पूर्व चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ के नाम पर डिजिटल अरेस्ट, साइबर अपराधियों ने महिला को लगाया करोड़ों का चूना

ठगों ने खुद को मुंबई के कोलाबा पुलिस स्टेशन के साथ-साथ केंद्रीय एजेंसियों का कर्मचारी बताया था। इन लोगों ने नकली ऑनलाइन कोर्ट सुनवाई भी की, जिसमें एक व्यक्ति ने खुद को पूर्व CJI चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ बताया था।

Updated: Dec 30, 2025, 01:13 PM IST

मुंबई। मुंबई के अंधेरी पश्चिम इलाके में रहने वाली 68 साल की महिला को डिजिटल अरेस्ट कर साइबर ठगों ने उससे 3 करोड़ 71 लाख रुपए की ठगी कर ली। आरोपियों ने वारदात को बेहद शातिराना ढंग से अंजाम देने के लिए एक आरोपी ने अपनी पहचान पूर्व सीजेआई डी. वाई. चंद्रचूड़ के रूप में दी।

पीड़ित महिला पिछले 26 साल से अंधेरी पश्चिम के वीर देसाई रोड इलाके में रह रही है। 18 अगस्त 2025 को एक कॉल आया। कॉल करने वाले ने खुद को पुलिस से जुड़े होने की बात कही। इसके बाद अलग-अलग मोबाइल नंबरों से महिला को व्हाट्सएप वीडियो कॉल आने लगे। 

महिला से कहा गया कि उनके आधार कार्ड से मनी लॉन्ड्रिंग की जा रही है। वीडियो कॉल पर एक व्यक्ति ने दावा किया कि महिला के आधार कार्ड का दुरुपयोग कर कैनरा बैंक में फर्जी खाता खोला गया है और उसमें 6 करोड़ रुपए के अवैध लेनदेन हुए हैं। आरोपियों ने कहा कि इस मामले में महिला के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज है और कभी भी गिरफ्तारी हो सकती है।

जब महिला ने साफ कहा कि उनका केनरा बैंक में कोई खाता नहीं है, तो आरोपियों ने एक कथित केस नंबर, फर्जी एफआईआर और पुलिस-सीबीआई के लोगो वाले नकली दस्तावेज भेजे। इतना ही नहीं, परिवार को भी गिरफ्तार करने की धमकी दी गई और किसी से भी बात न करने के लिए कहा गया।

ठगों ने महिला को 24 घंटे निगरानी में रहने की बात कही और बताया कि केस की सुनवाई चल रही है। कुछ देर बाद एक व्यक्ति वीडियो कॉल पर खुद को रिटायर्ड सीजेआई चंद्रचूड़ बताकर पेश हुआ। महिला से सवाल-जवाब किए गए और फिर कहा गया कि जमानत नामंजूर है।

इसके बाद आरोपियों ने कहा कि लीगल साबित करने के लिए सभी रकम वेरिफिकेशन के लिए जमा करनी होगी। महिला को म्यूचुअल फंड रिडीम करने और आरटीजीएस के जरिए अलग-अलग खातों में पैसे भेजने के निर्देश दिए गए। डर और दबाव में आकर महिला ने अपने आईडीएफसी बैंक खातों से चार अलग-अलग ट्रांजैक्शन में कुल 3 करोड़ 71 लाख रुपए ट्रांसफर कर दिए। पैसे मिलने के बाद ठगों ने कॉल काट दिया और बाद में दोबारा और पैसे मांगने लगे, तभी महिला को ठगी का अहसास हुआ। पीड़िता ने सभी चैट्स, कॉल डिटेल्स, ट्रांजैक्शन रिकॉर्ड और बैंक स्टेटमेंट के साथ साइबर पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने 1930 साइबर हेल्पलाइन पर भी शिकायत की।