P chidambaram: महबूबा मुफ्ती की हिरासत बढ़ाना कानून का दुरुपयोग

महबूबा मुफ्ती की नजरबंदी पांच अगस्त को खत्म होनी थी, अब इसे नवंबर तक बढ़ाया

Updated: Aug 02, 2020, 03:30 AM IST

नई दिल्ली। देश के पूर्व गृहमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की पीएसए के तहत हिरासत अवधि नवंबर तक बढ़ाए जाने को कानून का दुरुपयोग और नागरिक अधिकारों पर हमला बताया है। पीएसए के तहत महूबबा मुफ्ती की हिरासत अवधि पांच अगस्त को खत्म होनी थी। चिदंबरम ने ट्वीट कर मुफ्ती की गिरफ्तारी के संबंध में कुछ और सवाल भी उठाए। उन्होंने मुफ्ती को रिहा करने की भी मांग की।

चिदंबरम ने सिलसिलेवार तरीके से किए गए अपने ट्वीट्स में कहा, “पीएसए के तहत महबूबा मुफ्ती की नजरबंदी का विस्तार कानून का दुरुपयोग है और नागरिकों के संवाधानिक अधिकारों पर हमला है।”

भारत सरकार ने महबूबा मुफ्ती को रिहा करने के लिए उन्हें कुछ शर्तों पर हस्ताक्षर करने के लिए कहा था। इन शर्तों पर भी चिदंबरम ने सवाल करते हुए कहा, “मुफ्ती ने उन शर्तों को मानने से इनकार कर दिया जो कोई भी स्वाभिमानी नेता करता। उन्हें अनुच्छेद 370 को रद्द करने के खिलाफ क्यों नहीं बोलना चाहिए? क्या यह अभिव्यक्ति की आजादी का हिस्सा नहीं है?”

चिदंबरम ने यह भी कहा कि कि उनकी नजरबंदी के लिए दिए गए कारणों में एक कि उनकी पार्टी के झंडे का रंग हरा है, हंसी का पात्र था।

अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को हटाने के केंद्र सरकार के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। चिदंबरम इस मामले में वकील हैं। एक वकील की हैसियत से उन्होंने सवाल किया, “मैं अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को चुनौती देने वाले सुप्रीम कोर्ट के एक मामले में वकील हूं। अगर मैं अनुच्छेद 370 हटाने के खिलाफ बोलूं जैसा कि मुझे करना चाहिए तो क्या यह सार्वजनिक सुरक्षा के लिए खतरा है?”

गौरतलब है कि पिछले साल पांच अगस्त को जन सुरक्षा कानून के तहत महबूबा मुफ्ती और घाटी के सैंकड़ों नेताओं को हिरासत में ले लिया गया था। इनमें जम्मू कश्मीर के दो पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अबदुल्ला और उमर अबदुल्ला को भी हिरासत में ले लिया गया था। उन्हें अभी रिहा किया गया है। जम्मू कश्मीर प्रशासन ने जेकेपीसी के अध्यक्ष सज्जाज गनी लोन को भी एक साल बाद रिहा किया है। लोन, महबूबा मुफ्ती की पार्टी पीडीपी और बीजेपी के साथ राज्य में पिछली निर्वाचित सरकार का हिस्सा थे।

महबूबा की हिरासत बढ़ने पर उनकी बेटी इल्तिजा मुफ्ती ने ट्वीट किया, ‘‘ मैं मीडिया की खबर की पुष्टि करना चाहूंगी कि मुफ्ती की पीएसए हिरासत को नवंबर, 2020 तक के लिए बढ़ाया गया है। उन्हें अवैध रूप से बंदी बनाकर रखने को चुनौती देने वाली याचिका 26 फरवरी से उच्चतम न्यायालय में लंबित है। व्यक्ति कहां इंसाफ मांगे?’’ उन्होंने हिरासत बढ़ाये जाने को सरकार की अत्यंत ‘अलोकतांत्रिक, असंवैधानिक और अमानवीय पहल’ करार दिया।