंच आसाराम चौधरी ने बताया कि ग्राम पंचायत में तीन गांव आते हैं। बसेहा गांव में टंकी पूरी तरह लीक है। 60 फीसदी घरों में पानी नहीं पहुंच रहा है। दो साल से पानी कभी-कभी ही आता है। शुरू से ही लीकेज की समस्या है। सीमेंट भर-भर के काम चला रहे हैं। ग्रामीणों ने शिकायत की है कि नल जल योजना तीन साल पहले पूरी हो गई। घरों में नल भी लग गए, लेकिन पानी अब तक नहीं आया है।
सुशासन सप्ताह में कुशासन की ऐसी तस्वीर देख प्रभारी मंत्री नागर सिंह चौहान असहज हो गए। उन्होंने जल निगम और लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के अधिकारियों को फटकार लगाई। मंत्री ने व्यवस्था सुधारने के लिए एक सप्ताह का समय दिया। जिस योजना में भ्रष्टाचार के लीकेज के कारण तीन सालों पानी नहीं पहुंचा वह एक सप्ताह में दुरूस्त हो जाएगी, यह ख्याल भी अच्छा है।
घोटाला की आंच में झुलसी ज्योतिरादित्य सिंधिया और समर्थक मंत्री की छवि
भ्रष्टाचार की बात है तो मध्य प्रदेश में इनदिनों परिवहन विभाग में हुए भ्रष्टाचार की चर्चा है। अदने से सिपाही के पास मिली करोड़ों की सम्पत्ति ने विभाग में जमी घोटालों की जड़ों की ओर संकेत किया है। इस घोटाले की आंच अफसरों ही नहीं पूर्व परिवहन मंत्री तथा उनके आका तक पहुंच रही है। सरकार चाहे कांग्रेस की रही हो या बीजेपी की, अपने समर्थक को परिवहन विभाग ही दिलवाने के आरोप से केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया घिर रहे हैं। सागर में मूल बीजेपी नेताओं के हमलों से घिरे परिवहन और राजस्व मंत्री गोविंद सिंह राजपूत को अब इस भ्रष्टाचार से जुड़े सवालों के उत्तर देने का लहजा भी खीज भरा हो रहा है।
परिवहन घोटाला सामने आने के बाद कांग्रेस सांसद दिग्विजय सिंह ने पत्रकार वार्ता कर आरोप लगाया था कि कांग्रेस की सरकार के दौर में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपने समर्थक गोविंद सिंह राजपूत को परिवहन विभाग दिए जाने के लिए बहुत दबाव बनाया था। मार्च 2020 में कमलनाथ सरकार जाने के बाद जब शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में फिर से बीजेपी की सरकार बनी और मंत्रिमंडल विस्तार हुआ तब भी आरोप लगे कि सिंधिया के दबाव के कारण ही गोविंद सिंह राजपूत को परिवहन विभाग दिया गया।
इन आरोपों के बाद मीडिया ने भोपाल में जब मंत्री गोविंद सिंह राजपूत से सवाल किया तो वे एक बार तो तमतमा कर पूछ बैठे, कौन बोला? फिर तुरंत ही बात संभाली। जब उनसे कांग्रेस सांसद दिग्विजय सिंह के सवाल के बारे में पूछा गया तो उन्होंने एक फिल्मी संवाद दोहरा दिया। सौरभ शर्मा के सवाल पर कहा कि जांच ऐजेंसियां अपना काम कर रहीं हैं. अब नो कमेंट्स। विभाग में करोड़ों के घोटाले पर मंत्री का इस तरह के जवाब कई सवालों को जन्म देते हैं। इन सवालों से घिरी बीजेपी के नेता अब बचाव की मुद्रा में हैं।
अंबेडकर की नगरी से कांग्रेस का अभियान
विपक्ष की अपनी भूमिका को सक्रियता से निभाने और कार्यकर्ताओं को एकजुट रखने के लिए कांग्रेस को लगातार कार्यक्रमों की आवश्यकता है। इस जरूरत को समझते हुए कांग्रेस नित नए कार्यक्रमों और आंदोलनों को अंजाम दे रही हैं। अगल अभियान संविधान निर्माता बाबा साहब अंबेडर और संविधान को बदलने के आरोपों के साथ बीजेपी को घेरने के लिए होगा।
तय किया गया है कि कांग्रेस जनवरी में बाबासाहेब डॉ. भीमराव अंबेडर की जन्मस्थली महू से संविधान की रक्षा के लिए विरोध-प्रदर्शन शुरू करेगी। तैयारी है कि कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खरगे और लोकसभ में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी इस अभियान को शुरू करें। प्रदेश कांग्रेस ने इस आयोजन की तैयारियां शुरू कर दी है। कोशिश की जा रही है कि गणतंत्र दिवस 26 जनवरी से यह आंदोलन आरंभ हो।
लोकसभा चुनावों से पहले कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने संविधान को लेकर बीजेपी पर हमलावर रूख अख्तियार किया था। बीते दिनों गृह मंत्री अमित शाह संसद में डॉ. अंबेडकर पर दिए गए एक बयान के कारण भी विपक्षी दलों के निशाने पर आ गए हैं। ऐसे में कांग्रेस इस अभियान को शुरू कर बीजेपी को घेरने का एक और मौका तैयार करना चाहती है। पूरे प्रदेश में आयोजनों का सिलसिला मैदान में पार्टी की स्थिति भी मजबूत करने की पहल होगी।