Farmer Protest Live: गाज़ीपुर बॉर्डर पर धारा 144 लागू, RAF और पुलिस ने पूरे इलाक़े को घेरा

ग़ाज़ीपुर बॉर्डर से किसानों को हटाने की तैयारी, राकेश टिकैत बोले क़ानून वापस नहीं लिए गए तो जान दे दूंगा, यूपी पुलिस के एडीजी भी मौक़े पर पहुँचे

Updated: Jan 28, 2021, 02:52 PM IST

Photo Courtesy: Aaj Tak
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गाज़ीपुर दिल्ली-यूपी बॉर्डर। गाज़ीपुर में दो महीने से जारी किसानों का धरना खत्म कराने के लिए पूरी तैयारी हो गई है। धारा 144 लगाकर पूरे इलाके को सील कर दिया गया है। पुलिस ने पूरे इलाके में चेतावनी वाले पोस्टर लगा दिए हैं। रैपिड एक्शन फोर्स भी मौके पर मौजूद है। इसके साथ ही मौके से किसानों को ले जाने के लिए बसें भी लाकर खड़ी कर दी गई हैं। पूरे इलाके में चप्पे-चप्पे पर पुलिस तैनात है।यूपी गेट पर धरना स्थल को खाली कराने के लिए जिला प्रशासन ने दोपहर बाद ही किसानों को अल्टीमेटम दे दिया था। उन्हें आज रात तक धरना स्थल खाली करने को कहा गया था। 

हालांकि भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा है कि मैं यहां से नहीं हटूंगा। किसान नेता राकेश टिकैत ने ख़ुदकुशी की धमकी दी है। मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि अगर तीनों कृषि क़ानून वापस नहीं लिए गए तो मैं आत्महत्या कर लूँगा। टिकैत ने कहा कि अगर मुझे कुछ भी हुआ तो प्रशासन ज़िम्मेदार होगा। राकेश टिकैत ने भावुक होकर रोते हुए कहा कि किसानों को मारने की साज़िश रची जा रही है। उन पर अत्याचार हो रहा है, लेकिन मैं किसानों को बर्बाद नहीं होने दूँगा। 

लेटेस्ट अपडेट : 

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर रैपिड एक्शन फोर्स भी तैनात कर दी गई है। मीडिया में आ रही खबरों के मुताबिक जिला मजिस्ट्रेट अजय शंकर पांडेय सहित वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी एवं पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी मौके पर पहुंच गए हैं। मीडिया में आ रही खबरों के मुताबिक धरना स्थल को खाली कराने की जिला प्रशासन ने पूरी तैयारी कर ली है। किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि जबर्दस्ती से किसान आंदोलन बंद नहीं होगा। जब तक सांस चलेगी तब तक लड़ेंगे। अभी हमारी कोई योजना नहीं है। अभी हम मीटिंग करेंगे। पता नहीं सरकार क्या-क्या षड्यंत्र करती है।

समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक उत्तर प्रदेश सरकार ने सभी डीएम और एसएसपी को आदेश दिया है कि राज्य में जहां कहीं भी किसानों का धरना-प्रदर्शन चल रहा है, उसे खत्म करा दिया जाए। 

 

 

यूपी गेट पर गाजियाबाद जिले के सभी थानों से फोर्स बुला ली गई है। जिला प्रशासन ने किसानों को यूपी गेट खाली करने का अल्टीमेटम दिया है। पुलिस यूपी गेट पर ड्रोन कैमरे से निगरानी कर रही है। साथ ही यूपी गेट पर कुछ लोग पहुंचे हैं, जो हमारा बॉर्डर खाली करो के नारे लगा रहे हैं। गाजीपुर बॉर्डर दोनों तरफ से बंद है। ट्रैफिक को रोड नंबर 56, अक्षरधाम और निजामुद्दीन से मोड़ दिया गया है। दूसरी तरफ सिंघू, औचंदी, मंगेश, सबोली, पियाउ मनियारी सीमाएं बंद कर दी गई हैं। 

26 जनवरी की हिंसा के बाद दिल्ली पुलिस किसानों पर सख्ती कर रही है। गाजीपुर बॉर्डर से किसानों को हटने का अल्टीमेटम दिया गया है। दिल्ली और उत्तरप्रदेश पुलिस गाजीपुर बार्डर पर पहुंची है। पुलिस किसानों से इलाका खाली करने का दबाव बना रही है। गाजीपुर बॉर्डर खाली कराने के लिए दिल्ली और उत्तर प्रदेश की पुलिस ज्वाइंट ऑपरेशन के मूड में है।

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दिल्ली पुलिस कमिश्नर एस एन श्रीवास्तव ने सीनियर अफसरों के साथ इस बारे में बैठक में चर्चा भी की है। गाजीपुर बार्डर पर बड़ी संख्या में पुलिस और अर्धसैनिक बल पहुंच चुका है। आंदोलन स्थल पर पानी की सप्लाई काट दी गई है। वहीं लोगों की सुविधा के लिए लगाए गए पोर्टेबल शौचालयों को भी हटाया जा रहा है। गाजीपुर बार्डर पर उत्तर प्रदेश रोडवेज की दर्जनों बसों को खड़ा किया गया है। गौरतलब है कि बागपत से आंदोलनकारी किसानों को बुधवार रात ही हटा दिया गया था।

वहीं गाजीपुर में पुलिस और अर्धसैनिक बलों की तैनाती के बाद किसान नेताओं ने मीटिंग की। गाजीपुर किसान आंदोलन कमेटी के प्रवक्ता जगतार सिंह बाजवा का कहना है कि किसान पुलिस कार्रवाई का विरोध नहीं करेंगे, शांति बनाए रखेंगे। इस बारे में प्रशासन से बात की जाएगी। भारतीय किसान यूनियन के पदाधिकारियों ने कहा कि किसान सामूहिक रूप से गिरफ्तारी दे सकते हैं। पुलिस ने राकेश टिकैत के टेंट पर नोटिस चस्पा किया है।  

गौरतलब है कि अब किसान नेताओं के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी होने वाला है, केंद्र सरकार ने दिल्ली पुलिस को इसका आदेश दिया है, लुकआउट नोटिस के बाद किसानों का पासपोर्ट भी जब्त होगा। वहीं दिल्ली पुलिस 20 से ज्यादा किसान नेताओं को नोटिस जारी कर चुकी है। इनमें दर्शन पाल सिंह, बलदेव सिंह सिरसा, राजेवाल और योगेंद्र यादव समेत कई नेता शामिल हैं। दिल्ली पुलिस ने इन सब नेताओं से तीन दिन में जवाब मांगा है।  पुलिस का आरोप है कि ट्रैक्टर परेड के लिए बनी सहमति को तोड़ा गया है। वहीं किसान नेताओं पर हिंसा भड़काने का आरोप भी लगाया गया है।