मोदी पहले फैसला लेते हैं, फिर परिणाम की सोचते हैं

पीएम मोदी के पास लॉकडाउन को लागू करने के लिए  सीएम के साथ बातचीत करने का समय नहीं था।

Publish: May 12, 2020, 09:33 PM IST

कांग्रेस के वरिष्‍ठ नेता दिग्विजय सिंह ने कोरोना संकट के दौरान महामारी से निपटने में केंद्र सरकार की कार्यप्रणाली पर फिर सवाल उठाया है। उन्‍होंने देश में लॉकडाउन को सही तरीके और राज्‍यों के साथ चर्चा नहीं करने पर पीएम मोदी की आलोचना की है।

दिग्विजय सिंह ने पीएम मोदी पर तंज करते हुए ट्वीट किए हैं। सिंह ने लिखा है कि अगर प्रधानमंत्री के पास देशव्यापी लॉकडाउन को लेकर स्पष्ट दृष्टि और समझ होती तो वे लोगों को घर लौटने के लिए कम से कम 3-4 दिन का समय जरूर देते। देशव्यापी लॉकडाउन में उन्होंने सिर्फ जनता कर्फ्यू और ताली थाली बजाने के निर्देश दिए।

 

एक अन्‍य ट्वीट में सिंह ने लिखा है कि मोदी खुद को ताकतवर फैसले लेने वाला प्रधानमंत्री साबित करने के लिए पहले काम करते हैं और बाद में अपने निर्णयों के परिणामों के बारे में सोचते हैं। नोटबंदी, जीएसटी और अब राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन। उन्होंने 31 जनवरी 2020 से कोई कदम नहीं उठाया, जब देश में कोरोना वायरस का पहला मामला आया। उसके 40-50 दिन बाद एक्शन लिया है।"

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सिंह ने ट्वीट कर कहा है कि हम एक संघीय राष्ट्र हैं। पीएम पेज 3 भीड़ के साथ बातचीत करने में व्यस्त थे, लेकिन उनके पास राष्ट्रीय लॉकडाउन को लागू करने की अपनी योजनाओं पर  सीएम के साथ बातचीत करने का समय नहीं था। उन्होंने 20 मार्च 2020 को राज्‍यों सीएम के साथ अपनी पहली बैठक की लेकिन क्या उन्होंने उस बैठक में नेशनल लॉकडाउन पर चर्चा की? मेरी जानकारी के अनुसार। नहीं।

कोरोना महामारी से निपटने के लिए लॉकडाउन लगाने में देरी तथा उससे उपजी समस्‍याओं पर कांग्रेस के वरिष्‍ठ नेता दिग्विजय सिंह ने पहले भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा है। सिंह ने कहा है कि मोदी अपनी मर्जी से काम करने की मनोवृत्ति का शिकार हो गए हैं। दूसरे देशों ने लॉकडाउन के पहले समय दिया था। यदि मोदी ने भी समय दिया होता तो लोग तैयारी कर लेते और देश में समस्‍याएं उत्‍पन्‍न नहीं होती। उन्‍होंने कहा है कि मोदी जी सभी के साथ समान व्यवहार होना चाहिये। यदि आप 24 मार्च को संपूर्ण लोकडाउन करने के लिये 4 घंटों के बजाय 20 मार्च के देश को दिये गये संदेश में 4 दिन का समय दे देते जैसा कि अन्य देशों में हुआ है तो यह समस्या खड़ी नहीं होती। लेकिन आप उस मनोवृत्ति के हो गये हैं “मैं और मेरी मर्ज़ी”।