दिग्विजय सिंह ने कहा, वाह महाराज वाह, तो सिंधिया बोले, सब आपका ही आशीर्वाद है

राज्य सभा में दिग्विजय सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच दिलचस्प संवाद, सिंधिया ने जोड़े हाथ तो कांग्रेस नेता ने कहा, हमारा आशीर्वाद हमेशा आपके साथ है

Updated: Feb 04, 2021, 11:42 AM IST

नई दिल्ली। राज्यसभा में आज कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह और कांग्रेस से बीजेपी में आए ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच बेहद दिलचस्प संवाद देखने को मिला, जिसका दोनों पक्षों के सांसदों के साथ-साथ उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू भी भरपूर आनंद लेते नज़र आए। मध्य प्रदेश की राजनीति के दो दिग्गजों के बीच हुए इस आपसी संवाद में स्वस्थ और गरिमामय तरीके से हल्के-फुल्के अंदाज़ में होने वाली नोक-झोंक और विनोद के वो लम्हे देखने को मिले जो संसद में धीरे-धीरे कम होते जा रहे हैं।  

दरअसल, बजट सत्र के चौथे दिन आज राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मोदी सरकार की ओर से आक्रामक बैटिंग की। उन्होंने किसानों के मुद्दे पर कांग्रेस पर दोहरा रवैया अपनाने का आरोप लगाते हुए पूर्ववर्ती यूपीए सरकार पर भी जमकर कटाक्ष किए। सिंधिया के फौरन बाद सदन में अध्यक्ष के आसन पर मौजूद उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने दिग्विजय सिंह का नाम पुकारा। साथ ही हंसते हुए यह भी कहा कि वक्ताओं के क्रम में मैंने कोई परिवर्तन नहीं किया है। इस लिस्ट में जो आए, उसी के हिसाब से मैंने आपको बुलाया। इस पर सदन का माहौल हंसी से भर गया।  

 

इसके बाद जब दिग्विजय सिंह बोलने के लिए खड़े हुए तो उन्होंने भी ऐसी बात कही, जिससे सदन ठहाकों से गूंज उठा। कांग्रेस नेता ने कहा, 'सभापति महोदय! मैं आपके माध्यम से सिंधिया जी को बधाई देता हूं। जितने अच्छे ढंग से वह यूपीए सरकार में सरकार का पक्ष रखते थे उतने ही अच्छे ढंग से आज उन्होंने भाजपा का पक्ष रखा है। आपको बधाई हो, वाह जी महाराज वाह! वाह जी महाराज वाह।'

दिग्विजय सिंह की इस बात को सुनकर सिंधिया ने मुस्कराते हुए हाथ जोड़ लिया। इसके बाद सिंधिया ने दिग्विजय सिंह की तरफ रुख करके कहा कि सब आपका ही आशीर्वाद है। इस पर दिग्विजय सिंह ने जवाब दिया, "हमेशा रहेगा, आप जिस पार्टी में रहें, आगे भी जो हो, हमारा आशीर्वाद आपके साथ था, है और रहेगा।" इस दौरान पूरा सदन एक बार फिर ठहाके से गूंज उठा। 

संसद के भीतर ऐसे पल पहले काफी देखने को मिलते थे, जब पक्ष-विपक्ष के बीच मतभेद के बावजूद एक-दूसरे के प्रति आदर और गरिमापूर्ण ढंग से बात होती थी। ऐसा शायद इसलिए होता था क्योंकि विरोधी राय रखने वालों को देश विरोधी करार देने का प्रचलन नहीं था, मतभेद को मनभेद में तब्दील नहीं किया जाता था। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में ऐसा माहौल धीरे-धीरे कम होता जा रहा है। आज दिग्विजय सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच हुए संवाद ने एक बार फिर उस दौर की याद ताज़ा कर दी है।